चित्तौड़गढ़. देश और प्रदेश में रोगी दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण सरकारी गाइडलाइन की पालना के प्रति लापरवाही माना जा रहा है. वहीं वैक्सीनेशन को लेकर भी लोग गंभीरता नहीं बरत रहे हैं. यहां तक की फ्रंटलाइन वर्कर माने जाने वाले मेडिकल और सरकारी कार्मिक का वैक्सीनेशन भी 90% तक ही पहुंच पाया. वहीं तीसरे चरण के आंकड़े तो और भी चिंताजनक है.
45 से लेकर 60 साल तक के गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों के साथ साथ 60 वर्ष से अधिक की उम्र के बुजुर्गों के लिए चलाए जा रहे इस चरण में अब तक केवल 28% ही वैक्सीनेशन करवाने पहुंचे, जबकि कोरोना का सबसे अधिक खतरा इस वर्ग को ही माना गया है.
चिकित्सा विभाग से वैक्सीनेशन के मिले आंकड़ों के अनुसार तीसरे चरण में लगभग ढाई लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके मुकाबले अब तक केवल 55000 का ही टीकाकरण हो पाया है. कुल मिलाकर वैक्सीनेशन का आंकड़ा 28% ही पहुंच पाया है जोकि चिंताजनक कहा जा सकता है क्योंकि कोरोना का सबसे अधिक खतरा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों के साथ-साथ बुजुर्ग लोगों को अधिक माना गया है.
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इसी प्रकार पहले चरण की बात करें तो 16 फरवरी तक 12414 मेडिकल भरकर के टीके लगाने के लक्ष्य के मुकाबले 10828 चिकित्सा कर्मियों ने टीका लगवा लिया. वहीं 1586 अब तक टीका लगवाने नहीं पहुंचे. 28 दिन के अंतराल में दूसरी डोज भी लगानी थी लेकिन पहली रोज लगवाने वालों में से भी 1556 स्वास्थ्य कर्मी दूसरा टीका लगवाने नहीं आए.
चिकित्सा विभाग के अनुसार पहले और दूसरे चरण को मिलाकर कुल 25330 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य दिया गया था. जिनमें से 23023 का टीकाकरण हो पाया अर्थात 2507 लोग पहली रोज लगवाने नहीं पहुंचे. जिला कलेक्टर केके शर्मा ने भी तीसरे चरण में वैक्सीनेशन की धीमी गति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए हर व्यक्ति को गंभीर होना होगा क्योंकि वैक्सीनेशन के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है.
हम जनप्रतिनिधि हो या फिर धर्म गुरु और सामाजिक संगठन सभी से संपर्क कर उन्हें अपने परिवार के बुजुर्ग लोगों कब एक्टिवेशन करवाने का आग्रह कर रहे हैं. निश्चित ही लोग कोरोना के खतरे को देखते हुए वैक्सीनेशन करवाने के लिए आगे आएंगे.