ETV Bharat / state

स्पेशल स्टोरी: 30 साल बाद फिर शुरू हाट बाजार, लोगों के चेहरे पर दिखी खुशी

पिछले 30 सालों से बंद हाट बाजार की चहल पहल बूंदी के केशवरायपाटन क्षेत्र में शुरू हो गई. घाट का बराना गांव में एक बार फिर शुरू हुए हाट से लोगों में खुशी है. गांव के दशहरा मैदान में हाट बाजार का शुभारंभ विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने किया. देखिए बूंदी के केशवरायपाटन से स्पेशल रिपोर्ट...

Haat market start, Keshoraipatan Bundi
तीस साल बाद फिर शुरू हाट बाजार
author img

By

Published : Dec 4, 2019, 7:44 PM IST

केशवरायपाटन (बूंदी). केशवरायपाटन क्षेत्र के बराना में 30 साल बाद फिर से हाट की चहल-पहल शुरू हो गई. गांव के दशहरा मैदान में मंगलवार को हाट बाजार का शुभारंभ हुआ. हाट को दोबारा सुचारू करने के लिए गांव के युवा सरपंच संदीप जैन और ग्रामीणों का काफी योगदान रहा है. ग्रामीणों में खासकर युवाओं में इस पहल को लेकर काफी उत्साह रहा कि लंबे अंतराल के बाद घाट का बराना में साप्तहिक हाट बाजार शुरू हुआ.

तीस साल बाद फिर शुरू हाट बाजार

समारोह के तहत हाट का शुभारंभ
ग्रामीणों के अनुसार बहुत सालों पहले गांव में हाट लगता था. जो जगह की कमी व अन्य सुविधाओं के अभाव मे बंद हो गया था. इस बार हाट की शुरूआत होने पर ग्रामीणों को घरेलू सामानों की खरीददारी में आसानी होगी. वहीं ग्रामीण अपनी जरूरत के सामान खरीद सकेंगे. गांव मे मंगलवार को एक समारोह के तहत हाट का शुभारंभ हुआ. जिसमें विधायक चंद्रकांता मेघवाल और केशवरायपाटन प्रधान प्रशांत मीणा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस श्मशान घाट में नहीं लगता किसी को भय, लोग करने आते है सैर सपाटा

30 साल बाद लौटी हाट की रौनक
घाट का बराना के ग्रामीण बताते है कि एक समय था, जब यहां लगने वाले हाट में दूर दराज के गांवो से लोग आते थे. वहीं चंबल पार के गांवों से भी ग्रामीण व व्यापारी नावों के सहारे हाट में पहुंचते थे. खासकर कपड़े व सोने चांदी के व्यापारी तो अकसर चंबल पार से ही आते थे. हाट में ग्रामीणों को जरूरत का सामान गांव में ही मिल जाता है. वहीं ग्रामीण अपने उत्पादों की बिक्री भी कर लेते है. जो आमदनी का एक जरिया बन जाता है. उस समय पर्याप्त सुविधाओं और जगह के अभाव के चलते हाट बाजार बंद हो गया. अब ग्रामीण खुश है कि वर्षो पुरानी हाट बाजार की परम्परा फिर से शुरू हो गई.

यहां अभी लगते है साप्ताहिक हाट
क्षेत्र में हाट बाजार की परम्परा नई नहीं है. वर्षो से यह सिलसिला चला आ रहा है. लाखेरी में हाट रविवार को लगता आ रहा है. वहीं कापरेन में सोमवार को हाट लगता है, खटकड में गुरूवार को, झालीजी का बराना व सुमेरगंजमंडी में शनिवार को, देई मे मंगलवार को और देहीखेडा, सौंप, गैडोली और बाबई में शुक्रवार को हाट बाजार लगता है. इनमें से लाखेरी, सुमेरगंजमंडी में तो हाट बाजार रजवाड़ों के जमाने से ही चला आ रहा है. हाट व्यवस्था को लेकर तत्कालीन रियासतों के शासक तथा बाद में अंग्रेजो ने भी इस व्यवस्था को बनाए रखने मे काफी प्रयास किया.

