चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर कोरोना महामारी के चलते 15 मई तक पर्यटकों की आवाजाही बंद करने का आदेश दिया है. पिछले साल भी जनता कर्फ्यू के दौरान दुर्ग को बंद कर दिया गया था. इस दौरान छोटे व्यापारियों पर काफी असर पड़ा था. वहीं अब दूसरे दौर में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चित्तौड़ दुर्ग पर्यटकों के लिए बंद किया गया है.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़ दुर्ग पर देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. जिनकी संख्या हजारों में आते हैं. देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए भारत सरकार ने देश के एएसआई के तहत देखरेख वाले स्मारकों, साइट और म्यूजियम में आम लोगों की एंट्री 15 मई तक के लिए रोक लगा दी गई है. जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने आगामी आदेश आने तक विश्व प्रसिद्ध दुर्ग पर पर्यटकों का प्रवेश बंद करने का निर्णय लिया है.
इन दिनों नवरात्रि का दौर चल रहा है. वैसे तो मंदिरों को बंद रखने का आदेश है लेकिन कई श्रद्धालु मंदिर के द्वार तक पहुंच कर धोक लगाते हैं लेकिन कोरोना महामारी और अधिक ना फैले, उसके लिए यह निर्णय लिया गया है. गौरतलब है कि पिछले साल मार्च से भी दुर्ग में पर्यटक को का आना-जाना पूरी तरह से बंद कर दिया गया था.
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फैसले से पड़ेगा छोटे व्यापारियों पर असर
शहर के कई परिवारों का व्यवसाय दुर्ग पर संचालित है. इसके अलावा तीन से चार हजार की आबादी यहां निवास करती है, जिनकी रोजी रोटी भी यहां कार्य करने से चलती है. इसके अलावा आसपास के क्षेत्रों के लोग भी यहां से अपनी कमाई करते हैं. कई लोग गाइड का काम करते हैं तो कई लोग फोटोग्राफर, कईयों के रेस्टोरेंट है तो कई जनों के राजस्थानी ड्रेस की दुकान. इसके अलावा ऊंट-घोड़े पर फोटो का कार्य करने वाले, ऑटो वाले आदि है. ऐसे में सबसे ज्यादा असर इन व्यापारियों पर पड़ेगा. उनको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
पिछले साल भी व्यवसाय पर काफी असर पड़ा था. लॉकडाउन खुलने के बाद व्यापारियोंं में धीरे-धीरे अपना कार्य फिर से शुरू किया था. अभी हालात पहले जैसे भी नहीं हुए कि दोबारा दुर्ग को बंद करने का फैसला कर लिया गया.