चितौड़गढ़. देश भर में कोरोना संक्रमण के चलते 22 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था. इसी संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थलों को भी बंद करने का निर्णय लिया था. उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग चरणों में लॉकडाउन रियायतें देने के निर्णय लिए गए. इसमें धार्मिक स्थलों को भी खोलने का निर्णय लिया गया था. इस सूचना पर जिले में भी विभिन्न धार्मिक स्थलों पर साफ सफाई का काम शुरू कर दिया गया था. लेकिन राज्य सरकार की ओर से दिए गए एक निर्णय के बाद यह तैयारियां धरी की धरी रह गई. ऐसे में चितौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है.
जानकारी के अनुसार देश भर में लॉकडाउन 5 में धार्मिक स्थलों को भी खोलने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था. इसकी सूचना मिलने के बाद जिला मुख्यालय पर विश्व विख्यात चितौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर सहित जिले के अन्य मंदिरों में तैयारियां शुरू कर दी थी. करीब ढाई माह बाद मंदिर खुलने की आस जगी थी. ऐसे में चितौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर में साफ सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया था.
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सरकार की ओर से दिए गए निर्देशों के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग और आने वाले दर्शनार्थियों को सैनिटाइज करने के लिए भी विशेष इंतजाम कर दिए. इतना ही नहीं मंदिर में कोई घंटी नहीं बजाए इसके लिए भी तैयारी करते हुए मंदिर में घण्टी पर कपड़ा बांध दिया था. लेकिन गत 7 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और संतों के बीच वीडियो कॉनफ्रेंसिंग हुई थी. इसमें धार्मिक स्थलों को खोलने का फैसला मुख्यमंत्री पर छोड़ा गया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस महीने के आखिरी तक धार्मिक स्थलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था. इस निर्णय के बाद मंदिरों की ओर से की गई तैयारियां धरी रह गई.
कालिका माता मंदिर के महंत रामनारायण पूरी बताया कि, पहले मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोलने की तैयारी कर ली थी. बाद में वीसी में मुख्यमंत्री ने इस माह के अंत में मंदिर खोलने की बात कही है. सरकार के आदेशों की पालना की जा रही है.
वहीं इस फैसले के बाद मंदिर के पुजारियों के साथ मंदिर में दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को भी काफी मायूसी हुई है. अब जबकि इस महीने का अंतिम सप्ताह तक धार्मिकस्थलों को बंद करने का निर्णय राज्य सरकार की ओर से लिया जा चुका है, तो एक बार फिर से मंदिर के पुजारियों और उसके साथ ही दर्शनार्थियों को भी इंतजार करना पड़ेगा. जब राज्य सरकार इन धार्मिक स्थलों को खोलने का निर्णय लेती है. इधर, चितौड़ दुर्ग पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर के आस-पास तो क्या दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है.