जरूरत के सामानों को खरीदा और बेचा जाता है
गांवों व कस्बों मे लगने वाले साप्तहिक हाट बाजार लोगों की जरूरत के सामानों की उपलब्धता के मुख्य स्रोत होते है. इन हाट बाजारों में खाद्यान्न से लेकर कपड़ा, बर्तन सहित वे तमाम सामान मिलते है. जिनकी लोगों को रोजमर्रा के दिनो में आवश्यकता पड़ती है. इनमें मसाले, सब्जी, फल, जूते-चप्पल, मिट्ट के बर्तन, मणियारी के सामान जो दैनिक रूप से काम आते है. यहीं नहीं हाट में कई सामानों की रिपेयर करने वाले सहजता से मिल जाते है. मसलन कैंची के धार लगाना, छतरियों व सिलाई मशीन की रिपेयर, तालों के चाबी लगावाना सहित अन्य काम जो अमूमन हाट बाजार में ही उपलब्ध होते है.

पढ़ें- कोटा का सबसे व्यस्ततम एरोड्रम सर्किल पर नहीं लगेगा अब जाम, देखें स्पेशल रिपोर्ट

आर्थिक रूप से आत्म निर्भरता का केंन्द्र है हाट
गांवों व कस्बो में लगने वाले हाट बाजार ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. इन हाट बाजारों में जहां ग्रामीण खरीदारी करते है. वंही अपने उत्पादों की बिक्री भी करते है. जिससे वे अपनी आमदनी को मजबूत करने का प्रयास करते है. दरअसल, भारत कृषि प्रदान देश होने के चलते गांवों में लगने वाले हाट बाजार स्थानीय लोगों के लिए सामान खरीदने बेचने के साथ आर्थिक विपणन का काम करते है. यहीं नहीं सामाजिक रूप से भी हाट बाजार महत्त्वपूर्ण रूप से भागीदारी निभाते है. हाट बाजार को ग्रामीणों का एक मिलन स्थल माना जाता है. जहां वे अपने पारिवारिक संबंधों के साथ अन्य सामाजिक स्तर के मसलों का निष्पादन करते है.

केशवरायपाटन (बूंदी). केशवरायपाटन क्षेत्र के बराना में 30 साल बाद फिर से हाट की चहल-पहल शुरू हो गई. गांव के दशहरा मैदान में मंगलवार को हाट बाजार का शुभारंभ हुआ. हाट को दोबारा सुचारू करने के लिए गांव के युवा सरपंच संदीप जैन और ग्रामीणों का काफी योगदान रहा है. ग्रामीणों में खासकर युवाओं में इस पहल को लेकर काफी उत्साह रहा कि लंबे अंतराल के बाद घाट का बराना में साप्तहिक हाट बाजार शुरू हुआ.

तीस साल बाद फिर शुरू हाट बाजार

समारोह के तहत हाट का शुभारंभ
ग्रामीणों के अनुसार बहुत सालों पहले गांव में हाट लगता था. जो जगह की कमी व अन्य सुविधाओं के अभाव मे बंद हो गया था. इस बार हाट की शुरूआत होने पर ग्रामीणों को घरेलू सामानों की खरीददारी में आसानी होगी. वहीं ग्रामीण अपनी जरूरत के सामान खरीद सकेंगे. गांव मे मंगलवार को एक समारोह के तहत हाट का शुभारंभ हुआ. जिसमें विधायक चंद्रकांता मेघवाल और केशवरायपाटन प्रधान प्रशांत मीणा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस श्मशान घाट में नहीं लगता किसी को भय, लोग करने आते है सैर सपाटा

30 साल बाद लौटी हाट की रौनक
घाट का बराना के ग्रामीण बताते है कि एक समय था, जब यहां लगने वाले हाट में दूर दराज के गांवो से लोग आते थे. वहीं चंबल पार के गांवों से भी ग्रामीण व व्यापारी नावों के सहारे हाट में पहुंचते थे. खासकर कपड़े व सोने चांदी के व्यापारी तो अकसर चंबल पार से ही आते थे. हाट में ग्रामीणों को जरूरत का सामान गांव में ही मिल जाता है. वहीं ग्रामीण अपने उत्पादों की बिक्री भी कर लेते है. जो आमदनी का एक जरिया बन जाता है. उस समय पर्याप्त सुविधाओं और जगह के अभाव के चलते हाट बाजार बंद हो गया. अब ग्रामीण खुश है कि वर्षो पुरानी हाट बाजार की परम्परा फिर से शुरू हो गई.

