चितौड़गढ़. एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि हम किसी को भूख से नहीं मरने देंगे. दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन यह दावा कर रहा है कि सूखा राशन और खाने के पैकेट गरीबों तक पहुंचाए जा रहे हैं लेकिन गांवों में हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. हालात, यह बन रहे हैं कि लोग कोरोना से नहीं बल्कि भूख से मर जाएंगे.
जिले में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति नहीं मिला है लेकिन सभी जगह काम-काज ठप्प हैं और लोग घरों में बंद हैं. लॉकडाउन के चलते ऐसे लोग भी हैं जो दिहाड़ी करते हैं और एक कमाऊ व्यक्ति के घर बैठ जाने से दिहाड़ी कर परिवार का पेट पालने वाले लोगों में अब भूख का डर सताने लगा है. जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर स्थित देवरी ग्राम पंचायत की जो तस्वीर सामने आई है, वह जिला प्रशासन के दावों की पोल खोल रही है. यहां रहने वाले लोगों से जब बात की गई तो प्रशासन के दावों की पोल खुल कर सामने आ गई. दूसरी जिला कलेक्टर के दावे कुछ और ही कह रहे हैं. जिला कलक्टर चेतनराम देवड़ा दावा कर रहे हैं कि जिले में सारे हालात ठीक है. लोगों तक खाना पहुंच रहा है.
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जिले में 500 से ज्यादा लोग शेल्टर में शरण लिए हैं लेकिन दिहाड़ी मजदूर तक न तो खाना पहुंच रहा है और ना ही सुखी राशन सामग्री. यहां कई परिवार ऐसे हैं जो 200 की दिहाड़ी कर अपना और बच्चों का पेट पाल रहे थे. अब इधर-उधर से मांग कर गुजारा करने को मजबूर है लेकिन लॉकडाउन के हालातों में इनको ना तो मजदूरी मिल रही है और ना ही उधार.
ऐसे में यह लोग प्रशासन की सहायता का इंतजार कर रहे हैं. जमीनी हकीकत पर दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार पालने वाले लोग आज भूखे मरने के हालात में है. वहीं प्रशासन इन तक खान पहुंचाने का दावा कर रहा है. वहीं ग्रामीण बहुत ही आस लगाकर गुहार लगा रहे हैं कि प्रशासन उनकी मदद करे, उनके बच्चे भूखे हैं.