चित्तौड़गढ़. सोमवार को हरियाली अमावस्या के अवसर पर विश्व विख्यात चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर्यटकों और आम लोगों के लिए बंद रहा. जिला प्रशासन ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए थे. ऐसे में दुर्ग पर सन्नाटा पसरा रहा. वहीं, जानकारी के अभाव में जो लोग आ रहे थे, उन्हें दुर्ग के प्रवेश द्वार से ही लौटा दिया गया. इस दौरान प्रशासन की ओर से पुख्ता व्यवस्था की गई थी.
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गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर हर साल हरियाली अमावस्या के मौके पर करीब एक लाख लोग आते रहे हैं. इसक लिए पुलिस और प्रशासन को भारी बंदोबस्त करना पड़ता था. लेकिन, इस साल कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने जिले के सभी पर्यटन और धार्मिक स्थलों को लोगों के लिए बंद कर दिया है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग भ्रमण के लिए कई लोग पहुंचे, लेकिन उनको निराश होकर वापस लौटना पड़ा. इस दौरान चित्तौड़गढ़ दुर्ग के पहले दरवाजे पर ही भारी पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया गया था. स्थानीय लोगों की भी दुर्ग पर आवाजाही बंद दी. केवल वहां रहने वाले लोगों को ही जाने की अनुमति थी. उन्हें भी केवल आईडी देखकर ही जाने दिया जा रहा था.
बता दें कि दुर्ग पर करीब 5 हजार की आबादी निवास करती है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ दुर्ग के निवासियों के लिए ही आवाजाही को ही अनुमति थी. वहीं, सीमाएं भी सील होने से बाहर से कम पर्यटक पहुंचे. लेकिन, चित्तौड़गढ़ जिले के कई स्थानीय लोग हरियाली अमावस्या के अवसर पर पहुंचे और निराश होकर लौट गए. साथ ही बता दें कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आने और जाने का एक ही रास्ता है. यहां पाडनपोल ही प्रवेश द्वार है. ऐसे में उच्च अधिकरियों के निर्देश पर यातायात थाना पुलिस का जाब्ता तैनात कर दिया गया था.