जयपुर. अलवर के थानागाजी इलाके में महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले को लेकर किरकिरी झेल चुका गृह विभाग अब अपनी छवि सुधारने में लग गया है. यही वजह है कि मंगलवार को पुलिस की कार्यशैली और महिला अपराध की संख्या किस तरह से कम हो, इसको लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप की अध्यक्षता में सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई. जिसमें महिला उत्पीड़न और अपराध की घटनाओं की समीक्षा की गई.
वहीं, बैठक में महिला सुरक्षा से संबंधित कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक से अधिक सशक्त बनाने और महिला अपराधों की रोकथाम के संबंध में विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश के साथ सुझाव भी दिए गए. बैठक के बाद गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि महिलाओं के अपराध में कमी तभी लाई जा सकती है जब महिलाओं, बालक-बालिकाएं इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों को लेकर जागरूक हों.
स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों को काउंसलिंग के माध्यम से इस संबंध में संवेदनशील किया जाना चाहिए. महिलाएं अब भी अपने साथ होने वाले अपराधों और उत्पीड़न के बारे में किसी को बताने से झिझक नहीं रखें. उन्होंने कहा कि महिलाएं पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने से कतराती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से इन महिलाओं को जागरूक किया जाना चाहिए. महिलाओं की सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे हेल्पलाइन नंबर 1090 के बारे में भी जन-जन तक जागरुकता पहुंचाई जानी चाहिए. जागरुकता फैलाने का काम एक अभियान की तरह किया जाना चाहिए.
राजीव स्वरूप ने कहा कि ग्राम सभाओं के माध्यम से गांव-गांव में लोगों को महिला अपराध से जुड़ी कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरुक किया जाना चाहिए. जब महिलाएं बच्चियां और समाज को जब हम अपराध के बारे में कानूनी जानकारी देंगे तब जाकर महिला अपराध की संख्या में कमी आएगी. बैठक में पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने बताया कि लोगों को इन अपराधों के परिणाम के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए.
जिससे अपराध पर अंकुश लग सके. बैठक में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह, सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग गायत्री राठौड़ , सूचना जनसंपर्क आयुक्त एनएल मीणा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बीएल सोनी, पंचायत राज, सामाजिक न्याय अधिकारिता, महिला बाल विकास, कॉलेज स्कूल शिक्षा आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे.