चित्तौड़गढ़. 29 दिसंबर को नई पुलिया मार्ग पर दिनदहाड़े 25 लाख रुपए की लूट के मामले में पूछताछ के दौरान हर रोज नई बातें सामने आ रही है. हालांकि गैंग के मुखिया साहिल बैरागी के साथ उसके दो साथियों प्रभु सिंह और नरेंद्र उर्फ नैनू गुर्जर की तलाश अब भी जारी है. इस मामले में रिमांड पर चल रहे आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि वारदात को अंजाम देने के बाद साहिल अपने पिता राजकुमार और एक अन्य साथी के साथ उदयपुर रोड निकला था.
पुलिस पड़ताल के दौरान गाड़ी टोल सहित रास्ते में पड़ने वाले सीसीटीवी फुटेज में यह स्पष्ट हो गया कि वारदात को अंजाम देने वाला साहिल की था. इन लोगों ने उदयपुर रोड पकड़ने के बाद थोड़ा चौराहे से अपना रास्ता बदल लिया और भदेसर निकुंभ होते हुए प्रतापगढ़ निकल गए, वहां से सीधे वारदात में शामिल मंदसौर के सीतामऊ थाना क्षेत्र में मंगल और सुनील दास बैरागी के पैतृक गांव लादुना पहुंच गए.
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बैंक कर्मचारी को दिए एक लाख
वारदात को अंजाम देने के बाद साहिल ने लूटी गई 25 लाख रुपए की रकम में से 1 लाख बैंक के चपरासी हेमेंद्र सिंह और इतनी ही राशि उससे दोस्ती कराने वाले को दे दी गई.
नई गाड़ी के लिए निकालें 6 लाख
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि वारदात को अंजाम देने के बाद यह लोग सीधे लादुना चले गए. साहिल के साथ भागने वालों में उसका पिता राजकुमार भी शामिल था. वहां जब यह लोग पूरी तरह से निश्चिंत हो गए तो साहिल ने अपने पिता को नई गाड़ी लेने के लिए तैयार किया और एक कार भी बुक करवा दी. राजकुमार कार लेने के लिए 2 लाख लेकर रास्ते में चल रहा था कि पुलिस पहुंच गई और उसे दबोच लिया. कड़ाई से पूछताछ में 14 लाख रुपए लदुना गांव में ही मिल गए, जबकि वारदात की सफलता को देखते हुए इन लोगों ने पास में ही पड़ने वाले किसी देवरे पर भी 50 हजार चढ़ाएं.
मुखबिर से खुला राज
पिछले कुछ सालों में किसी भी वारदात को खोलने में मोबाइल कारगर भूमिका के रूप में सामने आया है, लेकिन इस वारदात में आरोपियों ने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया और व्यापारी बसंतीलाल का मोबाइल भी पास ही फेंक गए थे. ऐसे में पुलिस ने पूरी तरह से इंटेलिजेंस अपनाकर और सादे वस्त्रों में बैंक के आसपास आदमी लगाए गए. वहीं मुखबिर तंत्र को भी मजबूत किया गया.
दूसरे ही दिन बैंक कर्मचारी हेमेंद्र पुलिस के रडार पर आ गया, लेकिन लूट की रकम और अन्य आरोपियों तक पहुंचने के मकसद से उसे भनक तक नहीं पड़ने दी गई. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर चौथे दिन जब साहिल की लिप्तता साफ हो गई, उसके बाद पुलिस की नजर पूरी तरह से साहिल के छुपने के स्थानों पर केंद्रित हो गई, लेकिन स्थानीय स्तर पर वारदात में शामिल लोगों को प्लानिंग के तहत भनक तक नहीं लगने दी गई.
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जिला पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव के अनुसार वर्तमान में हर मामले को खोलने में तकनीकी काफी सहायक सिद्ध हो रही है, लेकिन यह मामला पूरी तरह से इंटेलिजेंस ई के आधार पर खोला गया. बता दें कि अनाज व्यापारी बसंती लाल जैन के साथ 29 दिसंबर को 25 लाख रुपए की लूट हुई थी. पुलिस अब तक इस मामले में 6 जनों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि गैंग के सरगना साहिल सहित दो अन्य आरोपियों की सरगर्मी से तलाश कर रही है.