बूंदी. मटर की पैदावार के लिए देश और प्रदेश में अपनी छाप छोड़ चुके बूंदी के बड़ा नया गांव क्षेत्र में इस बार मानसून की मेहरबानी के चलते खेतों में मटर की फसल ज्यादा लहलहाती हुई नजर आ रही है. जबकि क्षेत्र में लगातार 2 वर्षों से कम बरसात होने के चलते किसानों के सामने सिंचाई के लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो गई थी.
ऐसे में किसानों की ओर से मटर की फसल से अपने हाथ खींच लेने से क्षेत्र में मटर की फसल का रकबा घटकर आधे से भी कम हो गया था. लेकिन किसान इस बार मानसून की मेहरबानी के चलते मटर की फसल की बुवाई में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में इस बार क्षेत्र में मटर की फसल का रकबा गत वर्षों की तुलना में बढ़ रहा है. जिससे मटर की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है. किसान इन दिनों क्षेत्र के गांव में मटर की बुवाई को लेकर तैयारी में जुटे हुए हैं कुछ किसानों ने तो मटर की खेतों में फसल तैयार कर दी है और बुवाई में जुट गए हैं.
किसानों ने बताया कि गत 2 सालों से क्षेत्र में बारिश की बेरुखी के चलते कुओं व नलकूपों में पानी रीत गया था. जिससे किसानों के सामने सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई थी. मटर की फसल में भी उन्होंने हाथ खींच लिए थे. लेकिन इस बार मानसून की मेहरबानी होने के चलते पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो गई है. जिससे फसलों में सिंचाई की आसानी किसानों को होगी.
इन दिनों मटर की बुवाई के लिए खेतों में किसान रेलना का कार्य कर रहे हैं और कई किसानों ने खेतों में मटर की बुवाई कर दी है. जिससे नए साल में ही पैदावार शुरू हो जाएगी. क्षेत्र के मांगली कला, बोरखेड़ा, चैता, बिछड़ी, दाता, खातीखेड़ा, जड़का नया गांव, गुड़ा बांध, कल्याणपुरा, कुकड़ा, डूंगरी, तुरकडी, त्रिसुलिया, बड़ोदिया, हरीपुरा, बरवाला, रघुनाथपुरा डेरोली, डागरिया, काला भाटा, नारायणपुर सहित अन्य गांव में मटर की बंपर पैदावार होती है.
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कृषि विभाग ने भी मटर की बंपर पैदावार होने से खुशी जताई है. उप निदेशक रमेश जैन का कहना है कि इस बार अच्छी बारिश होने के चलते किसान मटर की फसल में रुचि दिखा रहे हैं. अगर आकड़ों की बात की जाए तो पिछले वर्ष 833 हैक्टेयर में पूरे जिले में मटर की बुवाई हुई थी. लेकिन वह बढ़कर अब इस वर्ष 1100 हैक्टेयर हो गई है. जिनमें से अभी तक 165 हैक्टेयर मटर की बुवाई की जा चुकी है और किसान रोज अपने खेतों में मटर की बुवाई के लिए कार्य कर रहे हैं. जो आने वाले समय में सिंचाई विभाग व कृषि विभाग के आंकड़े को छू जाएगा.
उप निदेशक रमेश जैन ने कहा कि मटर की फसल की पैदावार के लिए कृषि विभाग किसानों के पास पहुंच रहा है और उन्हें उनके क्षेत्र के अनुसार कितनी खाद खेत में डालनी है, कितना स्टॉक खेत पर डालना है और किस तरीके से पैदावार की जानी है इसको लेकर किसानों को मार्गदर्शन-परामर्श दे रहा है. वहीं रबी की फसल में कृषि विभाग ने खुशी जताई कि इस बार जिले के सभी बांध लबालब है तो किसानों को पानी की कोई परेशानी नहीं आएगी और किसानों को अच्छी बंपर पैदावार होगी.
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बूंदी के बड़ा नया गांव इलाके में आधा दर्जन किस्म की मटर तैयार हो रही है. जिसमें गोल्डन मटर, कटार मटर, जेके मटर, पंत मटर, अलंकार मटर तैयार हो रही है. किसान अपने हिसाब से इन मटरों की फसल को अपने खेतों पर उपजाई कर रहा है. वर्तमान में बड़ा नया गांव इलाके में किसान हकाई जुताई वह खेत पर बीज लगाने एवं पानी देने का काम कर रहा है. यहां पर किसान तन मन से मेहनत मजदूरी कर रहा है और किसानों को उम्मीद है कि मटर की फसल का जो रकबा बढ़ा है और जो पानी उन्हें मिलेगा. उससे उन्हें अच्छा फायदा होगा.
किसानों की मानें तो किसान को एक बीघा की फसल तैयार करने में 25 हजार रुपए लगते हैं. जिसमें खाद, बीज, बुवाई, हकाई व मंडी तक ले जाने में इस लागत में किसान को खर्चा होता है. वही एक बीघा में किसान को मटर की फसल में 15 हजार का फायदा होता है. लेकिन, किसान आस लगाए बैठे हैं कि इस बार अच्छी पैदावार होगी तो उन्हें यह मुनाफा और अधिक मिलेगा.
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बता दें कि बड़ा नया गांव में ही मटर मंडी स्थित है. जहां आसपास के गांव के किसान आसानी से इस मंडी में मटर को लाते हैं और मटर को नीलामी के अनुसार खरीदा जाता है. अब किसान मटर की बुवाई में जुट गए हैं और आने वाले समय पर किसानों के लिए मटर की फसल वरदान साबित होगी. क्योंकि, बारिश ने उनकी खरीफ की फसल को तो बर्बाद कर ही दिया लेकिन अब बारिश अच्छी हुई तो आने वाली मटर की फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है और किसानों के चेहरे खिलते हुए नजर आने की आस है.