कपासन (चित्तौड़गढ़). क्षेत्र में काले सोने के नाम से मशहूर अफीम की खेती करने वाले किसान दिन-रात अपनी फसल की सुरक्षा को लेकर खेतों में डटे हुए है. किसानों की ओर से अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए कई जतन किए जा रहे है.
किसानों का कहना है कि जिस तरह माता-पिता अपने नवजात की सुरक्षा करते है, इसी प्रकार किसान भी अफीम की फसल की सुरक्षा में दिन-रात लगे रहते है. विगत दिनों से लगातार कोहरा पड़ने से फसल में कोढनी रोग होने से पौधों के पत्ते खराब हो गए है, जिससे भी उत्पादन में गिरावट आती है.
किसान अपनी फसल को बचाने के किए अपने खेत के चारों ओर कपड़े की कनात लगाते है, ताकि कोई भी जानवर अंदर नहीं जा सके, एक दो बार यदी किसी पशु ने अफीम का फूलवा डोडा खा लिया, तो वह उसका आदी हो जाता है, फिर उसको रोकना असंभव सा होता है, वहीं तोते भी इस फसल को भारी नुकसान पहुंचाते है, अपनी नुकीली चोंच से वह डोडे को फोड़ देते है, जिससे उस डोडे से फिर अफीम नहीं आती है.
तोते अफीम की फसल के नशे आदी हो जाते है, इसके लिए अफीम किसान पूरे खेत के ऊपर जाली लगते है, ताकि तोते डोडे तक नहीं पहुंच पाए. गौरतलब है कि तोते जब अफीम के नशे के आदि हो जाते है, तब के वह किसी भी हद को पार कर अफीम की लत को पूरा करने का प्रयास करते है.