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मूंग का दर्द : सरकारी खरीद में सिर्फ चंद किसान हुए लाभान्वित...बाकी भगवान भरोसे - bikaner

बीकानेर. प्रदेश में किसान एक बार फिर परेशान नजर आ रहे हैं. ऋण माफी के मामले में पहले से ही किसान पशोपेश में है. वहीं अब सरकारी स्तर पर मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद बंद होने के बाद फिर से किसान परेशान नजर आ रहे हैं.

मूंग की फोटो.
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Published : Feb 2, 2019, 10:27 PM IST

बात करें बीकानेर की तो बीकानेर में लूणकरणसर और श्री कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति के मार्फत मूंग की सरकारी खरीद हुई है. जिसमें अक्टूबर से 8 जनवरी तक कुल 26438 किवंटल मूंग की खरीद हुई है. जिससे 1500 किसान इससे लाभान्वित हुए हैं. वहीं बीकानेर में मूंग की सरकारी खरीद के बन्द होने के बाद भी कई किसानों को इसका लाभ नहीं मिलने की बात कही जा रही है. उस प्रक्रिया में धांधली और पारदर्शी नहीं होने की बात भी व्यापारी और किसान कह रहे हैं.


देखें वीडियो
उनका कहना है कि केवल चन्द लोगों को इसका लाभ मिल रहा है.उनका कहना है कि बाजार में सस्ता मिल रहा माल सरकार ऊंचे दामों पर खरीद कर रही है और बाद में सरकार उसको घाटे में बेचती है,जिससे व्यापारी को नुकसान होता है और वो भ्रमित होता है, क्योंकि सरकारी खरीद में सरकार जो माल खरीदती है उसकी क्वालिटी अच्छी होने की बात केवल कागजी है और चन्द लोगों की मिलीभगत से वो घटिया माल अच्छे भाव में सरकार को बेच दिया जाता है और बाद में जब वापिस वो माल मंडी में आता है और व्यापारी उसको खरीद क्रय करता है तो उससे नुकसान होता है.
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बीकानेर अनाज कमेटी के अध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल का कहना है कि सरकार को समर्थन मूल्य की प्रक्रिया को दोबारा देखने की जरूरत है. वहीं किसान भगवान राम ने भी कहा कि मूंग की खरीद कुछ लोगों तक ही सीमित रही है. कुछ और किसानों ने तो फर्जी गिरदावरी तक का आरोप लगाया है.
हालांकि इस बारे में सहकारी समिति से बात करने का भी प्रयास किया गया लेकिन वे कार्यालय में मौजूद नहीं मिले. किसानों और व्यापारियों की माने तो बीकानेर में मूंग के जो आंकड़े सामने आए है उसके मुताबिक मूंग नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा फसल हुई है लेकिन केवल 26000 किवंटल की खरीद साफ करती है कि हर किसान का माल तुलाई में नहीं आया और केवल चन्द लोगों को इस आड़ में लाभ पहुंचाया गया है.

बात करें बीकानेर की तो बीकानेर में लूणकरणसर और श्री कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति के मार्फत मूंग की सरकारी खरीद हुई है. जिसमें अक्टूबर से 8 जनवरी तक कुल 26438 किवंटल मूंग की खरीद हुई है. जिससे 1500 किसान इससे लाभान्वित हुए हैं. वहीं बीकानेर में मूंग की सरकारी खरीद के बन्द होने के बाद भी कई किसानों को इसका लाभ नहीं मिलने की बात कही जा रही है. उस प्रक्रिया में धांधली और पारदर्शी नहीं होने की बात भी व्यापारी और किसान कह रहे हैं.


