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गुर्जर आरक्षण को लेकर गहलोत सरकार को बड़ी राहत...सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार

गहलोत सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थआन में गुर्जर और अन्य जातियों को पांच फीसदी आरक्षण मामले में बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

गुर्जर आरक्षण को लेकर गहलोत सरकार को बड़ी राहत
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Published : Apr 5, 2019, 1:34 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर. गुर्जर और अन्य जातियों को आरक्षण देने पर रोक लगाने काी अपील पहले हाईकोर्ट में की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश है. राज्य सरकार द्वारा राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों गाड़िया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.


गौरतलब है कि पांच फीसदी आरक्षण को लेकर फरवरी में गुर्जर समाज ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर सवाईमाधोपुर जिले में नौ दिन तक पड़ाव डाले रखा था. गुर्जरों की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने उसी अवधि में विधानसभा में इसका विधेयक पारित करवाया था. उसके बाद राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इस विधेयक के साथ ही राज्य विधानसभा ने विधेयक को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए एक शासकीय संकल्प भी ध्वनिमत से पारित किया था.

नई दिल्ली/जयपुर. गुर्जर और अन्य जातियों को आरक्षण देने पर रोक लगाने काी अपील पहले हाईकोर्ट में की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश है. राज्य सरकार द्वारा राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों गाड़िया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.


गौरतलब है कि पांच फीसदी आरक्षण को लेकर फरवरी में गुर्जर समाज ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर सवाईमाधोपुर जिले में नौ दिन तक पड़ाव डाले रखा था. गुर्जरों की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने उसी अवधि में विधानसभा में इसका विधेयक पारित करवाया था. उसके बाद राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इस विधेयक के साथ ही राज्य विधानसभा ने विधेयक को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए एक शासकीय संकल्प भी ध्वनिमत से पारित किया था.

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