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पुरातत्व विभाग के सुप्रिडेंट ने किया कीर्ति स्तम्भ का निरीक्षण, बोले तड़ित चालक के लिए चार स्मारकों का चयन

चित्तौड़ दुर्ग पर पिछले कुछ दिनों से आसमानी आफत में काफी नुकसान हो चुका है. इसको लेकर पुरातत्तव विभाग काफी गंभीर हो गया है. शनिवार को जोधपुर से आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट निरीक्षण के लिए पहुंचा.

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Published : Jul 17, 2021, 8:48 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 10:27 PM IST

आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट, Archaeological Department
पुरातत्व विभाग के सुप्रिडेंट ने किया कीर्ति स्तम्भ का निरीक्षण

चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर पिछले कुछ दिनों में दो बाद बिजली गिरने की घटना हो चुकी है जिससे काफी नुकसान हुआ है. इसके बाद पुरातत्व विभाग इस भवन की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गया है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ के कीर्ति स्तंभ पर 3 दिन में दूसरी बार गिरी आकाशीय बिजली, शीर्ष मंजिल का हिस्सा क्षतिग्रस्त

इसमें शनिवार को जोधपुर से आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट से सुपरिटेंडेंट विपिन चंद्र नेगी निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान चित्तौड़गढ़ पुरातत्व विभाग से बार-बार यह बोला जा रहा था कि उन्होंने प्रस्ताव भेजा है, लेकिन आगे से मंजूरी नहीं मिली. जबकि सुपरिटेंडेंट ने बताया कि उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नहीं भेजा गया. इसी बात से पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की पोल खुल गई.

पुरातत्व विभाग के सुप्रिडेंट ने किया कीर्ति स्तम्भ का निरीक्षण

चित्तौड़ दुर्ग निरीक्षण के लिए पहुंचे जोधपुर आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट विपिन कुमार नेगी ने बताया कि 2 दिन बिजली गिरने से जो डैमेज हुआ है, उस डैमेज को रिस्टोर किया जाना है. इसके लिए आर्कियोलॉजिकल इंजीनियर और सीए को मार्गदर्शन देने आए. उन्होंने पूरे कीर्ति स्तंभ का निरीक्षण भी किया और कहा कि आगे भी कभी लाइटिंग हुई तो विश्व धरोहर को बचाने के लिए तड़ित चालक लगा रहे हैं. इसको कैसे लगाना है, कैसे फिटिंग करना है, यह सब डिसाइड किया गया.

इस दौरान जोधपुर आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट विपिन कुमार नेगी ने बताया कि फिटिंग लाइन पुरानी वाली ही होगी, जिस पर कार्य होगा. कीर्ति स्तम्भ में कोई भी नया ड्रिल नहीं किया जाएगा. अर्थिंग के लिए जो डिच बनाई जाती है, उसे फाउंटेन से दूर किया जाएगा, जिससे पानी उसमें ना जाए और ना ही उस को नुकसान पहुंचे.

नेगी ने कहा कि चित्तौड़ का बहुत बड़ा इतिहास है. पहले भी यहां 7 बार बिजली गिरने से यहां रिपेयरिंग का काम हुआ है और तत्कालीन महाराजाओं ने यह कार्य करवाया है. सुनने में आया है कि कुंभा के समय में भी नुकसान पहुंचा था, अब वह लाइटिंग की वजह से था या किसी और वजह से यह नहीं पता, लेकिन तब भी कार्य करवाया गया था.

सुपरिटेंडेंट नेगी ने इस बात की भी जानकारी दी कि उन्हें इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला. जब जिला कलक्टर की ओर से बात सामने आई तो उन्होंने तुरंत एक्शन लिया, जबकि एसआई चित्तौड़गढ़ के अधिकारी का कहना है कि 2013 में अर्थिंग के लिए लगाए गए तांबे के तार की चोरी के बाद लगातार विभाग को प्रस्ताव भेजा जा रहा है, लेकिन विभाग की ओर से स्वीकार नहीं किया गया.

