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राजस्थान के किसान ने मरुधरा में उगा दी 'कश्मीरी केसर' - rajasthan news

बूंदी जिले में पहली बार नारायणपुर गांव निवासी किसान शंकरलाल नाथ ने केसर की खेती कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर को राजस्थान के बूंदी में उपजाना अपने आप में अनोखी बात है. लेकिन यह कारनामा उन्होंने कर दिखाया जानते है केसर की खेती की पूरी कहानी इस खास रिपोर्ट में.

Saffron cultivation in Bundi, बूंदी में केसर की खेती
बूंदी में केसर की खेती कर रचा इतिहास
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Published : Apr 15, 2020, 1:13 PM IST

बूंदी. कहते है कि जब किसी काम को करने का हौसला और जज्बा हो तो मुश्किले छोटी नजर आती है. कुछ ऐसा ही कमाल किया है बूंदी के किसान शंकरलाल ने. जिले में पहली बार नारायणपुर गांव निवासी किसान शंकरलाल नाथ ने केसर की खेती कर नया किर्तिमान स्थापित किया है. ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर को राजस्थान के बूंदी में उपजाना अपने आप में अनोखी बात है. लेकिन बूंदी के किसान शंकरलाल ने केसर की उपज राजस्थान जैसे तपते प्रदेश में कर के नयी मिसाल कायम की है.

बूंदी में केसर की खेती कर रचा इतिहास

शंकरलाल की इस खेती को देखने के लिए दूर-दूर से किसान और कई स्थानिय लोग भी आ रहे है. किसान ने महज आधा बीघा खेत में ही यह केसर की खेती की. ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर की खेती को तपते जिलों में भी बनाने का रिकॉर्ड बूंदी के एक किसान ने तोड़ा है. जिले के नारायणपुर गांव निवासी शंकरलाल नाथ ने दूसरे किसानों से अमेरिकन केसर की बीज लेकर अपने खेत में केसर की खेती की. दो-तीन माह बाद खेत से केसर के पेड़ उगने लगे और किसान की मेहनत रंग लाई. 5 से 7 माह के बीच उन पेड़ों में धीरे-धीरे केसर की उपज होने लगी. महज आधे बीघा खेत में किसान ने केसर की फसल उगाई. कुछ महिने बाद ही फसल के पौधों में केसर पूरी तरह से लहलहाने लगी. कहीं केसर केसरिया थी तो कहीं केसर पूरी लाल रंग की उगने लगी.

Saffron cultivation in Bundi, बूंदी में केसर की खेती
बूंदी में केसर की खेती कर रचा इतिहास

पढ़ेंः बूंदी: केशवरायपाटन में शार्ट सर्किट से खेतों में लगी आग, 3 से 4 घंटे के बाद पाया काबू

केसर उगने की बात आस-पास के गांव वालों को पता चली तो गांव वालों का हुजूम खेत पर उमड़ने लगा और सभी किसान शंकर लाल की तारीफ करने लगे. हालांकि किसान ने केसर किसी को बेचा नहीं. खेती में किसान को 3 किलो से अधिक केसर की उपज हुई. शंकरलाल का कहना है कि वह केसर के सैंपल भेजते रहते हैं जब भी उन्हें अच्छा भाव मिलेगा तो वे अपनी केसर को बेच देंगे. शंकरलाल नाथ पहले टमाटर- गेहूं सहित अन्य प्रकार की खेती किया करते थे. लेकिन उनका सपना था कि वह केसर की खेती करें. पिछले 3 सालो से वह केसर की खेती को लेकर प्रयासरत थे. किसान ने अमेरिकन केसर का बीज लेकर अपने खेत पर पहुंचे. जहां उन्होंने आधा बीघा फसल के अंदर उस बीज को बो दिया. फिर 7 माह बाद आधा बीघा खेत में केसर के फसल में बड़े-बड़े पौधे उग गए उन पौधों में से केसर की उपज होने लगी. केसर की फसल में किसान के 7000 से अधिक की राशि लगी.

