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सावन में लहरिया महोत्सव की धूम, परंपरागत परिधान में महिलाओं ने मनाया तीज

बूंदी में सावन महीने में लहरिया महोत्सव मनाया गया. जिसमें नवविवाहिता युवतियां लहरिया परिधान में नजर आईं. इस दौरान महिलाओं ने भगवान शिव की अराधना की और अपने सुहाग के लिए लंबी उम्र की कामना भी की.

Lahariya festival in bundi, women celebrated Teej, बूंदी न्यूज स्टोरी
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Published : Aug 11, 2019, 11:49 PM IST

बूंदी. सावन महीने में हरियाली तीज से पहले लहरिया महोत्सव मनाया गया. जिसमें नवविवाहिता युवतियों ने झूला झूल कर भगवान से अपने सुहाग के लिए लंबी उम्र की कामना की. महोत्सव में विभिन्न संस्थाओं द्वारा लहरिया पर्व मनाया गया.

सावन में लहरिया महोत्सव की धूम

इस दौरान नवविवाहिता युवतियों ने अपने सुहाग के लिए व्रत रखा. इस महोत्सव में महिलाओं ने डांस, मेहंदी ,म्यूजिकल गेम का भी लूफ्त उठाया, साथ ही अनेक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. महिलाओं तरह तरह के कपड़े पहन कर सोलाह श्रृंगार करती है और झूला झूल कर हरियाली तीज का पर्व बनाती है. सावन मास का कल अंतिम सोमवार है ऐसे में सभी भक्तजन महादेव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विभिन्न महिलाएं संगठन लहरिया महोत्सव मनाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही है.

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इसी को लेकर बूंदी में रविवार को दर्जनभर जगह में लहरिया महोत्सव मनाया गया और जहां महिलाएं इसका लुफ्त उठाती नजर आई. साथ ही इस अवसर पर घेवर तथा गुंजियों का भोग भी लगाया गया. वहीं विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रही प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया.

जानकारी के अनुसार सावन मास में महिलाएं तीज का पर्व मनाती है और तीज पर्व के दौरान माता पार्वती - शिव की पूजा करती है. उसके बाद महिलाएं लहरिया महोत्सव का आयोजन करती है. इस लहरियां महोत्सव के दौरान महिलाएं तरह-तरह के कपड़े पहन कर लहरिया बनकर आती है और सोलह श्रृंगार करके लहरिया महोत्सव मनाती है. इस दौरान महिलाएं डांस, मेहंदी प्रतियोगिताएं, म्यूजिकल प्रतियोगिता आयोजित करती है और सावन के गीतों के साथ लहरिया महोत्सव का जमकर लुफ्त उठाती है.

महिलाओं का इस लहरिया महोत्सव के पीछे यह मानना है कि लहरिया महोत्सव विभिन्न रंगों से मिलकर बना है, जिसको नव विवाहिता और युवतियां मनाती है कि उनके जीवन में भी तरह-तरह के संस्कृति के रंग खिले और उनका जीवन बेहतरीन हो. साथ ही अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है जिससे उनका सुहाग हमेशा अमर रहे.

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कहीं न कहीं राजस्थान के अंदर हरियाली तीज के समय सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलता है. राजस्थान में आज भी यह राज परिवार और विभिन्न सामाजिक महिलाएं संगठन इन पर्वों को जिंदा रखे हुए हैं ताकि आने वाली संस्कृति भी इनका महत्व समझ सके और उन्हें जारी रख सकें.

बूंदी. सावन महीने में हरियाली तीज से पहले लहरिया महोत्सव मनाया गया. जिसमें नवविवाहिता युवतियों ने झूला झूल कर भगवान से अपने सुहाग के लिए लंबी उम्र की कामना की. महोत्सव में विभिन्न संस्थाओं द्वारा लहरिया पर्व मनाया गया.

सावन में लहरिया महोत्सव की धूम

इस दौरान नवविवाहिता युवतियों ने अपने सुहाग के लिए व्रत रखा. इस महोत्सव में महिलाओं ने डांस, मेहंदी ,म्यूजिकल गेम का भी लूफ्त उठाया, साथ ही अनेक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. महिलाओं तरह तरह के कपड़े पहन कर सोलाह श्रृंगार करती है और झूला झूल कर हरियाली तीज का पर्व बनाती है. सावन मास का कल अंतिम सोमवार है ऐसे में सभी भक्तजन महादेव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विभिन्न महिलाएं संगठन लहरिया महोत्सव मनाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही है.

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इसी को लेकर बूंदी में रविवार को दर्जनभर जगह में लहरिया महोत्सव मनाया गया और जहां महिलाएं इसका लुफ्त उठाती नजर आई. साथ ही इस अवसर पर घेवर तथा गुंजियों का भोग भी लगाया गया. वहीं विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रही प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया.

