बूंदी. सावन महीने में हरियाली तीज से पहले लहरिया महोत्सव मनाया गया. जिसमें नवविवाहिता युवतियों ने झूला झूल कर भगवान से अपने सुहाग के लिए लंबी उम्र की कामना की. महोत्सव में विभिन्न संस्थाओं द्वारा लहरिया पर्व मनाया गया.
इस दौरान नवविवाहिता युवतियों ने अपने सुहाग के लिए व्रत रखा. इस महोत्सव में महिलाओं ने डांस, मेहंदी ,म्यूजिकल गेम का भी लूफ्त उठाया, साथ ही अनेक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. महिलाओं तरह तरह के कपड़े पहन कर सोलाह श्रृंगार करती है और झूला झूल कर हरियाली तीज का पर्व बनाती है. सावन मास का कल अंतिम सोमवार है ऐसे में सभी भक्तजन महादेव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विभिन्न महिलाएं संगठन लहरिया महोत्सव मनाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही है.
इसी को लेकर बूंदी में रविवार को दर्जनभर जगह में लहरिया महोत्सव मनाया गया और जहां महिलाएं इसका लुफ्त उठाती नजर आई. साथ ही इस अवसर पर घेवर तथा गुंजियों का भोग भी लगाया गया. वहीं विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रही प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया.
जानकारी के अनुसार सावन मास में महिलाएं तीज का पर्व मनाती है और तीज पर्व के दौरान माता पार्वती - शिव की पूजा करती है. उसके बाद महिलाएं लहरिया महोत्सव का आयोजन करती है. इस लहरियां महोत्सव के दौरान महिलाएं तरह-तरह के कपड़े पहन कर लहरिया बनकर आती है और सोलह श्रृंगार करके लहरिया महोत्सव मनाती है. इस दौरान महिलाएं डांस, मेहंदी प्रतियोगिताएं, म्यूजिकल प्रतियोगिता आयोजित करती है और सावन के गीतों के साथ लहरिया महोत्सव का जमकर लुफ्त उठाती है.
महिलाओं का इस लहरिया महोत्सव के पीछे यह मानना है कि लहरिया महोत्सव विभिन्न रंगों से मिलकर बना है, जिसको नव विवाहिता और युवतियां मनाती है कि उनके जीवन में भी तरह-तरह के संस्कृति के रंग खिले और उनका जीवन बेहतरीन हो. साथ ही अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है जिससे उनका सुहाग हमेशा अमर रहे.
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कहीं न कहीं राजस्थान के अंदर हरियाली तीज के समय सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलता है. राजस्थान में आज भी यह राज परिवार और विभिन्न सामाजिक महिलाएं संगठन इन पर्वों को जिंदा रखे हुए हैं ताकि आने वाली संस्कृति भी इनका महत्व समझ सके और उन्हें जारी रख सकें.