यहां अभी लगते है साप्ताहिक हाट
क्षेत्र में हाट बाजार की परम्परा नई नहीं है. वर्षो से यह सिलसिला चला आ रहा है. लाखेरी में हाट रविवार को लगता आ रहा है. वहीं कापरेन में सोमवार को हाट लगता है, खटकड में गुरूवार को, झालीजी का बराना व सुमेरगंजमंडी में शनिवार को, देई मे मंगलवार को और देहीखेडा, सौंप, गैडोली और बाबई में शुक्रवार को हाट बाजार लगता है. इनमें से लाखेरी, सुमेरगंजमंडी में तो हाट बाजार रजवाड़ों के जमाने से ही चला आ रहा है. हाट व्यवस्था को लेकर तत्कालीन रियासतों के शासक तथा बाद में अंग्रेजो ने भी इस व्यवस्था को बनाए रखने मे काफी प्रयास किया.

जरूरत के सामानों को खरीदा और बेचा जाता है
गांवों व कस्बों मे लगने वाले साप्तहिक हाट बाजार लोगों की जरूरत के सामानों की उपलब्धता के मुख्य स्रोत होते है. इन हाट बाजारों में खाद्यान्न से लेकर कपड़ा, बर्तन सहित वे तमाम सामान मिलते है. जिनकी लोगों को रोजमर्रा के दिनो में आवश्यकता पड़ती है. इनमें मसाले, सब्जी, फल, जूते-चप्पल, मिट्ट के बर्तन, मणियारी के सामान जो दैनिक रूप से काम आते है. यहीं नहीं हाट में कई सामानों की रिपेयर करने वाले सहजता से मिल जाते है. मसलन कैंची के धार लगाना, छतरियों व सिलाई मशीन की रिपेयर, तालों के चाबी लगावाना सहित अन्य काम जो अमूमन हाट बाजार में ही उपलब्ध होते है.

पढ़ें- कोटा का सबसे व्यस्ततम एरोड्रम सर्किल पर नहीं लगेगा अब जाम, देखें स्पेशल रिपोर्ट

आर्थिक रूप से आत्म निर्भरता का केंन्द्र है हाट
गांवों व कस्बो में लगने वाले हाट बाजार ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. इन हाट बाजारों में जहां ग्रामीण खरीदारी करते है. वंही अपने उत्पादों की बिक्री भी करते है. जिससे वे अपनी आमदनी को मजबूत करने का प्रयास करते है. दरअसल, भारत कृषि प्रदान देश होने के चलते गांवों में लगने वाले हाट बाजार स्थानीय लोगों के लिए सामान खरीदने बेचने के साथ आर्थिक विपणन का काम करते है. यहीं नहीं सामाजिक रूप से भी हाट बाजार महत्त्वपूर्ण रूप से भागीदारी निभाते है. हाट बाजार को ग्रामीणों का एक मिलन स्थल माना जाता है. जहां वे अपने पारिवारिक संबंधों के साथ अन्य सामाजिक स्तर के मसलों का निष्पादन करते है.

Intro:भारत की कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था मे गांवो मे लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार गांवो को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करने के साथ साथ खरीद फरोख्त का प्रमुख केन्द्र माने जाते है।इसी कडी मे पिछले तीस सालो से बंद हाट बाजार की चहल पहल केशवरायपाटन क्षेत्र के घाट का बराना गांव मे एक बार फिर शुरू हुई है।गाँव के दशहरा मैदान मे मंगलवार को हाट बाजार का शुभारंभ हुआ।Body:केशवरायपाटन क्षेत्र के घाट का बराना गांव मे एक बार फिर हाट बाजार की चहल पहल शुरू हुई है।गाँव के दशहरा मैदान मे मंगलवार को हाट बाजार का शुभारंभ हुआ।हाट को पुनः सुचारू करने के लिए गांव के युवा सरपंच संदीप जैन व ग्रामीणो का काफी योगदान रहा।ग्रामीणों में खासकर युवाओं में इस पहल को लेकर काफी उत्साह रहा। कि लंबे अंतराल के बाद घाट का बराना मे साप्तहिक हाट बाजार शुरू हुआ।ग्रामीणों के अनुसार बहुत सालो पहले गाव मे हाट लगता था जो जगह की कमी व अन्य सुविधाओं के अभाव मे बंद हो गया था।इस बार हाट की शुरूआत होने पर ग्रामीणों को घरेलू सामानों की खरीद फरोख्त मे आसानी हुई।वही ग्रामीण अपनी जरूरत के सामान खरीद सकेंगे।गांव मे मंगलवार को एक समारोह के तहत हाट की शुरूआत हुई।जिसमे विधायक चंद्रकांता मेघवाल व केशवराय पाटन प्रधान प्रशांत मीणा बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए।हाट में आयोजित समारोह में विधायक मेघवाल ने राज्य सरकार पर जमकर कटाक्ष करे।तो प्रधान मीणा ने भी राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया।


