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राजपूत करणी सेना ने प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, ये की मांग

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Published : Mar 13, 2021, 5:51 PM IST

चित्तौड़गढ़ में राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने शनिवार दोपहर कलेक्ट्री परिसर पहुंचकर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा कि गत दिनों कुछ समाज विशेष के सदस्यों की ओर से कालिका माता मंदिर पर धार्मिक अनुष्ठान गोठ, प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया था. इसी को लेकर राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने ज्ञापन पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

Rajput Karni army submitted memorandum, राजपूत करणी सेना ने सौंपा ज्ञापन
राजपूत करणी सेना ने सौंपा ज्ञापन

चित्तौड़गढ़. जिले के विश्व प्रसिद्ध दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर पर गत दिनों समाज विशेष के लोगों की ओर से धार्मिक अनुष्ठान, गोठ और प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया था. जिसके बाद शनिवार को पुनर्विचार करने के लिए राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में इन्होंने पूरानी परम्परा से पूजा पद्धति जारी रखने की मांग की है.

राजपूत करणी सेना ने सौंपा ज्ञापन

जानकारी के अनुसार राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने शनिवार दोपहर कलेक्ट्री परिसर पहुंचकर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा कि गत दिनों कुछ समाज विशेष के सदस्यों की ओर से कालिका माता मंदिर पर धार्मिक अनुष्ठान गोठ, प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया था. इसी को लेकर श्री राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने ज्ञापन पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

पढ़ें- Exclusive: दलित जनप्रतिनिधियों के साथ अन्याय, CM के गृह जिले जोधपुर से करेंगे बड़ा आंदोलन : बेनीवाल

ज्ञापन में कहा गया है कि हर धर्म संप्रदाय की अलग धार्मिक आस्था और विभिन्न पूजा पद्धतियां और रिवाज होते हैं, जो कि प्राचीन काल से चली आ रही है. इसी में चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर के आसपास गोठ, प्रसादी, धार्मिक आस्था के अनुसार हिंदू धर्म के विभिन्न समाजों की ओर से की जाती रही है. कालिका माता की पूजा सैकड़ों वर्षो से शास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार होती आ रही है, आज भी उसी प्रकार की जा रही है और हिंदू मान्यताओं के अनुसार कालिका माता में आस्था रखने वाले अपने मनोकामनाएं पूरी होने के बाद बोलमा उतारने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है.

इसकी जानकारी देते हुए समाज के सदस्य और अधिवक्ता एसपी सिंह ने बताया कि समाज विशेष के लोगों ने कुछ दिनों पूर्व जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कालिका मंदिर के आसपास गोठ, प्रसादी और धार्मिक रीति को प्रतिबंध करने की मांग की थी, जो कि पूरी तरह से अनुचित है. यह हिंदू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है जो कि पूर्ण रूप से गलत है.

उन्होंने बताया कि कालिका माता में आस्था रखने वाले पूरे राजस्थान, गुजरात मध्यप्रदेश, हरियाणा और देश के अन्य प्रांतों से भी हजारों लोग अपनी बोलमा पूरी करने के लिए दुर्ग पर आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि विगत 70 सालों से चित्तौड़ दुर्ग पर कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं, जिसमें दुर्ग की दीवार को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई गई है.

पढ़ें- नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क: गुलाबी नगरी में घूमने आये हैं, तो इस 'Wildlife' का आनंद जरूर लें, जानें क्या है खास

उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि हिंदू धर्म की मान्यता एवं पूजा की रीति नीति को यथावत तरीके से चलने दिया जाए, जिससे कि सामाजिक सौहार्द बना रहे और कोई भी हमारी धार्मिक आस्था में हस्तक्षेप ना करें. इस अवसर पर राजपूत करणी सेना के सैकड़ों की संख्या में सदस्य मौजूद रहे.

चित्तौड़गढ़. जिले के विश्व प्रसिद्ध दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर पर गत दिनों समाज विशेष के लोगों की ओर से धार्मिक अनुष्ठान, गोठ और प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया था. जिसके बाद शनिवार को पुनर्विचार करने के लिए राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में इन्होंने पूरानी परम्परा से पूजा पद्धति जारी रखने की मांग की है.

राजपूत करणी सेना ने सौंपा ज्ञापन

जानकारी के अनुसार राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने शनिवार दोपहर कलेक्ट्री परिसर पहुंचकर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा कि गत दिनों कुछ समाज विशेष के सदस्यों की ओर से कालिका माता मंदिर पर धार्मिक अनुष्ठान गोठ, प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया था. इसी को लेकर श्री राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने ज्ञापन पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

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ज्ञापन में कहा गया है कि हर धर्म संप्रदाय की अलग धार्मिक आस्था और विभिन्न पूजा पद्धतियां और रिवाज होते हैं, जो कि प्राचीन काल से चली आ रही है. इसी में चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर के आसपास गोठ, प्रसादी, धार्मिक आस्था के अनुसार हिंदू धर्म के विभिन्न समाजों की ओर से की जाती रही है. कालिका माता की पूजा सैकड़ों वर्षो से शास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार होती आ रही है, आज भी उसी प्रकार की जा रही है और हिंदू मान्यताओं के अनुसार कालिका माता में आस्था रखने वाले अपने मनोकामनाएं पूरी होने के बाद बोलमा उतारने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है.

इसकी जानकारी देते हुए समाज के सदस्य और अधिवक्ता एसपी सिंह ने बताया कि समाज विशेष के लोगों ने कुछ दिनों पूर्व जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कालिका मंदिर के आसपास गोठ, प्रसादी और धार्मिक रीति को प्रतिबंध करने की मांग की थी, जो कि पूरी तरह से अनुचित है. यह हिंदू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है जो कि पूर्ण रूप से गलत है.

उन्होंने बताया कि कालिका माता में आस्था रखने वाले पूरे राजस्थान, गुजरात मध्यप्रदेश, हरियाणा और देश के अन्य प्रांतों से भी हजारों लोग अपनी बोलमा पूरी करने के लिए दुर्ग पर आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि विगत 70 सालों से चित्तौड़ दुर्ग पर कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं, जिसमें दुर्ग की दीवार को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई गई है.

पढ़ें- नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क: गुलाबी नगरी में घूमने आये हैं, तो इस 'Wildlife' का आनंद जरूर लें, जानें क्या है खास

उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि हिंदू धर्म की मान्यता एवं पूजा की रीति नीति को यथावत तरीके से चलने दिया जाए, जिससे कि सामाजिक सौहार्द बना रहे और कोई भी हमारी धार्मिक आस्था में हस्तक्षेप ना करें. इस अवसर पर राजपूत करणी सेना के सैकड़ों की संख्या में सदस्य मौजूद रहे.

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