चित्तौड़गढ़. होली पर प्राकृतिक गुलाल के उपयोग की सलाह दी जाती है, लेकिन पुष्प, पत्तियां आदि भी आसानी से नहीं मिलती है. वहीं चित्तौड़गढ़ शहर की एक संस्था मंदिरों में भगवान के चढ़े हुए पुष्प के अलावा अन्य शहर के आस-पास जंगल से पुष्प और पत्ते लाकर हर्बल गुलाल बना रहे हैं. इसमें घरेलू महिलाएं जुड़ी हुई है, जिससे कि उनकी आय में वृद्धि हो.
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जानकारी में सामने आया कि केन्द्र और राज्य सरकार की और से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके अलावा कई स्वयंसेवी संगठन भी इस कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इसी संदर्भ में चित्तौड़गढ़ शहर की उप नगरीय बस्ती चन्देरिया में श्रीनाथ स्वयं सहायता समूह की ओर से शहर की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए महिलाओं की ओर से मांग के अनुसार उत्पाद तैयार कर विक्रय किए जा रहे हैं.
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श्रीनाथ स्वयं सहायता समूह की संचालिका सुनिता शर्मा ने बताया कि उनके समूह से कई महिलाओं को जोड़ा गया है. इन महिलाओं को कई तरह के कार्यों से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें करीब 10 से 15 परिवारों को रोजगार भी मिल रहा है. महिलाओं की और से आर्टिफिशयल ज्वेलरी, बांदरवाल, डेकोरेशन आइटम, पर्स, क्ले आर्ट, राखी, दीपक जैसे कई सामान बनाए जा रहे हैं. यह कार्य घरेलू महिलाओं की ओर से अपने घर के काम के बाद बचे हुए समय में किया जाता है. उन्होंने बताया कि आगामी रंगो के त्योहार होली के देखते हुए उनके समूह की ओर से हर्बल गुलाल बनाई जा रही है.
इसके लिए वन क्षेत्रों से पलाश के फूल लाए जा रहे हैं, इसके साथ गुलाब, मोगरा, गेंदा, आरारोठ, चीकू, पालक जैसी प्राकृतिक वस्तुओं से यह गुलाल बनाई जा रही है. साथ ही मंदिरों में भगवान को चढ़ाने के बाद पुष्प आदि भी लाकर उन्हें सूखा कर गुलाल बनाने में काम लिया जा रहा है. इससे पुष्प का दोहरा उपयोग हो रहा है. जानकारी में यह भी सामने आया कि समूह की और से अब तक करीब 20 किलो गुलाल तैयार की जा चुकी है.
समूह की ओर से बनाई गई गुलाल का पहला ऑर्डर भी ऑनलाइन मलेशिया से आया है, जो एक अच्छी शुरुआत है. यह गुलाल प्राकृतिक वस्तुओं से बवनी होने से शरीर के लिए हानिकारक नहीं है. वहीं, बाजारों में मिलने वाली गुलाल से शरीर पर कई तरह के साईड इफेक्ट हो जाते हैं. लेकिन प्राकृतिक पुष्प, पत्तों से बनी गुलाल मंहगी होने से अभी स्थानीय स्तर पर इसकी मांग आशानुरुप नहीं आ रही है. फिलहाल शहर के चन्देरिया में कई महिलाएं इस कार्य से जुड़कर स्वावंलम्बन की ओर कदम बढ़ा रही है.