कोटा. जिले की राजनीति में बड़ा नाम ओम बिरला अब देश के बड़े सवैधानिक पद की ओर बढ़ रहे हैं. बिरला ने अपने स्कूली छात्र जीवन से ही राजनीति का पहला पाठ शुरू कर दिया था. वह कोटा के मल्टीपरपज स्कूल के छात्र संघ अध्यक्ष रहे. इसके बाद राजकीय कॉमर्स कॉलेज में संयुक्त सचिव निर्वाचित हुए. यहां के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में उतर गए और उपभोक्ता भंडार का चुनाव लड़ा.
वे कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अध्यक्ष बने. इसके बाद नेहरू युवा केंद्र नई दिल्ली के निदेशक, कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक, राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ जयपुर के अध्यक्ष, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ नई दिल्ली के उपाध्यक्ष बने. इसके साथ ही भारतीय जनता युवा मोर्चा के 4 साल तक जिलाध्यक्ष और युवा मोर्चा राजस्थान के 6 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे.
वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा सदस्य रहे. सोलहवीं लोकसभा में कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से 2014 में सांसद बने. वहीं सत्रहवीं लोकसभा में भी कोटा बूंदी लोकसभा सीट से दोबारा सांसद चुने गए.
इन आंदोलनों का किया नेतृत्व
बिरला राम मंदिर निर्माण आंदोलन में यूपी की जेलों में बंद रहे. सवाई माधोपुर सीमेंट फैक्ट्री शुरू करवाने के लिए जयपुर और सवाई माधोपुर से आंदोलन का नेतृत्व किया. इसी क्रम में जेल भी गए. 2003 में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए कोटा में ओवर ब्रिज के उद्घाटन पर भाजपा के विरोध का नेतृत्व किया. कोटा शहर में आईआईटी की स्थापना के लिए जन आंदोलन किया. बूंदी जिले की चंबल नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए आंदोलन और राजस्थान एटॉमिक पावर प्लांट रावतभाटा में स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र के विकास के लिए आंदोलन में भाग लिया.