सुपरिटेंडेंट ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया, जिससे चित्तौड़गढ़ पुरातत्व विभाग के अधिकारी की पोल खुल गई. मौके पर जैन समाज के महेंद्र टोंगिया भी मौके पर पहुंच जाए और उन्होंने सुपरिटेंडेंट को इस बात की शिकायत की कि 2013 से ही कई बार लेटर लिखा गया है. इस पर सुपरिटेंडेंट ने कहा 2019 से वे जॉइन हुए हैं, लेकिन उनके पास किसी भी तरह की शिकायत नहीं मिली है और ना ही प्रस्ताव भेजा गया है.

नेगी ने बताया कि दुर्ग पर तड़ित चालक लगाने के लिए चार विश्व धरोहर को चयनित किया गया है. इसमें मीरा मंदिर, महादेवरा का मंदिर, विजय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ है. एक में रिपेयरिंग का काम करने में 2.30 से 50 लाख रुपए लग जाते हैं. कीर्ति स्तंभ पर 5 से 10 लाख रुपए का खर्चा आएगा जो कि हिंदुस्तान जिंक के सीएसआर ग्रुप की ओर से किया जाएगा.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़ में लगातार दूसरे दिन गिरी आकाशीय बिजली, 1 महिला की मौत...4 घायल

चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने भी कीर्ति स्तंभ का अवलोकन किया और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से चर्चा की. इस दौरान सांसद जोशी ने कहा कि जब से जानकारी मिली तब दिल्ली और जोधपुर में बात की गई की, जिससे वे जल्द से जल्द निरीक्षण के लिए आए और रिपेयरिंग का काम भी शुरू किया जाए. उन्होंने कहा कि यह स्थल इतिहास के पन्नों से जुड़ा हुआ है. इसको सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है.

सीएसआर के माध्यम से जो तड़ित चालक लगाया जा रहा है और उसके अलावा रेलिंग, शेड को लेकर भी चर्चा की गई है. सांसद जोशी ने कहा कि 9 करोड़ रुपए सीएसआर फंड से लगा कर बाहरी ओर लाइटिंग की जाने का प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है. प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल जाती है तो चित्तौड़गढ़ के लिए यह बहुत नायाब होगा कि 10 किलोमीटर दूर से भी दुर्ग जगमगाता हुआ दिखाई देगा. उन्होंने इसके अलावा चतरंग तालाब पर गार्डन, लाइट लगाने का भी प्रस्ताव भेजा है.

जब गुरुवार को जिला कलक्टर ताराचंद मीणा को कीर्ति स्तम्भ ओर बिजली गिरने की जानकारी मिली तो एक दिन में ही वे दो बार विजय स्तम्भ पहुंचे. जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने मौके पर ही हिंदुस्तान जिंक के सीएसआर ग्रुप को बुला कर तड़ित चालक लगाने की बात कही लेकिन एएसआई की ओर से मना कर दिया गया कि जब तक जोधपुर और दिल्ली से अनुमति नहीं दी जाती, तब तक नहीं लगा सकते.

इस पर जिला कलेक्टर ने तुरंत दिल्ली और जोधपुर पत्र लिख कर इसकी अनुमति मांगी. शुक्रवार तक दिल्ली से जिला कलक्टर को अनुमति दे दी गई कि वो इस पर कार्य करवा सकते हैं. इसके बाद जिंक के अधिकारी भी शनिवार को दुर्ग पर मौजूद रहे.

बता दें कुछ दिनों पहले भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़ इन्टेक चेप्टर के इंचार्ज बाबूलाल जाजू ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पुरातत्व विभाग के संबंधित अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की थी. पत्र में उनका कहना था कि अधिकारियों की घोर लापरवाही से और तड़ित चालक यंत्र खराब होने के कारण कीर्ति स्तंभ पर बिजली गिरा और उसके ऊपर की ओर बना हिस्सा टूट गया था.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ में लगातार दूसरे दिन गिरी आकाशीय बिजली, 1 महिला की मौत...4 घायल

जाजू ने बताया था कि कीर्ति स्तंभ देखने के लिए देश-विदेश के हजारों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं. ऐसे में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही से विदेशों में सरकार की छवि भी खराब हुई है. जाजू ने यह भी कहा था कि बिजली गिरने से संपूर्ण ईमारत भी धराशाई हो सकती थी. अधिकारियों की ओर से अगर समय रहते तड़ित चालक यंत्र को ठीक करवा लिया गया होता तो निश्चित रूप से ऐतिहासिक इमारत को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता था.