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बूंदी में केसर की खेती कर रचा इतिहास

पढ़ेंः बूंदी नगर परिषद में सफाई कर्मचारियों का सम्मान, सैनिटाइजर और मास्क बांटे

हालांकि केसर ठंडे प्रदेशों में होती है और ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर की काफी डिमांड भी रहती है और लाखों रुपए के भाव में यह बिकती है. आमतौर पर केसर ठंडे प्रदेशों में होती है लेकिन बूंदी जिले में गर्मियों के सीजन में सबसे अधिक तापमान बूंदी में रहता है. ऐसी परिस्थिति में केसर की खेती करना कोई आम बात नही है. बता दे कि इस केसर को अमेरिकन केसर के नाम से जाना जाता है.

बूंदी. कहते है कि जब किसी काम को करने का हौसला और जज्बा हो तो मुश्किले छोटी नजर आती है. कुछ ऐसा ही कमाल किया है बूंदी के किसान शंकरलाल ने. जिले में पहली बार नारायणपुर गांव निवासी किसान शंकरलाल नाथ ने केसर की खेती कर नया किर्तिमान स्थापित किया है. ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर को राजस्थान के बूंदी में उपजाना अपने आप में अनोखी बात है. लेकिन बूंदी के किसान शंकरलाल ने केसर की उपज राजस्थान जैसे तपते प्रदेश में कर के नयी मिसाल कायम की है.

बूंदी में केसर की खेती कर रचा इतिहास

शंकरलाल की इस खेती को देखने के लिए दूर-दूर से किसान और कई स्थानिय लोग भी आ रहे है. किसान ने महज आधा बीघा खेत में ही यह केसर की खेती की. ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर की खेती को तपते जिलों में भी बनाने का रिकॉर्ड बूंदी के एक किसान ने तोड़ा है. जिले के नारायणपुर गांव निवासी शंकरलाल नाथ ने दूसरे किसानों से अमेरिकन केसर की बीज लेकर अपने खेत में केसर की खेती की. दो-तीन माह बाद खेत से केसर के पेड़ उगने लगे और किसान की मेहनत रंग लाई. 5 से 7 माह के बीच उन पेड़ों में धीरे-धीरे केसर की उपज होने लगी. महज आधे बीघा खेत में किसान ने केसर की फसल उगाई. कुछ महिने बाद ही फसल के पौधों में केसर पूरी तरह से लहलहाने लगी. कहीं केसर केसरिया थी तो कहीं केसर पूरी लाल रंग की उगने लगी.

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केसर उगने की बात आस-पास के गांव वालों को पता चली तो गांव वालों का हुजूम खेत पर उमड़ने लगा और सभी किसान शंकर लाल की तारीफ करने लगे. हालांकि किसान ने केसर किसी को बेचा नहीं. खेती में किसान को 3 किलो से अधिक केसर की उपज हुई. शंकरलाल का कहना है कि वह केसर के सैंपल भेजते रहते हैं जब भी उन्हें अच्छा भाव मिलेगा तो वे अपनी केसर को बेच देंगे. शंकरलाल नाथ पहले टमाटर- गेहूं सहित अन्य प्रकार की खेती किया करते थे. लेकिन उनका सपना था कि वह केसर की खेती करें. पिछले 3 सालो से वह केसर की खेती को लेकर प्रयासरत थे. किसान ने अमेरिकन केसर का बीज लेकर अपने खेत पर पहुंचे. जहां उन्होंने आधा बीघा फसल के अंदर उस बीज को बो दिया. फिर 7 माह बाद आधा बीघा खेत में केसर के फसल में बड़े-बड़े पौधे उग गए उन पौधों में से केसर की उपज होने लगी. केसर की फसल में किसान के 7000 से अधिक की राशि लगी.

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हालांकि केसर ठंडे प्रदेशों में होती है और ठंडे प्रदेशों में होने वाली केसर की काफी डिमांड भी रहती है और लाखों रुपए के भाव में यह बिकती है. आमतौर पर केसर ठंडे प्रदेशों में होती है लेकिन बूंदी जिले में गर्मियों के सीजन में सबसे अधिक तापमान बूंदी में रहता है. ऐसी परिस्थिति में केसर की खेती करना कोई आम बात नही है. बता दे कि इस केसर को अमेरिकन केसर के नाम से जाना जाता है.

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