चूरू. प्रदेश का वह जिला है जहां इन दिनों सूर्य ने सबसे ज्यादा कहर ढहाया है. जिले में तापमान ने एक बार नहीं बल्कि कई बार अर्द्धशतक लगाए. सीधी बात करे तो यहां तापमान 50 डिग्री पार कई बार दर्ज किया जा चुका है. यहां भीषण गर्मी ने तांडव मचा रखा है लेकिन समाज का एक वर्ग ऐसा भी है. जिसे तापमान कितना भी कम हो या ज्यादा उसे इसे कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि यहां आसमान की आग से बड़ी आग है पेट की.
असल मायनो में बात करें तो दो वक्त की रोटी के सिवा इन्हें कुछ नहीं दिखाई पड़ता. और ना ही ये और कुछ महसूश करते हैं. एक और जहां धोरों की धरती आग उगल रही है. जहां कच्चा पापड़ भी कुछ मिनटों में सिक जाता है. उस आग उगलती धरती पर यह मजदूर वर्ग अपने बच्चों के जीवन मे रंग भरने के लिए दिनभर तपती दोपहरी में मेहनत मजदूरी करते हैं.
ईटीवी भारत ने जब इन मजदूरों से बात की तो इन्होंने कहा गर्मी कितनी भी हो. मौसम कैसा भी हो. हमारे हौसलों के आगे ये सब बातें बहुत बौनी हैं. मजदूरों ने कहा हम हमारे लिए नही बल्कि घर पर बैठे बूढ़े माता-पिता, छोटे बच्चों के जीवन मे रंग भरने के लिए कर रहे हैं. मौसम को देखेंगे तो शाम को खायेंगे क्या.
आप और हम अगर इस भीषण गर्मी में एक छोटी सी कल्पना भी करें कि अगर सिर्फ दो मिनट लाइट भी चली जाए तो हम अपना आपा खो देते हैं. उसी भीषण गर्मी में ये मजदूर अपनो के सपनों के लिए खुले आसमान में बोझा उठाए होते हैं.