चित्तौड़गढ़. नाबालिग विवाहिता के अपहरण एवं दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट द्वितीय ने बुधवार को अपने निर्णय में आरोपी को गुनाहगार मानते हुए उम्र कैद और 25 हजार अर्थदंड से दंडित किया है. मामला 8 साल पहले का है, जिसमें कोर्ट के आदेश पर तहत भैंसरोडगढ़ पुलिस की ओर से मामला दर्ज किया गया था. विशिष्ट लोक अभियोजक अफजल मोहम्मद शेख ने बताया कि प्रकरण वर्ष 2016 का है.
भैंस रोड गढ़ इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने 6 जुलाई 2016 को रावतभाटा कोर्ट में एक इस्तगासा पेश किया था. रिपोर्ट में बताया कि उसकी नाबालिग बहू को आरोपी अपने साथियों सहित बहला-फुसलाकर ले गए हैं. न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच प्रारंभ की. इस बीच पुलिस ने पीड़िता को दस्तयाब करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.
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अनुसंधान के दौरान विवाहिता के साथ ज्यादती होने की पुष्टि के बाद पुलिस ने पॉक्सो एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया. पीठासीन अधिकारी अमित सहलोत ने दोनों ही पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास तथा 25000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया है.
जयपुर में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा : जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने बुधवार को नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 20 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने अदालत को बताया कि मामले में पीड़िता की मां ने 25 सितंबर 2020 को गोविन्दगढ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसका पति मानसिक रूप से विक्षिप्त है. इसके चलते वह अपनी बेटी के साथ पीहर में रहती है. अभियुक्त उसकी बेटी को तीन साल से परेशान कर रहा है.
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अभियुक्त 17 अप्रैल 2020 की रात उसके घर आया और पीड़िता को धमका कर अपने परिचित के घर ले गया और दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. पीड़िता को मारने की धमकी देकर घर भेज दिया. इसके चलते पीड़िता ने घटना की जानकारी नहीं दी. अभियुक्त ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद पीडिता ने अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. अदालत ने आरोपी को 20 साल की सजा और 25 हजार अर्थदंड से दंडित किया है. वहीं शेष दो को आरोपी मामने के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया गया, लेकिन अदालत ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.