चित्तौड़गढ़. 25 दिसंबर को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड से गैस रिसाव ने अन्नदाताओं की मेहनत और उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. रिसाव ने ऐसा कहर बरपाया है कि खेतों में लहलहाते फसलें देखते-देखते झुलस गई हैं. इस गैस रिसाव ने एक-दो नहीं दर्जनों गांव को नुकसान पहुंचाया है.
चित्तौड़गढ़ जिले के पुठोली स्थित हिंदुस्तान जिंक के प्लांट से गैस रिसाव ने तबाही मचाई है. हालात यह हैं कि ग्रामीणों को आंखों में जलन की शिकायत हो रही है. वहीं पशु-पक्षी तक बेहाल हैं. इन गांवों की खेतों में खड़ी फसलें तबाही के मंजर की कहानी कह रही हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने प्रभावित गांवों का दौरा किया और किसानों से उनके दर्द को जाना.
हिंदुस्तान जिंक के प्लांट से गैस रिसाव के कारण खेतों में लहलहाती फसलें जैसे गेहूं, जौ, चना सहित हर प्रकार की फसलें पूरी तरह से सूख चुकी हैं. इन गांव की गैस रिसाव के दौरान दशा कितनी खराब होगी, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चार दिन हो गए, लेकिन गैस का असर खत्म नहीं हो पाया है.
अकेले एक गांव में 1000 बीघा फसलों को नुकसान...
फसलों का ऊपरी हिस्सा सूख चुका है. ऐसे में अब उनको ग्रोथ मिलना मुश्किल है और पूरी फसल का चौपट होना साफ दिख रहा है. मूंगा का खेड़ा, पुठोली, सालेरा, सूरजना, बिल्लियां सोनियाना आदि प्लांट के आसपास के एक दर्जन छोटे बड़े गांव में फसलों के यही हालात नजर आए. किसानों से हुई बातचीत में उनका दर्द उभर कर सामने आ गया. किसानों का कहना है कि अकेले मूंगा का खेड़ा में ही 1000 बीघा फसलों को नुकसान हुआ है.
मवेशी भी नहीं खा रहे गैस प्रभावित चारा...
किसानों की खेतों में लगी फसलें तो चौपट हो ही गई हैं. मवेशी गैस प्रभावित हरी घास को मूंह लगाने को तैयार नहीं हैं. अब अन्नदाताओं पर दोहरा संकट खड़ा हो गया है कि अब वे मवेशियों के लिए हरा चारा कहां से लाएंगे. पुठोली के किसानों की हिम्मत टूटने लगी है. एक तरफ उनके मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिर गया है. किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. वहीं अब उन्हें चिंता है कि उनके मवेशियों का क्या होगा, वो चारा कहां से लाएंगे. गैस से प्रभावित घास को तो जानवर खा ही नहीं रहे हैं. किसानों का कहना है कि आर्थिक हालात खराब है. ऐसे में बाहर से खरीदकर मवेशियों के लिए चारा लाना पड़ेगा.
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सर्वे की हो रही तैयारी...
हालांकि, गैस रिसाव की घटना के बाद नुकसान के सर्वे के लिए प्रशासन तैयारी कर रहा है. सर्वे की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है. फसली खराबे का आकलन शुरू हो गया है. इन दर्जनों गांव में नुकसान कितना हुआ यह तो प्रशासनिक स्तर पर किए जाने वाले सर्वे के बाद ही सामने आए पाएगा.
मुआवजा भी मिलेगा तो सरकारी रेट से...
किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजा मिलेगा भी तो सरकारी रेट से मिलेगा. ऐसे में उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है. जबकि उनका नुकसान उससे कई गुणा अधिक हुआ है. इन फसलों पर ही उनके परिवार का गुजर-बसर होता है.
किसानों को सता रही ये चिंता...
किसानों को चिंता इस बात को लेकर है कि फसलें खराब होने के बाद मार्केट से लाए गए पैसे कैसे चुका पाएंगे. जबकि फसली लोन अलग से ले रखा है. आखिरकार परिवार को चलाने के साथ-साथ सरकारी लोन और व्यापारियों की देनदारी किस प्रकार चुका पाएंगे? गैस प्रभावित गांवों के अधिकांश किसान इस चिंता में घुले नजर आ रहे हैं. फिलहाल सारे किसानों की नजर सर्वे रिपोर्ट पर टिकी है कि आखिर प्रशासन कितना नुकसान मानकर मुआवजे की रकम तय करता है. किसानों की सारी उम्मीदें अब सरकार पर टिकी है कि शायद सरकार कुछ राहत प्रदान करे.