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चित्तौड़गढ़ः क्वॉरेंटाइन पूरा करके घर जा रहे मजदूरों को प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने रोका - चितौड़गढ़ में मजदूर

लॉकडाउन के दौरान विभिन्न स्थानों पर फंसे मजदूरों के क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी हो गई. जिसके बाद उन्हें डिकल जांच के बाद अपने पैतृक गांव जाने के लिए बस में अनुमति के साथ रवाना किया गया. लेकिन पाली जिले के रोहट से मध्यप्रदेश जा रही इस बस को चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन ने तो अनुमति दे दी लेकिन प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने इस बस को प्रवेश पर रोक लगा दी. ऐसे में यह मजदूर चित्तौड़गढ़ जिले में अटक कर रह गए हैं.

चितौड़गढ़ में मजदूर, Laborers in Chittorgarh
घर जा रहे मजदूरों को प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने रोका
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Published : Apr 24, 2020, 8:16 PM IST

चितौड़गढ़. लॉकडाउन के दौरान विभिन्न स्थानों पर फंसे मजदूरों के क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें गंतव्य तक भेजने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जिला स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण यह मजदूर रास्ते में अटक रहे हैं. पाली जिले के रोहट से मध्यप्रदेश जा रही इस बस को चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन ने तो अनुमति दे दी लेकिन प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने इस बस को प्रवेश पर रोक लगा दी.

घर जा रहे मजदूरों को प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने रोका

ऐसे में यह मजदूर चित्तौड़गढ़ जिले में अटक कर रह गए हैं. इसके साथ पुलिस इन मजदूरों को भोजन करवा रही है. जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ जिले की सीमा पर निम्बाहेड़ा उपखंड में कारुन्डा चौराहे पर गुरुवार रात करीब 10 बजे रोहट जिला पाली से मजदूरों को लेकर आई बस अटक गई. यह मजदूर मूलतः इंदौर के पास के हैं. करीब 19 दिन पहले जैसलमेर रामद्वारा से पैदल आ रहें इन मजदूरों को रोहट जिला पाली में क्वॉरेंटाइन किया गया था.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः स्वयं सहायता समूह कर रहा मास्क की कमी पूरी, निःशुल्क वितरण

इन्हें गुरुवार को रोहट उपखंड अधिकारी ने क्वॉरेंटाइन पूरा करने और मेडिकल जांच के बाद अपने पैतृक गांव जाने के लिए बस में अनुमति के साथ रवाना किया. इस बस को चितौड़गढ़ जिला प्रशासन ने अनुमति दे दी. इस पर यह बस गुरुवार रात करीब 10 बजे निंबाहेड़ा उपखंड के प्रतापगढ़ सीमा से लगे कारुन्डा चौराहा तक पहुंच गई. यहां प्रतापगढ़ प्रशासन ने इस बस को रोक लिया और आगे जाने के लिए मना कर दिया. ऐसे में इन मजदूरों के साथ यह समस्या हो गई कि अब आगे कहां जाए.

पढ़ेंः प्रदेश में बने क्वॉरेंटाइन सेंटरों पर प्रति व्यक्ति अधिकतम 2 हजार 440 रुपए हो रहे खर्च, अब तक 63 लाख से अधिक का आवंटनः रिपोर्ट

प्रतापगढ़ जिला प्रशासन के लचर रवैये के चलते बस में मजदूर अटक कर रह गए. ऐसे में मजदूरों के यहीं भूखे मरने की नौबत आ गई. निंबाहेड़ा सदर थाने के एएसआई गोपाल शर्मा ने इन मजदूरों के खाने की व्यवस्था के लिए छोटी सादड़ी के कुछ संगठनों से बात की है. लेकिन अब परमिशन होने के बावजूद भी यह मजदूर आगे नहीं जा पा रहें हैं. ऐसे में अब आगे क्या होगा यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बस में मजदूरों की संख्या 39 बताई जा रही है.

चितौड़गढ़. लॉकडाउन के दौरान विभिन्न स्थानों पर फंसे मजदूरों के क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें गंतव्य तक भेजने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जिला स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण यह मजदूर रास्ते में अटक रहे हैं. पाली जिले के रोहट से मध्यप्रदेश जा रही इस बस को चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन ने तो अनुमति दे दी लेकिन प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने इस बस को प्रवेश पर रोक लगा दी.

घर जा रहे मजदूरों को प्रतापगढ़ जिला प्रशासन ने रोका

ऐसे में यह मजदूर चित्तौड़गढ़ जिले में अटक कर रह गए हैं. इसके साथ पुलिस इन मजदूरों को भोजन करवा रही है. जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ जिले की सीमा पर निम्बाहेड़ा उपखंड में कारुन्डा चौराहे पर गुरुवार रात करीब 10 बजे रोहट जिला पाली से मजदूरों को लेकर आई बस अटक गई. यह मजदूर मूलतः इंदौर के पास के हैं. करीब 19 दिन पहले जैसलमेर रामद्वारा से पैदल आ रहें इन मजदूरों को रोहट जिला पाली में क्वॉरेंटाइन किया गया था.

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इन्हें गुरुवार को रोहट उपखंड अधिकारी ने क्वॉरेंटाइन पूरा करने और मेडिकल जांच के बाद अपने पैतृक गांव जाने के लिए बस में अनुमति के साथ रवाना किया. इस बस को चितौड़गढ़ जिला प्रशासन ने अनुमति दे दी. इस पर यह बस गुरुवार रात करीब 10 बजे निंबाहेड़ा उपखंड के प्रतापगढ़ सीमा से लगे कारुन्डा चौराहा तक पहुंच गई. यहां प्रतापगढ़ प्रशासन ने इस बस को रोक लिया और आगे जाने के लिए मना कर दिया. ऐसे में इन मजदूरों के साथ यह समस्या हो गई कि अब आगे कहां जाए.

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प्रतापगढ़ जिला प्रशासन के लचर रवैये के चलते बस में मजदूर अटक कर रह गए. ऐसे में मजदूरों के यहीं भूखे मरने की नौबत आ गई. निंबाहेड़ा सदर थाने के एएसआई गोपाल शर्मा ने इन मजदूरों के खाने की व्यवस्था के लिए छोटी सादड़ी के कुछ संगठनों से बात की है. लेकिन अब परमिशन होने के बावजूद भी यह मजदूर आगे नहीं जा पा रहें हैं. ऐसे में अब आगे क्या होगा यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बस में मजदूरों की संख्या 39 बताई जा रही है.

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