चित्तौड़गढ़. कपासन उप कारागृह में कथित रूप से जेल कर्मियों की मारपीट में घायल बंदी की गुरुवार को जिला चिकित्सालय में उपचार के दौरान मौत हो गई. बंदी की मौत की सूचना पर परिवार के साथ समाज के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. परिजन औऱ समाज के लोग कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठ गए. उनकी मांग थी कि मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषी जेलकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. इस बीच कलेक्ट्रेट और मुर्दाघर पर एहतियात के तौर पर पुलिस जाप्ता तैनात किया गया है. जेल प्रशासन की ओर से मामले की मजिस्ट्रेट जांच के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र भेजा गया है.
पुलिस को स्थाई वारंटी के तौर पर मेवदा कॉलोनी निवासी सुरेश (55) पुत्र नारायण कंजर की काफी दिनों से तलाश थी. पुलिसकर्मियों ने 18 मार्च को उसे न्यायालय में पेश करने को कहा था. इस पर परिवार के लोग उसे 27 मार्च को कपासन न्यायालय ले गए जहां से उसे जेल भेज दिया गया, लेकिन 10 दिन बाद भी सुरेश के केस संबंधी वारंट फाइल नहीं पहुंची. इस कारण उसकी जमानत नहीं हो पाई.
परिजनों का आरोप था कि 5 अप्रैल को सुरेश की पत्नी और परिवार के अन्य लोग कपासन उप कारागृह मुलाकात करने के लिए गए तो बताया गया कि सुरेश चित्तौडग़ढ़ जिला चिकित्सालय में भर्ती है. यह सुनकर सभी स्तब्ध रह गए क्योंकि जेल प्रशासन ने उन्हें इस बारे में कोई सूचना ही नहीं दी थी. वे लोग जिला चिकित्सालय पहुंचे तो सुरेश से नहीं मिलने दिया गया. परिजनों के अनुसार सुरेश की पीठ पर मारपीट के निशान थे.
सूचना पर अधिवक्ता प्रकाश कंजर बुधवार रात को हॉस्पिटल पहुंचे. इसी बीच बड़ी संख्या में मेवदा कॉलोनी से कंजर समाज के लोग भी पहुंच गए. मामले की जांच करवाने की मांग को लेकर समाज के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे थे, तभी हॉस्पिटल से सुरेश की मौत होने की सूचना आई. इससे लोग भड़क गए और कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. अधिवक्ता प्रकाश कंजर का कहना था कि हमारी मांग है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाकर संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
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जेल में साथ रहे लोगों ने की सेवा
गत दिनों पुलिस की ओर से एक साथ जिले भर में की गई कार्रवाई के दौरान मेवदा कॉलोनी से आधा दर्जन वांछित लोगों को पुलिस ने पकड़ा था जिन्हें जेल भेज दिया गया था. उनमें शामिल प्रकाश कंजर और रामा कंजर की दो दिन पहले ही जमानत हुई. उन लोगों का आरोप है कि 3 अप्रैल को जेल कर्मचारियों ने सुरेश को जमकर मारा पीटा गया जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गया था. उसकी पीठ नीली पड़ गई थी. जेल कर्मचारियों ने सुरेश की पीठ पर उन लोगों से मालिश भी करवाई थी. इस दौरान सुरेश ने मारपीट की घटना के बारे में उन्हें बताया था.
मजिस्ट्रेट की देखरेख में होगा पोस्टमार्टम
पुलिस उपाधीक्षक जिला जेल योगेश कुमार तेजी ने मारपीट की घटना से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि वह बीमार था और इलाज के लिए उसे जिला चिकित्सालय लाया गया था. मामले की न्यायिक जांच के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र भेजा गया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से आदेश के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू होगी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी.