चित्तौड़गढ़. जिले में मौसम विभाग की ओर से औसत बारिश 750 MM मानी जाती है. वहीं मानसून सीजन में जिले में बारिश का आंकड़ा केवल 640 MM तक ही पहुंच पाया है. नतीजतन सारे प्रमुख बांध और तालाब इस बार पानी नहीं होने के वजह से मैदान के रूप में नजर आ रहे हैं.
बारिश को देखते हुए किसानों ने कृषि विभाग की सलाह के अनुसार कम पानी की जरूरत वाली फसलों को ज्यादा तवज्जो दी. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 122200 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई. जबकि विभाग का लक्ष्य 140000 तक का था. इसी प्रकार 10000 के मुकाबले 8660 हेक्टेयर में जौ तथा 85000 हेक्टर में चना और 25000 हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 20500 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई.
बुवाई के बाद लगातार ठंड और मावठ इन फसलों के लिए कारगर होती दिखाई दे रही है. करीब 1 महीने तक अच्छी ठंड पड़ने के साथ ही फसलों के ग्रोथ के समय मावठ किसानों की उम्मीद जगाने वाले साबित हुए. उपनिदेशक कृषि विस्तार दिनेश जागा के अनुसार, हालांकि बरसात औसत के मुकाबले कम हुई लेकिन जिन काश्तकारों ने फसलें बोई है उन्हें इसका अच्छा फायदा मिल सकता है.
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गेहूं को अंतिम समय में एक और पानी मिल गया तो अच्छी पैदावार हो सकती है. वही चना और सरसों को अब पानी की जरूरत नहीं है. जिस प्रकार फसलों की ग्रोथ नजर आ रही है उससे निश्चित ही बंपर पैदावार की उम्मीद है.