चितौड़गढ़. कोरोना वायरस के खौफ के चलते सभी उद्योग धंधे बंद हैं. वहीं खेती पर भी इसका काफी असर पड़ा है. चित्तौड़गढ़ जिले का सुखवाड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र भिंडी के उत्पादन को लेकर हब माना जाता है. यहां से प्रतिदिन 50 टन से ज्यादा सब्जी राजस्थान के अन्य शहरों के अलावा पंजाब तक भेजी जाती है. लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से भिंडी हब पर बुरा असर पड़ा है. किसान भिंडी को कम दामों पर बेचने पर मजबूर हैं. वहीं भिंडी उगाने वाले किसानों के सामने समस्या है कि वे न तो इसे बाहर भेज पा रहे हैं और न ही लोकल लोग खरीद रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में उत्पादन बढ़ता है तो भिंडी को फेंकने की नौबत आ जाएगी.
इस साल आवागमन साधन बंद होने से भिंडी की सब्जी अन्य शहरों में नहीं जा पा रही है. इस समय किसान सस्ते दाम पर भिंडी की सब्जी बेचने को मजबूर हो रहे हैं. इससे किसानों को इस साल लाखों रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. नुकसान का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जो भिंडी शुरुआत में 80 रुपए किलो बिकती है. वही भिंडी को किसान अभी 22 से 25 रुपये प्रति किलो रुपए पर बेचने पर मजबूर हैं.
सुखवाड़ा में 200 बीघा में बोई गई है भिंडी
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सुखवाड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय है. इसमें अकेले सुखवाड़ा गांव में करीब 800 घरों की आबादी है. जिसमें सभी खेती पर आश्रित हैं. वहीं इस गांव के समीप घोसुंडा बांध है. जिससे सिंचाई के लिए पानी की कोई कमी नहीं है. किसान यहां पर व्यवसायिक फसल उत्पादन में ज्यादा रुचि दिखाते हैं.
ऐसे में इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में भिंडी की बुवाई होती है. यहां करीब 200 बीघा से अधिक क्षेत्र में इस साल भी भिंडी की सब्जी बोई गई है. यहां इतना भिंडी का उत्पादन होता है कि चित्तौड़गढ़ जिले के अलावा भी अन्य शहरों में भी बिक्री के लिए भिंडी भेजी जाती है.
लॉकडाउन में लोकल भी नहीं खरीद पा रहे भिंडी
हर साल यहां से भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, राजसमंद, उदयपुर के अलावा भी पंजाब तक भिंडी भेजी जाती रही है. किसानों को बाहर जाने पर उपज के अच्छे दाम मिल जाते हैं लेकिन इस भिंडी की सब्जी पर लॉकडाउन की मार है. जिससे भिंडी की सब्जी अभी बाहर के शहरों में ज्यादा दूर नहीं जा पा रही है. अभी शुरुआती दौर में करीब 3 से 4 पिकअप प्रतिदिन बिक्री के लिए जा रहे हैं.
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किसानों का कहना है कि प्रतिदिन 50 टन भिंडी का उत्पादन होगा लेकिन बाजार तक पहुंच नहीं है. वहीं वाहनों के बंद होने के साथ ही लॉकडाउन के कारण स्थानीय लोग भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में किसान भिंडी ना तो बाहर भेज पा रहे हैं और ना ही लोकल मार्केट में बेच पा रहे हैं. जिससे किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.
मात्र 3 लोग दूसरे जिलों में कर रहे भिंडी की सप्लाई
हर साल भिंडी की सब्जी का तौल कर बाहर भेजने के लिए करीब 8 स्थानों पर कांटे लगते हैं. यहां किसान अपनी उपज लाते हैं और तौल कर बाहर भेजते हैं लेकिन इस साल तीन स्थानों पर ही कांटे लगे हुए हैं. इसका कारण यह है कि कई लोग इस व्यवसाय से जुड़ गए थे लेकिन इस साल वाहनों के लिए अनुमति भी लेनी पड़ रही है.
वहीं बाहर वाहन भेजने को अनुमति नहीं मिल रही है. गांव में तीन व्यक्ति ही भिंडी बाहर भेज रहे हैं. उनकी स्वयं की खेती भी है और वाहन भी है. ऐसे में वे प्रशासन से अनुमति लेकर उदयपुर और राजसमंद तक तो भिंडी भेज रहे हैं लेकिन अन्य जिलों पंजाब भिंडी की सब्जी नहीं जा पा रहे हैं. इसका सीधा-सीधा असर किसानों की आय पर पड़ रहा है.
भिंडी फेंकने की नौबत नी आ जाए
किसानों को प्रति किलो 60 रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं जानकारों की माने तो आगामी दिनों में भिंडी का उत्पादन और बढ़ जाएगा. ऐसे में भिंडी का मूल्य और कम होगा. किसान आशंका जता रहे हैं कि नौबत ये ना आ जाए कि भिंडी गायों को खिलानी पड़े या फेंकनी पड़े. भिंडी उगानेवाले किसानों को इस साल लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा. जिससे किसान चिंतित है.