जयपुर. राजधानी में 2 साल पहले शुरू हुई घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था अब तक निशुल्क चल रही थी. जिसका निगम को हर महीने 8 करोड़ से ज्यादा का खर्च करना पड़ रहा है. निगम के पास सात लाख संपत्तियों की सूची है. जहां से कचरा संग्रहण किया जाता है. निगम अब अपने इसी खर्चे को आम जनता की जेब पर डालने की तैयारी कर रहा है.
कांग्रेसी पार्षदों ने अपनी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
29 अप्रैल को ईटीवी भारत ने सबसे पहले निकायों को लेकर राज्य सरकार की उपविधियों में लिये गये इस फैसले का जिक्र किया था. इस पर अब स्वायत्त शासन विभाग ने भी हरी झंडी दिखा दी है. हालांकि इस फैसले को लेकर कांग्रेसी पार्षदों ने अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने डोर टू डोर कचरा संग्रहण को लेकर लगने वाले शुल्क से उन्हें आने वाले निकाय चुनाव में नुकसान होने की बात कही.
निगम महापौर विष्णु लाटा ने दिया ये तर्क
उधर, निगम महापौर विष्णु लाटा ने कहा कि यदि सुख सुविधाएं फॉरेन पैटर्न पर चाहते हैं तो उसका टैक्स भी देना चाहिए. बिजली-पानी, रोडवेज का उपभोग करने पर भी शुल्क लगता है, तो कचरा संग्रहण व्यवस्था का शुल्क देने में परहेज क्यों. उन्होंने कहा कि सफाई के मामले में जनता का सहयोग अपेक्षित है. यही वजह है कि अब तक जो निशुल्क सेवा चल रही थी इसके लिए शुल्क वसूला जाएगा.
20 रुपए से 5 हजार रुपए तक लगेगा शुल्क
आपको बता दें कि राज्य में जिन निकायों में कचरा संग्रहण किया जा रहा है. वहां जुलाई से घर-घर कचरा संग्रहण पर शुल्क लगेगा. इससे पहले एक माह तक अभियान चलाकर लोगों को जागरुक भी किया जाएगा. लेकिन, फिलहाल 20 रुपए से 5 हजार तक लगने वाले शुल्क का सरकार के अपनों ने ही विरोध शुरू कर दिया है.