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अब सावरकर को लेकर आमने-सामने बीजेपी और कांग्रेस - dotasara

राजस्थान कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार की ओर से तय किए गए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं. इन बदलावों के तहत सावरकर को जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया है. और भी कई ऐसी बातें हैं जो सावरकर के लिए पाठ्यक्रम में लिखी गई है.

स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव पर डोटासरा का बयान
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Published : May 13, 2019, 3:16 PM IST

Updated : May 13, 2019, 3:22 PM IST

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार की ओर से तय किए गए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं. इन बदलावों पर शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था.

शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि पिछली भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा की पुस्तकों में अपनी राजनीतिक विचारधारा थोपने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था और यह बदलाव गलत था. डोटासरा ने कहा कि आजादी में जिन महापुरुषों का योगदान ज्यादा था उसको कम किया गया था और जिनका आजादी में कोई योगदान नहीं था उनका योगदान ज्यादा दिखाया गया. सावरकर को भी अधिक महिमा मडित करके पाठ्यक्रम में दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षाविदों की समिति बनाई जिसने पाठ्यक्रम की समीक्षा की. बदलाव के बाद जो भी पाठ्यक्रम में लिखा गया है वह समिति ने ठोस आधार पर लिखा है. डोटासरा ने कहा कि सावरकर के लिए जो भी पाठ्यक्रम में लिखा है. उसके शिक्षाविदों पास पूरे सबूत हैं.

स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव पर डोटासरा का बयान

उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा यह कहना कि सावरकर का अपमान किया गया है यह बिल्कुल गलत है. भाजपा ने आरएसएस की सोच के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव किया था. अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और पार्टी का छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में इस तरह का बदलाव किया गया था. बच्चों को वही पढ़ाना चाहिए जो इतिहास के अनुसार हो और सही हो.

कांग्रेस ने पाठ्यक्रम में सावरकर के लिए यह लिखा
कांग्रेस सरकार की ओर से बदले गए गए पाठ्यक्रम में सावरकर के लिए लिखा गया है कि ब्रिटिश सरकार के पास सावरकर ने चार बार दया याचिका भेजी थी. ब्रिटिश सरकार ने याचिका स्वीकार की और सावरकर को 1921 में सेल्यूलर जेल से रिहा कर रत्नागिरी जेल में भेजा दिया. यहां से छूटने के बाद सावरकर हिंदू महासभा के सदस्य बने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम में जुट गए. दूसरे विश्व युद्ध में सावरकर ने ब्रिटिश सरकार का सहयोग किया. पाठ्यक्रम में यह भी लिखा गया है कि 1942 में चले भारत छोड़ों आंदोलन का भी सावरकर ने विरोध किया था. महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे का सहयोग करने का भी सावरकर पर आरोप लगाया गया था. बाद में वह इस मामले से बरी हो गए थे. अभिनव भारत की स्थापना सावरकर ने 1906 में कई थी.

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार की ओर से तय किए गए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं. इन बदलावों पर शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था.

शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि पिछली भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा की पुस्तकों में अपनी राजनीतिक विचारधारा थोपने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था और यह बदलाव गलत था. डोटासरा ने कहा कि आजादी में जिन महापुरुषों का योगदान ज्यादा था उसको कम किया गया था और जिनका आजादी में कोई योगदान नहीं था उनका योगदान ज्यादा दिखाया गया. सावरकर को भी अधिक महिमा मडित करके पाठ्यक्रम में दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षाविदों की समिति बनाई जिसने पाठ्यक्रम की समीक्षा की. बदलाव के बाद जो भी पाठ्यक्रम में लिखा गया है वह समिति ने ठोस आधार पर लिखा है. डोटासरा ने कहा कि सावरकर के लिए जो भी पाठ्यक्रम में लिखा है. उसके शिक्षाविदों पास पूरे सबूत हैं.

स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव पर डोटासरा का बयान

उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा यह कहना कि सावरकर का अपमान किया गया है यह बिल्कुल गलत है. भाजपा ने आरएसएस की सोच के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव किया था. अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और पार्टी का छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में इस तरह का बदलाव किया गया था. बच्चों को वही पढ़ाना चाहिए जो इतिहास के अनुसार हो और सही हो.

