बता दें कि प्रदेश में स्कूल एकीकरण और उन्हें फिर से शुरू करने का सवाल सोमवार को विधानसभा में गूंजा.विधायक के रूप में सदन में मौजूद पूर्व शिक्षा राज्य मन्त्री वासुदेव देवनानी ने खुद सरकार से स्कूल एकीकरण पर सवाल पूछे .इस दौरान पक्ष-विपक्ष में नोकझोंक के बीच डोटासरा ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि स्कूल बंदी के कारण ही जनता ने बीजेपी की वोटबंदी कर दी.
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1. सत्र 2014 से नवम्बर 2018 तक कितने स्कूलों का एकीकरण किया गया?
2. क्या यह एकीकरण आरटीई के नियमों के तहत हुआ?
3. एकीकरण में आरटीई नियमों की पालना कितने मामलों में नहीं हुई?
4. क्या सरकार इनमें से कुछ स्कूल को फिर से शुरू करना चाहती है?
5. क्या सरकार कम विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल भी फिर से शुरू करना चाहती है?
देवनानी के सवाल पर शिक्षा राज्य मन्त्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने जबाव देते हुए कहा कि साल 2014 से 2018 के सत्र तक पिछली सरकार ने माध्यमिक शिक्षा के तहत 16,262 स्कूल एकीकृत करते हुए बंद किये. जबकि प्राथमिक शिक्षा देने वाले 5,942 स्कूल बंद किये. इसके साथ ही डोटासरा ने बताया कि कुल 22,204 स्कूल बंद करने के बाद सरकार ने 2, 450 स्कूल फिर से खोले. डोटासरा ने बताया कि पिछली सरकार ने 1 किलोमीटर दायरे वाले 2,060 स्कूल और 2 किलोमीटर दायरे वाले 384 स्कूल फिर से शुरू किये.
डोटासरा ने पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि स्कूल बंद करने के कारण ही जनता ने बीजेपी के वोट बंद कर दिये. हालांकि डोटासरा को अपने सवाल से घेरने की कोशिश करते हुए वासुदेव देवनानी ने ज़ीरो नामांकन वाले स्कूलों के साथ ही 15 और 30 से कम विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल के लिए भी पूछे. इसके साथ ही इन पर होने वाला खर्चा और टीचर्स की संख्या की जानकारी भी मांगी.
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सवालों पर जबाव देते हुए डोटासरा ने सदन को बताया कि पिछली सरकार में एकीकरण के नाम पर बंद किये गए स्कूल फिर से खोलने के लिए उनकी सरकार ने कमेटी बनाई है. प्रत्येक उपखण्ड स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में बनी इस समिति की रिपोर्ट पर स्कूल फिर से खोले जाएंगे. डोटासरा ने कहा कि जहां से स्कूल खोलने की मांग आएगी वहां गुण-अवगुण के आधार पर सरकार फैसला करेगी. इसके साथ ही शिक्षा मन्त्री ने आरटीई एक्ट के नियमों के तहत स्कूल फिर से खोलने की बात भी सदन में कही.