बूंदी. प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है. बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में अभी तक टाइगर नहीं छोड़े गए हैं. जिसके चलते बूंदी वासियों में आक्रोश है और उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द बूंदी के इस अभयारण्य में टाइगर शिफ्ट किए जाए. उधर, वन विभाग ने 40 चीतल और 398 सांभर टाइगर रिजर्व में छोड़ दिए हैं. विभाग के पास टाइगर छोड़ने की स्वीकृति नहीं मिली है. लेकिन विभाग स्वतः ही टाइगर के मूवमेंट पर जोर दे रहा है.
रामगढ़ अभयारण्य में टाइगर की दहाड़ का इंतजार
रामगढ़ अभयारण्य में अभी तक भी टाइगर की दहाड़ नहीं गूंजने से बूंदी के वासियों में काफी खफा है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द ही सुरक्षित स्थान पर बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में टाइगर को शिफ्ट किया जाए. जिससे बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य को चार चांद लग सकें. आपको बता दें कि प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में रुचि दिखाते हुए प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा की थी और उस घोषणा के साथ ही सरकार ने प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार के विभाग पर भेज दिए थे. लेकिन केंद्र की संस्था एनटीसीए फाइल को मंजूरी नहीं दी है. जिसके चलते वन विभाग भी तैयारी तो कर रहा है, लेकिन तैयारी गुपचुप ही चल रही है.
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रामगढ़ विषधारी अभ्यारण में 40 चीतल छोड़े, 398 सांभर शिफ्ट
रामगढ़ विषधारी अभ्यारण में 40 चीतल छोड़े गए हैं. वन विभाग जल्द ही बूंदी के जंगलों में फिर से बाघों से आबाद करने की तैयारी में जुटा हुआ है और इसके तहत इस वर्ष के अंत तक बूंदी में बाघ को शिफ्ट करने की योजना वन विभाग गुप्त रूप से बना रहा है. जानकारी के अनुसार दिल्ली के मथुरा रोड स्थित चिड़ियाघर से 40 चीतल रविवार को बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण में सुरक्षित शिफ्ट कर दिए गए हैं और उन्हें टाइगर को रामगढ़ में शिफ्ट करने की पूरी तैयारी भी कर ली है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बूंदी के जंगलों को प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की तैयारी चल रही है. इससे पहले अभयारण्य में दिल्ली चिड़ियाघर से 398 सांभर शिफ्ट किए गए हैं.
बाघों के अनुकूल हो गया रामगढ़ विषधारी अभयारण्य
दिल्ली चिड़ियाघर से सांभर व चीतल व टाइगर रिजर्व की तैयारी के साथ ही जिले का रामगढ़ विषधारी अभयारण्य अब पूरी तरह से बाघों के अनुकूल हो गया है. यहां पर पशु चारण व मानवीय दखल पर पूरी तरह पाबंदी लगाने से जंगल की आबोहवा बदल गई है. रामगढ़ महल क्षेत्र में मेज नदी का इलाका पूरी तरह से बाघों के लिए अनुकूल बना दिया गया है. यहां पर ग्रास लैंड विकसित करने का कार्य किया जा रहा है और सफलतापूर्वक कार्य जारी है.
टी-115 बाघ को शिफ्ट करने की तैयारी !
बूंदी जिले के लिए टी-115 बाघ को शिफ्ट करने की तैयारी की जा सकती है. वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में 2 बाघ बूंदी में विचरण कर रहे हैं. जिनमें टी-115 बाघ युवा है जो चंबल नदी के किनारे बूंदी जिले के कापरेन के आसपास भटक रहा है. दूसरा भाग टी-110 जिसके रामगढ़ में पहुंचने की उम्मीद कम है. जिसके चलते वन विभाग टी-115 के रामगढ़ की ओर मूमेंट करने के इंतजार में जुटा हुआ है और वन विभाग यही कयास लगा रहा है कि टाइगर खुद-ब-खुद बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण में मूवमेंट कर ले ताकि उन्हें किसी प्रकार की मशक्कत करना नहीं पड़े.
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दो दशक बाद बाघों की दहाड़
रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य में बाघों को शिफ्ट करने की योजना पिछले दो दशक चली आ रही है, लेकिन अब दहाड़ सुनाई देने की उम्मीद है. रामगढ़ अभयारण्य के जंगल को 1982 में वन्य जीव अभ्यारण का दर्जा दिया गया था. दर्जा मिलने तक इस जंगल में 14 बाघों और 90 बघेरों की उपस्थिति थी. अभयारण्य में 1985 से ही बाघों की संख्या में कमी आती गई. 1999 तक एक ही बाघ बचा था जो भी लुप्त हो जाने से अभयारण्य बाघ विहीन हो गया था. 20 वर्ष पहले बाघों का कुनबा का सफाया होने के बाद रामगढ़ में कोई भी बाघिन युवराज को जन्म देने नहीं आ रही थी. दूसरे चरण से साम्राज्य की तलाश में कोई युवराज अपने पुरखों के घरों जंगलों में नहीं आ रहे थे रणथंभोर से निकलकर बाग रामगढ़ विषधारी में अपने साम्राज्य की तलाश में आते हैं. 2007 में पिछले वर्ष तक तीन बाघ आए हैं और तीनों की मेहमान की तरह यहां वापस लौट गए. 2007 में बाघ युवराज तो वापस लौटते समय लाखेरी के पास मेज नदी की कंदराओं में शिकारियों के हत्थे चढ़ गया था. 5 वर्ष बाद बाघ टी-62 आया तो कुछ माह तक रामगढ़ में समय बिताकर वापस लौट गया. 2017 में फिर टी-91 लगभग 1 वर्ष तक अभयारण्य में रहा. जिसके बाद कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में सरकार द्वारा उसे शिफ्ट कर दिया गया.