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चित्तौड़गढ़ : जन्माष्टमी पर सांवलियाजी मंदिर में हुई विशेष आरती...रद्द किए गए सारे कार्यक्रम - Chittorgarh news

चित्तौड़गढ़ में बुधवार की रात को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. कोरोना के कारण मंदिरों में सिर्फ पुजारियों ने पूजा-पाठ किया. इस बार मटकी फोड़ प्रतियोगिता सहित सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए.

राजस्थान हिंदी न्यूज, Janmashtami celebrated in Chittorgarh
उल्लास के साथ मनी जन्माष्टमी
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Published : Aug 13, 2020, 11:42 AM IST

चित्तौड़गढ़. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी बुधवार की आधी रात को श्री कृष्ण की जन्म की खुशियां मनाई गई. 'हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की' के जयकारे से शहर के कई मंदिर गूंज उठे. जिले के मंडफिया स्थित कृष्णधाम में जन्मोत्सव पर आधी रात को विशेष आरती हुई. भगवान के समक्ष पुजारियों ने केक काट कर जन्मोत्सव मनाया.

उल्लास के साथ मनी जन्माष्टमी

जानकारी के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के बाद माखन मिश्री आदि के प्रसाद और पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई. जन्माष्टमी का उपवास रखने वाले व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद लिया. इसके बाद फलाहार ग्रहण किया. कोरोना का प्रकोप रहने के कारण मंदिरों में केवल पुजारियों ने ही पूजा-अर्चना और विशेष शृंगार किया. मंदिरों में साज-सजावट की गई.

सांवलिया सेठ मंदिर में सिर्फ पुजारी ने किया पूजा...

जिले के सबसे बड़े मंदिर श्री सांवलिया सेठ मंदिर में परंपरा के अनुसार कार्यक्रम हुए. यहां हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर श्री सांवलियाजी मंदिर में रात 12 बजने के साथ ही विशेष आरती हुई. पुजारी ने पंचामृत से भगवान को स्नान कराया, रंग-बिरंगे फूलों से श्रृंगार किया गया. माखन, मिश्री, खीर, मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाया. इसके बाद महाआरती हुई.

राजस्थान हिंदी न्यूज, Janmashtami celebrated in Chittorgarh
भक्तों ने केक काट मनाया उत्सव

कोरोना संक्रमण होने के कारण आमजन के लिए मंदिर में प्रवेश निषेध था. मौके पर केवल पुजारीगण और कमेटी के सदस्य ही मौजूद रहे. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखकर सभी श्रद्धालुओं ने अपने घर में ही बाल कृष्ण की झांकी सजाई. वहीं, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार होने वाले सभी आयोजनों को रद्द कर दिया गया. कई जगहों पर मटका फोड़ प्रतियोगिता होती है, उसे भी रद्द करना पड़ा.

यह भी पढ़ें. Special : जन्माष्टमी पर फीकी पड़ी 'छोटी काशी' की रौनक...इस बार टूट जाएगी 300 साल पुरानी परंपरा

दूसरी तरफ कुछ जगहों पर ग्रामीण क्षेत्रों में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. जन्म लेने से पहले ही ठाकुरबाड़ियों में भजन-कीर्तन हुआ और आधी रात के बाद भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. ग्रामीण इलाके में पुरुष के साथ-साथ महिला भक्तजनों की भी भीड़ बुधवार सुबह से ही मंदिरों में पूजा के लिए जुटने लगी थी.

चित्तौड़गढ़. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी बुधवार की आधी रात को श्री कृष्ण की जन्म की खुशियां मनाई गई. 'हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की' के जयकारे से शहर के कई मंदिर गूंज उठे. जिले के मंडफिया स्थित कृष्णधाम में जन्मोत्सव पर आधी रात को विशेष आरती हुई. भगवान के समक्ष पुजारियों ने केक काट कर जन्मोत्सव मनाया.

उल्लास के साथ मनी जन्माष्टमी

जानकारी के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के बाद माखन मिश्री आदि के प्रसाद और पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई. जन्माष्टमी का उपवास रखने वाले व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद लिया. इसके बाद फलाहार ग्रहण किया. कोरोना का प्रकोप रहने के कारण मंदिरों में केवल पुजारियों ने ही पूजा-अर्चना और विशेष शृंगार किया. मंदिरों में साज-सजावट की गई.

सांवलिया सेठ मंदिर में सिर्फ पुजारी ने किया पूजा...

जिले के सबसे बड़े मंदिर श्री सांवलिया सेठ मंदिर में परंपरा के अनुसार कार्यक्रम हुए. यहां हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर श्री सांवलियाजी मंदिर में रात 12 बजने के साथ ही विशेष आरती हुई. पुजारी ने पंचामृत से भगवान को स्नान कराया, रंग-बिरंगे फूलों से श्रृंगार किया गया. माखन, मिश्री, खीर, मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाया. इसके बाद महाआरती हुई.

राजस्थान हिंदी न्यूज, Janmashtami celebrated in Chittorgarh
भक्तों ने केक काट मनाया उत्सव

कोरोना संक्रमण होने के कारण आमजन के लिए मंदिर में प्रवेश निषेध था. मौके पर केवल पुजारीगण और कमेटी के सदस्य ही मौजूद रहे. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखकर सभी श्रद्धालुओं ने अपने घर में ही बाल कृष्ण की झांकी सजाई. वहीं, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार होने वाले सभी आयोजनों को रद्द कर दिया गया. कई जगहों पर मटका फोड़ प्रतियोगिता होती है, उसे भी रद्द करना पड़ा.

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दूसरी तरफ कुछ जगहों पर ग्रामीण क्षेत्रों में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. जन्म लेने से पहले ही ठाकुरबाड़ियों में भजन-कीर्तन हुआ और आधी रात के बाद भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. ग्रामीण इलाके में पुरुष के साथ-साथ महिला भक्तजनों की भी भीड़ बुधवार सुबह से ही मंदिरों में पूजा के लिए जुटने लगी थी.

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