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बूंदी : केशवरायपाटन में बारिश की कमी से सोयाबीन की पैदावार कम, किसान परेशान

कोरोना के दंश से जूझ रहे मजदूर किसानों पर अब मायूसी के बादल मंडराने लगे है. कोरोना काल में शहरों से गांव की ओर लौटे मजदूरों ने जवाराकाश्त पर जमीने लेकर सोयाबीन की बुआई की थी, लेकिन बुआई का बीज तक नहीं निकल पा रहा है. जिसके कारण मौसम की बेरुखी और प्रशासन की देरी है. प्रशासन द्वारा नहरों में तो पानी छोड़ा गया, लेकिन सही समय पर किसानों की फसलों को पानी नहीं मिल सका, जिससे पैदावार में भयंकर गिरावट आई.

सोयाबीन की पैदावार कम, Soybean yield reduced
सोयाबीन की पैदावार कम
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Published : Oct 12, 2020, 4:39 PM IST

केशवरायपाटन (बूंदी). दिन-रात पसीना बहाने के बाद भी किसानों की उम्मीद के अनुरूप सोयाबीन की पैदावार इस साल नहीं हुई है. हालांकि इस बार किसानों ने पिछले वर्ष से अधिक सोयाबीन की बुआई की थी, लेकिन अन्य वर्षो की तुलना में इस वर्ष कम पैदावार हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगस्त और सितंबर माह के दौरान बरसात नहीं हुई थी.

उपखण्ड के किसानों ने 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी. शुरूआत के समय मौसम अनुकूल रहने के कारण सोयाबीन की बंपर पैदावार होने की उम्मीद लगाई जा रही थी. जून तक तो मौसम ठीक-ठाक रहा, लेकिन जुलाई आते-आते मौसम ने करवट लेनी शुरू कर दी. वहीं बरसात नहीं होने से सोयाबीन की फसल सूखने की कगार पर थी. इस दौरान प्रशासन द्वारा नहरों में जलप्रवाह भी छोड़ा गया, लेकिन फसलों को तय समय पर पानी नहीं मिलने से फसले तबाह हो गई. इसलिए किसानों के उम्मीद के अनुरूप सोयाबीन की पैदावार नहीं हुई.

पढ़ेंः गोंडा में पुजारी की गोली मारे जाने की घटना में यूपी सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिएः गहलोत

खेतों से निकल रही 20-30 किलो बीघा की औसत पैदावार...

इस बार किसानों पर भारी कहर टूटा है. मौसम के बेरुखी का दंश झेल रहे किसानों की खड़ी फसले तबाह हो गई. किसानों के मूताबिक फसलों से खर्चा तक निकालना मुश्किल हो रहा है. इससे किसानों ने प्रशासन से उचित मुआवजा देने या समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की उचित दामो में खरीद की मांग की है. खेतों से महज 20 से 30 किलो बीघा उपज निकल रही है. जो बेहद कम है. इससे अधिक तो किसानो ने बीज की बुआई की थी.

केशवरायपाटन (बूंदी). दिन-रात पसीना बहाने के बाद भी किसानों की उम्मीद के अनुरूप सोयाबीन की पैदावार इस साल नहीं हुई है. हालांकि इस बार किसानों ने पिछले वर्ष से अधिक सोयाबीन की बुआई की थी, लेकिन अन्य वर्षो की तुलना में इस वर्ष कम पैदावार हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगस्त और सितंबर माह के दौरान बरसात नहीं हुई थी.

उपखण्ड के किसानों ने 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी. शुरूआत के समय मौसम अनुकूल रहने के कारण सोयाबीन की बंपर पैदावार होने की उम्मीद लगाई जा रही थी. जून तक तो मौसम ठीक-ठाक रहा, लेकिन जुलाई आते-आते मौसम ने करवट लेनी शुरू कर दी. वहीं बरसात नहीं होने से सोयाबीन की फसल सूखने की कगार पर थी. इस दौरान प्रशासन द्वारा नहरों में जलप्रवाह भी छोड़ा गया, लेकिन फसलों को तय समय पर पानी नहीं मिलने से फसले तबाह हो गई. इसलिए किसानों के उम्मीद के अनुरूप सोयाबीन की पैदावार नहीं हुई.

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खेतों से निकल रही 20-30 किलो बीघा की औसत पैदावार...

इस बार किसानों पर भारी कहर टूटा है. मौसम के बेरुखी का दंश झेल रहे किसानों की खड़ी फसले तबाह हो गई. किसानों के मूताबिक फसलों से खर्चा तक निकालना मुश्किल हो रहा है. इससे किसानों ने प्रशासन से उचित मुआवजा देने या समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की उचित दामो में खरीद की मांग की है. खेतों से महज 20 से 30 किलो बीघा उपज निकल रही है. जो बेहद कम है. इससे अधिक तो किसानो ने बीज की बुआई की थी.

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