तीस सालो बाद लौटी हाट की रौनक 

घाट का बराना के ग्रामीण बताते है कि एक समय था जब यहा लगने वाले हाट मे दूर दराज के गांवो से लोग आते ही थे ।वही चंबल पार के गांवो से भी ग्रामीण व व्यापारी नावों के सहारे हाट मे पहुंचते थे।खासकर कपडे व सोने चांदी के व्यापारी तो अकसर चंबल पार से ही आते थे।हाट मे ग्रामीणों को जरूरत का सामान गांव मे ही मिल जाता है।वही ग्रामीण अपने उत्पादों की बिक्री भी कर लेते है।जो आमदनी का एक जरिया बन जाता है।उस समय पर्याप्त सुविधाओं ओर जगह के अभाव के चलते हाट बाजार बंद हो गया।अब ग्रामीण खुश है कि वर्षो पुरानी हाट बाजार की परम्परा फिर से शुरू हुई है।


यहाँ लगते है हाट बाजार 

क्षेत्र में हाट बाजार की परम्परा नयी नही है।वर्षो से यह सिलसिला चला आ रहा है।लाखेरी मे पिछले दौ वर्षो से भी अधिक समय से हाट रविवार को लगता आ रहा है।वही कापरेन मे सोमवार को खटकड मे गुरूवार को झालीजी का बराना व सुमेरगंजमंडी मे शनिवार को देई मे मंगलवार को तथा देहीखेडा,सौंप,गैडोली व बाबई मे शुक्रवार को हाट बाजार लगता है। इनमे से लाखेरी,सुमेरगंजमंडी मे तो हाट बाजार रजवाड़ों के जमाने से ही चला आ रहा है। हाट व्यवस्था को लेकर तत्कालीन रियासतों के शासक तथा बाद मे अंग्रेजो ने भी इस व्यवस्था को बनाए रखने मे काफी प्रयास किया।


जरूरत के सामानों की होती है खरीद फरोख्त 


गांवो व कस्बो मे लगने वाले साप्तहिक हाट बाजार लोगो की जरूरत के सामानो की उपलब्धता के मुख्य स्रोत होते है।इन हाट बाजारों मे खाद्यान्न से लेकर कपडा बर्तन सहित वे तमाम सामान मिलते है।जिनकी लोगो को रोजमर्रा के दिनो मे आवश्यकता पड़ती है।इनमे मसाले सब्जी फल जूते चप्पल जूतियाँ मिट्ट के बर्तन मणियारी के सामान जो दैनिक रूप से काम आते है।यही नही हाट मे कई सामानों की रिपेयर करने वाले सहजता से मिल जाते है।मसलन कैंची के धार लगाना छतरियो व सिलाई मशीन की रिपेयर व तालो के चाबी लगावाना सहित अन्य काम जो अमुमन हाट बाजार मे ही उपलब्ध होते है।


Conclusion:आर्थिक रूप से आत्म निर्भरता का केंन्द्र हे हाट

गांवो व कस्बो मे लगने वाले हाट बाजार ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने मे महत्वपूर्ण भुमिका निभाते है।इन हाट बाजारों मे जहा ग्रामीण खरीददारी करते है।वही अपने उत्पादों की बिक्री भी करते है।जिससे वे अपनी आमदनी को मजबुत करने का प्रयास करते है।दरअसल भारत कृषि प्रदान देश होने के चलते गांवो मे लगने वाले हाट बाजार स्थानीय लोगो के लिए खरीद फरोख्त के साथ आर्थिक विपणन का काम करते है।यही नही सामाजिक रूप से भी हाट बाजार महत्त्वपूर्ण रूप से भागीदारी निभाते है।हाट बाजार को ग्रामीणों का एक मिलन स्थल माना जाता है जहा वे अपने पारिवारिक संबंधो के साथ अन्य सामाजिक स्तर के मसलों का निष्पादन करते है।


बाईट-चन्द्रकान्ता मेघवाल,विधायक केशवराय पाटन

बाईट-कलावती बाई,स्थानीय महिला

बाईट-लोकेश शर्मा स्थानीय निवासी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.