चित्तौड़गढ़. जिले के कपासन ब्रह्मपुरी निवासी पर्यावरण प्रेमी उज्ज्वल दाधीच के हौसले के आगे भीषण गर्मी भी नतमस्तक नजर आई. आखिर हो भी क्यों नहीं, उज्जवल का उद्देश्य मानव जाति के कल्याण के लिए था. विश्व विरासत और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य को लेकर उज्जवल अपनी साइकिल लेकर निकल पड़े और प्रदेश के आधे से अधिक जिलों की दूरी नापते हुए आज चित्तौड़गढ़ पहुंचे. महज 15 दिन में उन्होंने करीब 1800 किलोमीटर की साईकिल यात्रा की. यहां उनका विभिन्न संगठनों की ओर से स्वागत किया गया. बता दें कि18 अप्रैल को उज्जवल ने अपनी यात्रा शुरू की.
यात्रा के दौरान दाधीच युवाओं से साइकिल चलाने और कोरोना गाइडलाइन की पालना का आह्वान करते रहे. दाधीच ने बताया कि प्राकृतिक प्रदूषण एवं विश्व विरासत की वर्तमान स्थिति की चिंता महसूस हुई और यह पीड़ा इतनी गंभीर थी की राजस्थान में लोगों को जागरूक करने के लिए 2000 किलोमीटर साइकिल यात्रा का लक्ष्य लेकर घर से चल पड़े. दाधीच प्रतिदिन औसत 125-150 किलोमीटर साइकिल चला रहे थे. राजस्थान में 1790 किलोमीटर का सफर तय कर चित्तौड़गढ़ आए. राइडर उज्जवल दाधीच ने कहा कि हमारे किले, महल, प्राचीन बावडिया विश्व विरासत का अनमोल गहना है, उनके संरक्षण की जिम्मेदारी हर आमजन को उठानी चाहिए.
राजस्थान के किले और यहां की जैव विविधता हमें भारत में एक अलग पहचान दिलाती है. ऐसे में इनका संरक्षण बेहद जरूरी है. आधुनिकरण की इस जमाने में हर आमजन मानसिक तनाव प्रदूषण से परेशान है. ऐसे में मैं साइकिलिंग को तंदुरुस्त जीवन का सर्वश्रेष्ठ साधन मानता हूं. उज्जवल आमजन को साइकिलिंग हेतु प्रमोट कर रहे हैं.
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दाधीच ने अपनी यात्रा 8 अप्रैल को कपासन चित्तौड़गढ़ से शुरू की जो राजसमंद, चारभुजा जी, देसूरी की नाल, सादड़ी, रणकपुर, जवाई बांध, सुमेरपुर, फालना, पिंडवाड़ा, माउंट आबू, सिरोही, जालोर, नाकोड़ा जी, बालोतरा, जोधपुर, नागौर, गोठ, मांगलोद, डेगाना, किशनगढ़, अजमेर, बांदनवाड़ा, बिजयनगर और भीलवाड़ा होते हुए चित्तौड़गढ़ आए. यात्रा का समापन कपासन में होगा. दाधीच सामाजिक सरोकारों में अग्रणी रहने वाली संस्था यूथ फॉर चेंज के जिलाध्यक्ष भी है.