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चित्तौड़गढ़ः मूर्तिकारों के लिए गणेश महोत्सव रहा फीका, नवरात्रि से भी नहीं है आस

कोरोना गाइडलाइन के अनुसार इस बार नवरात्रि में गरबा का आयोजन नहीं होगा. साथ ही पंडाल भी नहीं सजाए जाएंगे. इस कारण कई जगहों पर नवरात्र में मूर्ति स्थापना भी नहीं हो पाएगी. यदि मूर्तियों की बिक्री नहीं हुई तो मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी.

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मूर्तियों की बिक्री पर पड़ा कोरोना का असर
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Published : Oct 9, 2020, 9:14 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मुर्तिकारों के लिए गणेश महोत्सव फीका रहा. साथ ही उन्हें इस बार नवरात्रि से भी कुछ खास आस नहीं है. क्योंकि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार इस बार नवरात्रि में गरबा का आयोजन नहीं होगा. साथ ही पंडाल भी नहीं सजाए जाएंगे. जिसके कारण कई जगहों पर नवरात्रि में मूर्ति स्थापना भी नहीं हो पाएगी. इस बात को लेकर प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियां बनाने वाले कलाकार काफी चिंतित हैं. यदि मूर्तियों की बिक्री नहीं हुई तो मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी.

मूर्तिकार आनंद मौग्या ने बताया कि उनके परिवार के नौ सदस्यों का जीवन व्यापन इसी व्यवसाय से होता है. लेकिन कोरोना के चलते उन्हें इस समय दैनिक मजदुरी भी नसीब नहीं हो पा रही है. विगत एक महीने से परिवार के सदस्यों ने मिलकर 250 छोटी-बड़ी मूर्तियां तैयार की हैं. लेकिन अभी तक एक भी मूर्ति नहीं बिक पाई है. जबकि, आगामी 17 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू होने जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः किसानों ने की अधिक बिजली के बिल की शिकायत, सांसद ने अफसरों को दिए समाधान के निर्देश

बता दें कि मूर्ति निर्माताओं ने नवरात्रि में मूर्ति स्थापना के लिए एक फीट से 5 फीट तक की मूर्तियां बनाई हैं. जिनकी कीमत सौ रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक है. लेकिन मूर्तिकार मन ही मन आशंकित हैं कि, कहीं ऐसा ना हो जाए की मूर्ति निमार्ण में लगाई गई लागत परिवार को कर्ज तले ना दबा दे.

कपासन (चित्तौड़गढ़). कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मुर्तिकारों के लिए गणेश महोत्सव फीका रहा. साथ ही उन्हें इस बार नवरात्रि से भी कुछ खास आस नहीं है. क्योंकि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार इस बार नवरात्रि में गरबा का आयोजन नहीं होगा. साथ ही पंडाल भी नहीं सजाए जाएंगे. जिसके कारण कई जगहों पर नवरात्रि में मूर्ति स्थापना भी नहीं हो पाएगी. इस बात को लेकर प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियां बनाने वाले कलाकार काफी चिंतित हैं. यदि मूर्तियों की बिक्री नहीं हुई तो मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी.

मूर्तिकार आनंद मौग्या ने बताया कि उनके परिवार के नौ सदस्यों का जीवन व्यापन इसी व्यवसाय से होता है. लेकिन कोरोना के चलते उन्हें इस समय दैनिक मजदुरी भी नसीब नहीं हो पा रही है. विगत एक महीने से परिवार के सदस्यों ने मिलकर 250 छोटी-बड़ी मूर्तियां तैयार की हैं. लेकिन अभी तक एक भी मूर्ति नहीं बिक पाई है. जबकि, आगामी 17 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू होने जा रहा है.

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बता दें कि मूर्ति निर्माताओं ने नवरात्रि में मूर्ति स्थापना के लिए एक फीट से 5 फीट तक की मूर्तियां बनाई हैं. जिनकी कीमत सौ रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक है. लेकिन मूर्तिकार मन ही मन आशंकित हैं कि, कहीं ऐसा ना हो जाए की मूर्ति निमार्ण में लगाई गई लागत परिवार को कर्ज तले ना दबा दे.

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