जानकारी के अनुसार सावन मास में महिलाएं तीज का पर्व मनाती है और तीज पर्व के दौरान माता पार्वती - शिव की पूजा करती है. उसके बाद महिलाएं लहरिया महोत्सव का आयोजन करती है. इस लहरियां महोत्सव के दौरान महिलाएं तरह-तरह के कपड़े पहन कर लहरिया बनकर आती है और सोलह श्रृंगार करके लहरिया महोत्सव मनाती है. इस दौरान महिलाएं डांस, मेहंदी प्रतियोगिताएं, म्यूजिकल प्रतियोगिता आयोजित करती है और सावन के गीतों के साथ लहरिया महोत्सव का जमकर लुफ्त उठाती है.

महिलाओं का इस लहरिया महोत्सव के पीछे यह मानना है कि लहरिया महोत्सव विभिन्न रंगों से मिलकर बना है, जिसको नव विवाहिता और युवतियां मनाती है कि उनके जीवन में भी तरह-तरह के संस्कृति के रंग खिले और उनका जीवन बेहतरीन हो. साथ ही अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है जिससे उनका सुहाग हमेशा अमर रहे.

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कहीं न कहीं राजस्थान के अंदर हरियाली तीज के समय सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलता है. राजस्थान में आज भी यह राज परिवार और विभिन्न सामाजिक महिलाएं संगठन इन पर्वों को जिंदा रखे हुए हैं ताकि आने वाली संस्कृति भी इनका महत्व समझ सके और उन्हें जारी रख सकें.

Intro:सावन मास में हरियाली तीज के पर्व पर लहरिया महोत्सव मनाया गया । जिसमें नवविवाहिता पर युवतियों ने झूला झूल कर अपने सुहाग के लिए भगवान से लंबी उम्र की कामना की साथ ही मिठाई की दुकान पर घेवर और वह गुजिया खरीदने वालों की भीड़ रही । आप बता दें कि सावन मास में लहरिया महोत्सव में महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए तरह तरह के कपड़े पहन कर सोलाह श्रृंगार करती है और झूला झूल कर हरियाली तीज का पर्व बनाती है ।


Body:बूंदी में लहरियां महोत्सव की धूम है। यहां पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा लहरियां महोत्सव मनाया जा रहा है साथ ही सावन मास के अंत में लहरियां महोत्सव की धूम है। इस दौरान विवाहिता एवं नव युवतियाँ अपने सुगहाग के लिए व्रत सहित अन्य कार्य कर रही है तो डांस, मेहंदी ,म्यूजिकल गेम के साथ अनेक प्रतियोगिता व महिलाएं झूला झूल कर लहरिया महोत्सव मना रही है। सावन मास का कल अंतिम सोमवार है ऐसे में सभी भक्तजन अंतिम सोमवार होने से महादेव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं तो वहीं विभिन्न महिलाएं संगठन लहरिया महोत्सव मनाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही है ।

जानकारी के अनुसार सावन मास में सबसे पहले महिलाएं तीज पर्व मनाती है और तीज पर्व के दौरान माता पार्वती - शिव की पूजा के रूप में हरियाली तीज को मनाया जाता है । उसके बाद महिलाएं लहरिया महोत्सव मनाती है इस लहरियां महोत्सव के दौरान महिलाएं तरह-तरह की कपड़े पहन कर लहरिया बनकर आती है और सोलह श्रृंगार करके लहरिया महोत्सव मनाती है इस दौरान महिलाएं डांस , मेहंदी प्रतियोगिताएं म्यूजिकल प्रतियोगिता आयोजित करती है तो सावन के गीतों के साथ लहरिया महोत्सव के गीतों पर जमकर लुफ्त उठाती है साथ ही झूला झूलती है । महिलाओं का इस लहरिया महोत्सव के पीछे यह मानना है कि लहरिया महोत्सव विभिन्न रंगों से मिलकर बना है लहरियां शब्द है जो इस रूप में नव विवाहिता व युवतियां मनाती है कि उनके जीवन में भी तरह-तरह के संस्कृति के रंग खिले और उनका जीवन बेहतरीन हो साथ ही लंबी उम्र की कामना पति के लिए की जाती है कि उनका सुहागन हमेशा बना रहे ।


Conclusion:इसी को लेकर बूंदी में आज दर्जनभर जगह पर लहरिया महोत्सव मनाया गया और महिलाएं झूला झूलती हुई नजर आई साथ ही इस अवसर पर घेवर तथा गुंजियों का भोग भी लगाया गया । वहीं विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रही प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया गया ।

कहीं न कहीं राजस्थान के अंदर हरियाली तीज वह सावन मास में सांस्कृतिक विरासत को देखने का मौका मिलता है जिस तरीके से आज के युग में डिजिटल इंडिया हावी होता जा रहा है तो कहने कही लोग भी इन सांस्कृतिक विरासत को भूलते हुए जा रहे है और इनकी समझ को भूलते हुए जा रहे हैं। लेकिन राजस्थान में आज भी यह राज परिवार व विभिन्न सामाजिक महिलाएं संगठन इन पर्वों को जिंदा रखे हुए हैं ताकि आने वाली संस्कृति भी इनका महत्व समझ सके और उन्हें जारी रख सकें ।

बाईट - रोहिणी कुमारी , राजपरिवार
बाईट - रेणु हाड़ा , नव युवती
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