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उनका कहना है कि केवल चन्द लोगों को इसका लाभ मिल रहा है.उनका कहना है कि बाजार में सस्ता मिल रहा माल सरकार ऊंचे दामों पर खरीद कर रही है और बाद में सरकार उसको घाटे में बेचती है,जिससे व्यापारी को नुकसान होता है और वो भ्रमित होता है, क्योंकि सरकारी खरीद में सरकार जो माल खरीदती है उसकी क्वालिटी अच्छी होने की बात केवल कागजी है और चन्द लोगों की मिलीभगत से वो घटिया माल अच्छे भाव में सरकार को बेच दिया जाता है और बाद में जब वापिस वो माल मंडी में आता है और व्यापारी उसको खरीद क्रय करता है तो उससे नुकसान होता है.
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बीकानेर अनाज कमेटी के अध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल का कहना है कि सरकार को समर्थन मूल्य की प्रक्रिया को दोबारा देखने की जरूरत है. वहीं किसान भगवान राम ने भी कहा कि मूंग की खरीद कुछ लोगों तक ही सीमित रही है. कुछ और किसानों ने तो फर्जी गिरदावरी तक का आरोप लगाया है.
हालांकि इस बारे में सहकारी समिति से बात करने का भी प्रयास किया गया लेकिन वे कार्यालय में मौजूद नहीं मिले. किसानों और व्यापारियों की माने तो बीकानेर में मूंग के जो आंकड़े सामने आए है उसके मुताबिक मूंग नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा फसल हुई है लेकिन केवल 26000 किवंटल की खरीद साफ करती है कि हर किसान का माल तुलाई में नहीं आया और केवल चन्द लोगों को इस आड़ में लाभ पहुंचाया गया है.

Intro:प्रदेश में धरतीपुत्र फिर एक बार परेशान नजर आ रहे हैं हालांकि ऋण माफी के मामले में पहले से ही किसान पशोपेश में है वहीं अब सरकारी स्तर पर मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद बंद होने के बाद फिर से धरतीपुत्र परेशान नजर आ रहे हैं बात करें बीकानेर जिले की तो बीकानेर में लूणकरणसर और श्री कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति के मार्फत मूंग की सरकारी खरीद हुई है जिसमें अक्टूबर से 8 जनवरी तक कुल 26438 किवंटल मूंग की खरीद हुई है और 1500 किसान इससे लाभान्वित हुए है। बीकानेर में मूंग की सरकारी खरीद के बन्द होने के बाद भी कई किसानों के इसका लाभ नही मिलने की बात कही जा रही है। वहीं उस प्रक्रिया में धांधली और पारदर्शी नही होने की बात भी व्यापारी और किसान कह रहे है। उनके मुताबिक केवल चन्द लोगों को इसका लाभ मिल रहा है और बाजार में सस्ता मिल रहा माल सरकार ऊंचे दामों पर खरीद कर रही है और बाद में सरकार उसको घाटे में बेचती है लेकिन इसके बावजूद व्यापारी को इससे नुकसान होता है और वो भ्रमित होता है। क्योंकि सरकारी खरीद में सरकार जो माल खरीद करती है उसकी क्वालिटी अच्छी होने की बात केवल कागजी है और चन्द लोगों की मिलीभगत से वो घटिया माल अच्छे भाव में सरकार को बेच दिया जाता है और बाद में जब वापिस वो माल मंडी में आता है और व्यापारी उसको खरीद क्रय करता है तो उससे नुकसान होता है क्योंकि इससे सस्ता माल बाजार में मिल जाता है क्योंकि उसकी क्वालिटी पहले से ही कमजोर होती है।


Body:बीकानेर अनाज कमेटी के अध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल कहते है कि सरकार को समर्थन मूल्य की प्रक्रिया को दोबारा देखने की जरूरत है वहीं किसान भगवान राम ने भी कहा कि मूंग की खरीद कुछ लोगों तक ही सीमित रही। कुछ और किसानों ने तो फर्जी गिरदावरी तक का आरोप लगाया। हालांकि इस बारे में सहकारी समिति से बात करने का भी प्रयास किया गया। लेकिन वे कार्यालय में नहीं मिले। किसानों और व्यापारियों की माने तो बीकानेर में मूंग के जो आंकड़े सामने आए है उस मुताबिक मूंग नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा फसल हुई लेकिन केवल 26000 किवंटल की खरीद साफ करती है कि हर किसान का माल तुलाई में नहीं आया और केवल चन्द लोगों को इस आड़ में लाभ पहुंचाया गया।


Conclusion:एक walkthrew अगली फ़ाइल में है।

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