चित्तौड़गढ़. जिले के घोसुंडा बांध के पेटे से फसलों के लिए पानी निकासी का मामला अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है. पानी पर अपना हक जताते हुए किसान घोसुंडा बांध पर धरना दे रहे हैं. टकराव की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने किसान प्रतिनिधियों को बुलाया. जहां जिला परिषद सभागार में किसानों से इस मामले पर बातचीत करते हुए उनका पक्ष जाना गया.
किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि फसलों के लिए अंतिम दो पिलाई आवश्यक है अन्यथा सारी फसल बर्बाद हो सकती है. किसानों की बजाए हिंदुस्तान जिंक का पानी बंद करते हुए चित्तौड़गढ़ शहर के लिए पानी का कोटा आरक्षित किया जाए. वहीं जलदाय विभाग की ओर से बांध के पानी की स्थिति बताते हुए फसलों के लिए पानी देने में असमर्थता जताई गई. करीब 2 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. कुल मिलाकर इस मामले में गेंद जिला कलेक्टर के पाले में खिसका दी गई.
फसलों के लिए पानी उपलब्ध कराने की मांग के समर्थन में बड़ी संख्या में काश्तकार घोसुंडा बांध पर जमे है. भदेसर एसडीएम और पुलिस अधिकारियों ने समझाइश की, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए और अपनी मांग पर अड़े रहे. अंततः जिला कलेक्टर केके शर्मा ने उनके एक प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए कलेक्ट्रेट बुलाया. जहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर भूमि अवाप्ति अंबा लाल गुर्जर और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञान मल खटीक ने सभागार में उनसे बातचीत की और उनका पक्ष जाना.
किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि उन्हें केवल दो पिलाई का पानी चाहिए अन्यथा फसलें बर्बाद होगी और किसानों को कोरोना काल में भारी नुकसान होगा. हिंदुस्तान जिंक बड़ा समूह है और उसके हिस्से का पानी चित्तौड़ के लिए आरक्षित रखा जा सकता है. फसलें पकने के बाद वे खुद अपने ट्यूबवेल और कुएं चित्तौड़ शहर की प्यास बुझाने के लिए प्रशासन के सुपुर्द करने को तैयार है.
यहां तक कि सरसों और चने की खड़ी फसल को छोड़ने को तैयार है. केवल उन्हें गेहूं की फसल के लिए दो पिलाई करने की छूट दी जानी चाहिए. जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता ने बांध में उपलब्ध पानी की स्थिति रखते हुए बताया कि बांध में पानी तेजी से कम होता जा रहा है. अगर इसी प्रकार पानी का दोहन होता रहा तो शहर में पेयजल संकट की स्थिति भयावह हो सकती है.
अधिशासी अभियंता ने अगले 2 महीने की स्थिति देते हुए सिंचाई के लिए पानी देने के प्रति असमर्थता जताई. हिंदुस्तान जिंक के पानी को लेकर किसान जनप्रतिनिधियों ने काफी खरी-खोटी सुनाई और कहा कि जिंक कहीं से भी पानी जुटा सकता है, लेकिन किसानों की फसल खराब होने पर वह कहां जाएंगे. दोनों ही अधिकारियों की मौजूदगी में किसान दो पिलाई की मांग पर अड़े रहे. ऐसे में कुल मिलाकर कोई भी नतीजा नहीं निकला.
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कलेक्टर के प्रतिनिधि सीईओ खटीक और एडीएम गुर्जर ने अंत में जिला कलेक्टर के समक्ष बातचीत का सारांश रखने का आश्वासन देते हुए कहा कि अगले 2 दिन में प्रशासन इस बारे में अपना फैसला सुनाएगा. तब तक किसानों से पानी नहीं निकालने का आग्रह किया गया. बैठक के बाद किसान प्रतिनिधि फिर से घोसुंडा बांध रवाना हो गए जहां धरना दिया जा रहा है.