चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण काल (Corona Infection) में जरूरतमंद परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) जीने का सहारा बनकर उभरी है. पहली लहर के दौरान राज्य से लेकर केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए एक प्रकार से अपना भंडार खोल दिया था. इसी का नतीजा रहा कि लॉकडाउन के दौरान घर बैठे रहने के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को खाने-पीने किसी प्रकार की तकलीफ सामने नहीं आई.
अब दूसरी लहर के दौरान भी सरकार को लॉकडाउन (lockdown) का सहारा लेना पड़ा है. इस दौरान जहां राज्य सरकार (State Government) की ओर से दैनिक मजदूरी पर निर्भर परिवारों को 1 रुपए से लेकर 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेहूं दिया जा रहा है. इस प्रकार के लोगों के लिए केंद्र सरकार (Central Government) ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए निशुल्क गेहूं वितरण प्रदान किया. कोरोना संक्रमण काल (Corona Infection period) में दोनों ही सरकारों की यह योजना गरीब लोगों के जीने का सहारा बनकर सामने आई है. इसी का नतीजा रहा कि योजना के दायरे में आने वाले लाखों लोग अपने घरों तक सीमित रहे और उन्हें पेट भरने के लिए घर से बाहर नहीं निकलना पड़ा.
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रसद विभाग (logistics department) के आंकड़ों पर जाए तो चित्तौड़गढ़ जिले (Chittorgarh District) में खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 92 हजार 0617 लोग आ रहे हैं. इनमें बीपीएल (BPL) के अलावा स्टेट बीपीएल (State BPL) और एपीएल परिवार शामिल हैं. अंत्योदय परिवारों को राज्य सरकार (State Government) की ओर से प्रति परिवार 35 किलो गेहूं 2 रुपए किलोग्राम के हिसाब से दिया जा रहा है.
बीपीएल और स्टेट बीपीएल को एक रुपए किलो गेहूं प्रदान किया जा रहा है. इसके अंतर्गत प्रत्येक सदस्य को यूनिट मानते हुए प्रति यूनिट 5 किलोग्राम गेहूं दिया जा रहा है. यह योजना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जरूरतमंद परिवारों को घरों में थामे रखने में काफी कारगर साबित रही. अब केंद्र सरकार की ओर से इन परिवारों की प्रत्येक यूनिट को 5 किलोग्राम निशुल्क गेहूं देने की योजना शुरू की गई है. इसके लिए चित्तौड़गढ़ जिले को मई और जून महीने के लिए 4358 और 4590 मेट्रिक टन गेहूं आवंटित कर दिया गया है. गेहूं का अधिकांश हिस्सा उचित मूल्य दुकानों तक पहुंच चुका है और इसका वितरण भी शुरू हो गया है.
ETV BHARAT की टीम ने जाना खाद्य सुरक्षा योजना कितनी कारगर साबित हुई..
योजना के लाभार्थियों से बातचीत करने पर पता चला कि खाद्य सुरक्षा योजना उनके जीवन के लिए कितनी अहम रही. इस दौरान सामने आया कि इसका लाभ उठा रहे अधिकांश लोग दैनिक मजदूरी पर निर्भर है और दिनभर कमाई के बाद इनके परिवार का पेट भरता है. कई परिवार ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें या तो कोई कमाने वाला नहीं है या फिर शारीरिक रूप से अस्वस्थ है. यदि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत उन्हें सरकार की ओर से सस्ती दर पर गेहूं उपलब्ध नहीं कराया जाता तो उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ सकती थी.
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जिला रसद अधिकारी विनय कुमार शर्मा (District Supply Officer) के अनुसार मई और जून माह का गेहूं आवंटित करते हुए संबंधित दुकानों पर पहुंचा दिया गया है. केंद्र सरकार की निशुल्क योजना के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत आने वाले हर व्यक्ति को 5 किलोग्राम गेहूं प्रतिमाह उपलब्ध कराया जा रहा है. यह सारा कारोबार ऑनलाइन चल रहा है. केंद्र सरकार की ओर से निशुल्क गेहूं वितरण की अवधि बढ़ा दी गई है. इस योजना के चलते संक्रमण काल के दौरान जरूरतमंद लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलना पड़ा और अधिकांश लोग अपने घरों पर रहे.