कांग्रेस ने पाठ्यक्रम में सावरकर के लिए यह लिखा
कांग्रेस सरकार की ओर से बदले गए गए पाठ्यक्रम में सावरकर के लिए लिखा गया है कि ब्रिटिश सरकार के पास सावरकर ने चार बार दया याचिका भेजी थी. ब्रिटिश सरकार ने याचिका स्वीकार की और सावरकर को 1921 में सेल्यूलर जेल से रिहा कर रत्नागिरी जेल में भेजा दिया. यहां से छूटने के बाद सावरकर हिंदू महासभा के सदस्य बने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम में जुट गए. दूसरे विश्व युद्ध में सावरकर ने ब्रिटिश सरकार का सहयोग किया. पाठ्यक्रम में यह भी लिखा गया है कि 1942 में चले भारत छोड़ों आंदोलन का भी सावरकर ने विरोध किया था. महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे का सहयोग करने का भी सावरकर पर आरोप लगाया गया था. बाद में वह इस मामले से बरी हो गए थे. अभिनव भारत की स्थापना सावरकर ने 1906 में कई थी.

Intro:जयपुर। प्रदेश कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा तय की गई स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं इन बदलावों के तहत सावरकर को जेल की यातनाओ से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया है। और भी कई ऐसी बातें हैं जो सावरकर के लिए पाठ्यक्रम में लिखी गई है। शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने यहां तक कहा कि भाजपा ने अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था
इसे भाजपा ने कांग्रेस द्वारा सावरकर का अपमान करना बताया है जबकि कांग्रेस का कहना है कि स्कूली शिक्षा की समीक्षा के लिए गठित कमेटी के अनुसार ही पाठ्यक्रम तैयार किया गया है और शिक्षाविदों पास पूरे सबूत हैं।

बाईट शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा

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Body:शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि पिछली भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा की पुस्तकों में अपनी राजनीतिक विचारधारा थोपने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया था और यह बदलाव गलत था। डोटासरा ने कहा कि आजादी में जिन महापुरुषो का योगदान ज्यादा था उसको कम किया गया था और जिनका आजादी में कोई योगदान नहीं था उनका योगदान ज्यादा दिखाया गया। सावरकर को भी अधिक महिमा मडित करके पाठ्यक्रम में दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षाविदो की समिति बनाई जिसने पाठ्यक्रम की समीक्षा की। बदलाव के बाद जो भी पाठ्यक्रम में लिखा गया है वह समिति ने ठोस आधार पर लिखा है। डोटासरा ने कहा कि सावरकर के लिए जो भी पाठ्यक्रम में लिखा है उसके शिक्षाविदों पास पूरे सबूत हैं।


Conclusion:उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा यह कहना कि सावरकर का अपमान किया गया है यह बिल्कुल गलत है। भाजपा ने आरएसएस की सोच के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव किया था। अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने और पार्टी का छुपा हुआ एजेंडा साधने के लिए पाठ्यक्रम में इस तरह का बदलाव किया गया था। बच्चों को वही पढ़ाना चाहिए जो इतिहास के अनुसार हो और सही हो।

कांग्रेस ने पाठ्यक्रम में यह लिखा सावरकर के लिए-
कांग्रेस सरकार द्वारा बदलाव किए गए पाठ्यक्रम में सावरकर के लिए लिखा गया है कि ब्रिटिश सरकार के पास सावरकर ने चार बार दया याचिका भेजी थी। ब्रिटिश सरकार ने याचिका स्वीकार की और सावरकर को 1921 में सेल्यूलर जेल से रिहा कर रत्नागिरी जेल में भेजा गया। यहां से छूटने के बाद सावरकर हिंदू महासभा के सदस्य बने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम में जुट गए। दूसरे विश्व युद्ध में सावरकर ने ब्रिटिश सरकार का सहयोग किया ।पाठ्यक्रम में यह भी लिखा गया है कि 1942 में चले भारत छोड़ो आंदोलन का भी सावरकर ने विरोध किया था। महात्मा गांधी की हत्या बाद गोडसे का सहयोग करने का भी सावरकर पर आरोप लगाया गया। बाद में भी इस मामले से बरी हो गए थे। अभिनव भारत की स्थापना सावरकर ने 1906 में कई थी।
Last Updated : May 13, 2019, 3:22 PM IST
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