बाबूलाल जाजू ने मुख्यमंत्री से तड़ित चालक यंत्र को तुरंत ठीक कराने, बिजली गिरने के कारण हुए संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को बर्खास्त किये जाने और संपूर्ण राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के तड़ित चालक यंत्रों की जांच कराते हुए खराब यंत्रों को ठीक कराने की मांग भी की है. जिससे ऐतिहासिक इमारतों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके.

चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर पिछले कुछ दिनों में दो बाद बिजली गिरने की घटना हो चुकी है जिससे काफी नुकसान हुआ है. इसके बाद पुरातत्व विभाग इस भवन की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गया है.

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इसमें शनिवार को जोधपुर से आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट से सुपरिटेंडेंट विपिन चंद्र नेगी निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान चित्तौड़गढ़ पुरातत्व विभाग से बार-बार यह बोला जा रहा था कि उन्होंने प्रस्ताव भेजा है, लेकिन आगे से मंजूरी नहीं मिली. जबकि सुपरिटेंडेंट ने बताया कि उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नहीं भेजा गया. इसी बात से पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की पोल खुल गई.

पुरातत्व विभाग के सुप्रिडेंट ने किया कीर्ति स्तम्भ का निरीक्षण

चित्तौड़ दुर्ग निरीक्षण के लिए पहुंचे जोधपुर आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट विपिन कुमार नेगी ने बताया कि 2 दिन बिजली गिरने से जो डैमेज हुआ है, उस डैमेज को रिस्टोर किया जाना है. इसके लिए आर्कियोलॉजिकल इंजीनियर और सीए को मार्गदर्शन देने आए. उन्होंने पूरे कीर्ति स्तंभ का निरीक्षण भी किया और कहा कि आगे भी कभी लाइटिंग हुई तो विश्व धरोहर को बचाने के लिए तड़ित चालक लगा रहे हैं. इसको कैसे लगाना है, कैसे फिटिंग करना है, यह सब डिसाइड किया गया.

इस दौरान जोधपुर आर्कियोलॉजिकल सुपरिटेंडेंट विपिन कुमार नेगी ने बताया कि फिटिंग लाइन पुरानी वाली ही होगी, जिस पर कार्य होगा. कीर्ति स्तम्भ में कोई भी नया ड्रिल नहीं किया जाएगा. अर्थिंग के लिए जो डिच बनाई जाती है, उसे फाउंटेन से दूर किया जाएगा, जिससे पानी उसमें ना जाए और ना ही उस को नुकसान पहुंचे.

नेगी ने कहा कि चित्तौड़ का बहुत बड़ा इतिहास है. पहले भी यहां 7 बार बिजली गिरने से यहां रिपेयरिंग का काम हुआ है और तत्कालीन महाराजाओं ने यह कार्य करवाया है. सुनने में आया है कि कुंभा के समय में भी नुकसान पहुंचा था, अब वह लाइटिंग की वजह से था या किसी और वजह से यह नहीं पता, लेकिन तब भी कार्य करवाया गया था.

सुपरिटेंडेंट नेगी ने इस बात की भी जानकारी दी कि उन्हें इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला. जब जिला कलक्टर की ओर से बात सामने आई तो उन्होंने तुरंत एक्शन लिया, जबकि एसआई चित्तौड़गढ़ के अधिकारी का कहना है कि 2013 में अर्थिंग के लिए लगाए गए तांबे के तार की चोरी के बाद लगातार विभाग को प्रस्ताव भेजा जा रहा है, लेकिन विभाग की ओर से स्वीकार नहीं किया गया.

सुपरिटेंडेंट ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया, जिससे चित्तौड़गढ़ पुरातत्व विभाग के अधिकारी की पोल खुल गई. मौके पर जैन समाज के महेंद्र टोंगिया भी मौके पर पहुंच जाए और उन्होंने सुपरिटेंडेंट को इस बात की शिकायत की कि 2013 से ही कई बार लेटर लिखा गया है. इस पर सुपरिटेंडेंट ने कहा 2019 से वे जॉइन हुए हैं, लेकिन उनके पास किसी भी तरह की शिकायत नहीं मिली है और ना ही प्रस्ताव भेजा गया है.

