चित्तौड़गढ़. बेगूं के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय ने बेटे की हत्या के मामले में आरोपी सौतेले पिता को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया. पीठासीन अधिकारी राकेश गोयल ने सात साल पुराने इस बहुचर्चित हत्याकांड में मंगलवार को फैसला सुनाया. उक्त घटना भैंसरोड़गढ़ थाना क्षेत्र के चैनपुरा गांव की है.
अतिरिक्त लोक अभियोजक फरीद मिर्जा ने बताया कि आरोपी नानूराम भील को दोषी मानते हुए धारा 302 में उम्रकैद और 5 लाख रुपए जुर्माने के साथ ही उस पर धारा 201 के तहत सात साल कारावास, 10 हजार जुर्माना और धारा 323 में एक साल का कारावास और एक हजार का अर्थदंड लगाया गया है. इस मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए 16 गवाह और 34 दस्तावेज साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए.
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ये था मामला - जिले के कृपापुर जांबुदीप ग्राम निवासी बगदीराम भील ने 25 अक्टूबर, 2016 को नानूराम भील के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था. जिसमें बताया गया था कि बगदीराम भील की बहन काली ने घटना से 5 साल पहले चैनपुरा निवासी नानूराम भील से नाता विवाह किया था. वहीं, नाता विवाह के पूर्व काली के पहले पति कालू से 8 साल का बेटा प्रह्लाद और 5 साल की बेटी शारदा थी और दोनों अपनी मां के साथ रहते थे. वहीं, 23 अक्टूबर को नानूराम ने दोनों ही बच्चों को उसके पिता के यहां छोड़ने की बात पर पत्नी काली से मारपीट की.
झगड़ा इतना बढ़ गया कि नानूराम ने अपने सौतेले बेटे प्रह्लाद के सिर पर लकड़ी से वार कर दिया. जिसमें उसकी मौत हो गई. इधर, मौत के बाद आरोपी सौतेले पिता ने साक्ष्य मिटाने के लिए शव को नाले में फेंक दिया और एक घंटे के बाद वो घर पहुंचा. लेकिन बेटे प्रह्लाद को उसके साथ न देख उसकी मां काली और पड़ोसी उसे ढूंढने लगे. वहीं, घटना के दूसरे दिन प्रह्लाद का शव गांव के बाहर नाले से बरामद किया गया. इसके बाद भैंसरोड़गढ़ पुलिस ने आरोपी नानूराम को गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश किया. लेकिन तब से ही ये मामला कोर्ट में चल रहा था और आखिरकार मंगलवार को कोर्ट ने उक्त मामले में फैसला सुनाते हुए दोषी सौतेले पिता को आजीवन कारावास के साथ ही उस पर 5 लाख का अर्थदंड लगाया है.