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बूंदीः पैदल जा रही दिव्यांग महिला की सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की मदद

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Published : May 31, 2020, 8:55 PM IST

जयपुर निवासी दिव्यांग रेखा अपने परिवार के साथ पैदल ही बारां से जयपुर के लिए जा रही थी. जिसके बाद बूंदी वासियों ने उसे जाते हुए देखा तो वह देख नहीं पाए. जिसके बाद महिला को समझाइश कर बूंदी लाया गया और वाहन करवाकर बूंदी वासियों ने उसे जयपुर रवाना करवाया है. यह लोग लगातार लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की सहायता कर रहे हैं.

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करवाया जयपुर रवाना

बूंदी. देश में जब से लॉकडाउन हुआ है तब से बूंदी के कई सामाजिक संस्था से जुड़े लोग मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों की सहायता कर रहे हैं. उन्हें खाने से लेकर उनको घर पर रवाना करने के लिए उनकी पहल जारी है.

महिला की सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की मदद

इसी बीच बूंदी के तालेड़ा बाईपास पर कुछ लोगों ने एक दिव्यांग महिला के साथ दो नन्ही बच्चियों को जाते हुए देखा. जिसके बाद लोगों ने महिला से बात की तो पता चला कि महिला बारां से सड़कों पर ऐसे ही घसीटते हुए जयपुर जा रही है. जिसके बाद बूंदी वासियों के रोंगटे खड़े हो गए.

पढ़ेंः पुलिस ने संदिग्ध मौत मानते हुए परिजनों को अंतिम संस्कार से रोका, जलती चिता पर डाला पानी

ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता चर्मेश वर्मा और अंकित बुलीवाल ने महिला और दोनों नन्ही बच्चों से समझाइस की और उन्हें बूंदी देवपुरा रोड स्थित रैन बसेरे में लाया गया. जहां उनकी स्क्रीनिंग करवाई गई और उनके खान-पान की व्यवस्था करवाई गई. यहीं नहीं बूंदी के इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनको दो जोड़ी कपड़ों की व्यवस्था भी करवाई. साथ में जयपुर जाने के लिए वाहन भी करवाया और उनको जयपुर रवाना करवाकर मानवता की मिसाल पेश की है.

रेखा ने बताया कि वह जन्म से दिव्यांग नहीं थी, 4 वर्ष पूर्व जब उनके पति कमल का निधन हुआ तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. तीन लड़कियों के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी रेखा पर ही आन पड़ी. दुखों का पहाड़ वह झेल नहीं पाई और कमर के नीचे का हिस्सा सुन हो गया. जिससे उसके शरीर में विकलांगता आ गई.

साथ ही बताया कि इलाज कराने के लिए उसके पास कोई पैसे नहीं थे. रेखा के साथ 14 वर्षीय बेटी भी मजदूरी करती है और उसी मजदूरी के कारण उसका परिवार चलता है. जिस दिन मजदूरी नहीं मिलती है उस दिन खाने के लाले पड़ जाते है. ऐसे में बूंदी के लोगों का रेखा ने भी धन्यवाद ज्ञापित किया है.

पढ़ेंः डॉक्टर्स के लिए हुआ ऑनलाइन सिंगिंग कॉम्पिटिशन, कोटा की डॉक्टर संगीता खंडेलिया TOP-10 में बनाई जगहव

बूंदी के इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अब तक सैकड़ों लोगों को उनके घर पर पहुंचाने का काम किया है. इसी तरह यह लोग सड़कों पर वह हाईवे पर निगरानी रखते हैं और असहाय और मजदूर लोगों की परेशान देख उनकी मदद करने में पीछे नहीं हटते हैं. अब तक इन लोगों ने 200 से अधिक लोगों को उनके घर पर पहुंचाने का काम किया है. साथ ही यह लोग लगातार मजदूरों को घर में पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

बूंदी. देश में जब से लॉकडाउन हुआ है तब से बूंदी के कई सामाजिक संस्था से जुड़े लोग मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों की सहायता कर रहे हैं. उन्हें खाने से लेकर उनको घर पर रवाना करने के लिए उनकी पहल जारी है.

महिला की सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की मदद

इसी बीच बूंदी के तालेड़ा बाईपास पर कुछ लोगों ने एक दिव्यांग महिला के साथ दो नन्ही बच्चियों को जाते हुए देखा. जिसके बाद लोगों ने महिला से बात की तो पता चला कि महिला बारां से सड़कों पर ऐसे ही घसीटते हुए जयपुर जा रही है. जिसके बाद बूंदी वासियों के रोंगटे खड़े हो गए.

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ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता चर्मेश वर्मा और अंकित बुलीवाल ने महिला और दोनों नन्ही बच्चों से समझाइस की और उन्हें बूंदी देवपुरा रोड स्थित रैन बसेरे में लाया गया. जहां उनकी स्क्रीनिंग करवाई गई और उनके खान-पान की व्यवस्था करवाई गई. यहीं नहीं बूंदी के इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनको दो जोड़ी कपड़ों की व्यवस्था भी करवाई. साथ में जयपुर जाने के लिए वाहन भी करवाया और उनको जयपुर रवाना करवाकर मानवता की मिसाल पेश की है.

रेखा ने बताया कि वह जन्म से दिव्यांग नहीं थी, 4 वर्ष पूर्व जब उनके पति कमल का निधन हुआ तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. तीन लड़कियों के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी रेखा पर ही आन पड़ी. दुखों का पहाड़ वह झेल नहीं पाई और कमर के नीचे का हिस्सा सुन हो गया. जिससे उसके शरीर में विकलांगता आ गई.

साथ ही बताया कि इलाज कराने के लिए उसके पास कोई पैसे नहीं थे. रेखा के साथ 14 वर्षीय बेटी भी मजदूरी करती है और उसी मजदूरी के कारण उसका परिवार चलता है. जिस दिन मजदूरी नहीं मिलती है उस दिन खाने के लाले पड़ जाते है. ऐसे में बूंदी के लोगों का रेखा ने भी धन्यवाद ज्ञापित किया है.

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बूंदी के इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अब तक सैकड़ों लोगों को उनके घर पर पहुंचाने का काम किया है. इसी तरह यह लोग सड़कों पर वह हाईवे पर निगरानी रखते हैं और असहाय और मजदूर लोगों की परेशान देख उनकी मदद करने में पीछे नहीं हटते हैं. अब तक इन लोगों ने 200 से अधिक लोगों को उनके घर पर पहुंचाने का काम किया है. साथ ही यह लोग लगातार मजदूरों को घर में पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

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