नेगी ने बताया कि दुर्ग पर तड़ित चालक लगाने के लिए चार विश्व धरोहर को चयनित किया गया है. इसमें मीरा मंदिर, महादेवरा का मंदिर, विजय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ है. एक में रिपेयरिंग का काम करने में 2.30 से 50 लाख रुपए लग जाते हैं. कीर्ति स्तंभ पर 5 से 10 लाख रुपए का खर्चा आएगा जो कि हिंदुस्तान जिंक के सीएसआर ग्रुप की ओर से किया जाएगा.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़ में लगातार दूसरे दिन गिरी आकाशीय बिजली, 1 महिला की मौत...4 घायल

चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने भी कीर्ति स्तंभ का अवलोकन किया और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से चर्चा की. इस दौरान सांसद जोशी ने कहा कि जब से जानकारी मिली तब दिल्ली और जोधपुर में बात की गई की, जिससे वे जल्द से जल्द निरीक्षण के लिए आए और रिपेयरिंग का काम भी शुरू किया जाए. उन्होंने कहा कि यह स्थल इतिहास के पन्नों से जुड़ा हुआ है. इसको सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है.

सीएसआर के माध्यम से जो तड़ित चालक लगाया जा रहा है और उसके अलावा रेलिंग, शेड को लेकर भी चर्चा की गई है. सांसद जोशी ने कहा कि 9 करोड़ रुपए सीएसआर फंड से लगा कर बाहरी ओर लाइटिंग की जाने का प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है. प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल जाती है तो चित्तौड़गढ़ के लिए यह बहुत नायाब होगा कि 10 किलोमीटर दूर से भी दुर्ग जगमगाता हुआ दिखाई देगा. उन्होंने इसके अलावा चतरंग तालाब पर गार्डन, लाइट लगाने का भी प्रस्ताव भेजा है.

जब गुरुवार को जिला कलक्टर ताराचंद मीणा को कीर्ति स्तम्भ ओर बिजली गिरने की जानकारी मिली तो एक दिन में ही वे दो बार विजय स्तम्भ पहुंचे. जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने मौके पर ही हिंदुस्तान जिंक के सीएसआर ग्रुप को बुला कर तड़ित चालक लगाने की बात कही लेकिन एएसआई की ओर से मना कर दिया गया कि जब तक जोधपुर और दिल्ली से अनुमति नहीं दी जाती, तब तक नहीं लगा सकते.

इस पर जिला कलेक्टर ने तुरंत दिल्ली और जोधपुर पत्र लिख कर इसकी अनुमति मांगी. शुक्रवार तक दिल्ली से जिला कलक्टर को अनुमति दे दी गई कि वो इस पर कार्य करवा सकते हैं. इसके बाद जिंक के अधिकारी भी शनिवार को दुर्ग पर मौजूद रहे.

बता दें कुछ दिनों पहले भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़ इन्टेक चेप्टर के इंचार्ज बाबूलाल जाजू ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पुरातत्व विभाग के संबंधित अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की थी. पत्र में उनका कहना था कि अधिकारियों की घोर लापरवाही से और तड़ित चालक यंत्र खराब होने के कारण कीर्ति स्तंभ पर बिजली गिरा और उसके ऊपर की ओर बना हिस्सा टूट गया था.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ में लगातार दूसरे दिन गिरी आकाशीय बिजली, 1 महिला की मौत...4 घायल

जाजू ने बताया था कि कीर्ति स्तंभ देखने के लिए देश-विदेश के हजारों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं. ऐसे में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही से विदेशों में सरकार की छवि भी खराब हुई है. जाजू ने यह भी कहा था कि बिजली गिरने से संपूर्ण ईमारत भी धराशाई हो सकती थी. अधिकारियों की ओर से अगर समय रहते तड़ित चालक यंत्र को ठीक करवा लिया गया होता तो निश्चित रूप से ऐतिहासिक इमारत को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता था.

बाबूलाल जाजू ने मुख्यमंत्री से तड़ित चालक यंत्र को तुरंत ठीक कराने, बिजली गिरने के कारण हुए संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को बर्खास्त किये जाने और संपूर्ण राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के तड़ित चालक यंत्रों की जांच कराते हुए खराब यंत्रों को ठीक कराने की मांग भी की है. जिससे ऐतिहासिक इमारतों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके.

Last Updated : Jul 17, 2021, 10:27 PM IST
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