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बूंदी: अस्पताल में किसान की मौत के बाद हंगामा, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप - Bundi District Hospital

बूंदी जिला अस्पताल में चिकित्सकों और स्टॉफकर्मी की लापरवाही के चलते किसान की मौत के बाद परिवार के लोगों ने दो घंटे तक बूंदी अस्पताल में हंगामा काटा. यहां प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्रवाई के आश्वासन के बाद परिवार के लोग शांत हुए और मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाकर मामले की जांच शुरू कर दी है.

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अस्पताल में किसान की मौत के बाद हंगामा
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Published : Oct 8, 2020, 3:41 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 5:08 PM IST

बूंदी. जिला अस्पताल में किसान की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की. अस्पताल के ट्रॉमा गेट के बाहर धरना देकर बैठ गए और मृतक किसान के शव को उठाने से मना कर दिया. सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. लेकिन परिवार जन प्रशासनिक वार्ता में चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे. बाद में परिजन और अस्पताल अधीक्षक के बीच हुई वार्ता में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का ठोस आश्वासन दिया गया, तब जाकर विवाद शांत हुआ.

अस्पताल में किसान की मौत के बाद हंगामा

बता दें कि सदर थाना क्षेत्र के झरबालापुरा निवासी किसान हेमराज मीणा अलसुबह खेत पर फसल पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव कर रहा था, तभी वह अचेत हो गया. अचेत होने पर उसे आसपास के लोग और परिवार जन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां पर चिकित्सकों ने उसे मेडिकल वार्ड में भर्ती कर दिया. परिजनों के अनुसार तब तक किसान हेमराज मीणा स्वस्थ्य और परिवार जन से बात कर रहा था. अचानक से उसकी तबीयत खराब हुई और वहां मौजूद स्टाफ चिकित्साकर्मियों ने कोई ध्यान नहीं दिया और उसे डेढ़ घंटे बाद कोटा रेफर करने की बात कही गई. इतने में किसान ने दम तोड़ दिया.

यह भी पढ़ें: बूंदी: विवाहिता ने की खुदकुशी, छेड़छाड़ से थी परेशान

परिवार जन ने लापरवाही बरतते हुए देख अस्पताल परिसर में हंगामा कर दिया और चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग करने लगे. परिवार जन का कहना था कि जब किसान खुद परिवार जन से बात कर रहा था. पूरी तरह से स्वस्थ था, केवल उसे चक्कर ही आ रहे थे. ऐसे में उसकी तबीयत खराब हुई तो वहां के चिकित्सकों ने उसकी सुध नहीं ली और वह तड़पता रहा. जब उसकी तबीयत खराब हुई तो अंतिम समय में उसे कोटा रेफर करने के कागज बनाए गए. परिजनों ने प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि किसान की तबीयत ज्यादा ही खराब थी तो उसे समय रहते कोटा रेफर क्यों नहीं किया. हम उसे कोटा लेकर ही चले जाते, आज उसकी जान बचाई जा सकती थी.

यह भी पढ़ें: बूंदी में कोरोना का गिर रहा है ग्राफ, जिले में केवल 84 केस ही एक्टिव

दो घंटे तक चले हंगामे के बाद मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाने और चिकित्सकों पर कार्रवाई का आश्वासन अधिकारियों द्वारा देने के बाद परिवार जन शांत हुए और पुलिस ने मृतक किसान के शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. जहां पर सदर थाना पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया है. सदर थाना के सहायक उपनिरीक्षक शिवराज सिंह ने बताया कि दवाई छिड़कते समय किसान की मौत हो गई थी, जिस पर परिवार जन ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. इस मामले में प्रकरण दर्जकर जांच की जा रही है.

बूंदी. जिला अस्पताल में किसान की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की. अस्पताल के ट्रॉमा गेट के बाहर धरना देकर बैठ गए और मृतक किसान के शव को उठाने से मना कर दिया. सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. लेकिन परिवार जन प्रशासनिक वार्ता में चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे. बाद में परिजन और अस्पताल अधीक्षक के बीच हुई वार्ता में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का ठोस आश्वासन दिया गया, तब जाकर विवाद शांत हुआ.

अस्पताल में किसान की मौत के बाद हंगामा

बता दें कि सदर थाना क्षेत्र के झरबालापुरा निवासी किसान हेमराज मीणा अलसुबह खेत पर फसल पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव कर रहा था, तभी वह अचेत हो गया. अचेत होने पर उसे आसपास के लोग और परिवार जन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां पर चिकित्सकों ने उसे मेडिकल वार्ड में भर्ती कर दिया. परिजनों के अनुसार तब तक किसान हेमराज मीणा स्वस्थ्य और परिवार जन से बात कर रहा था. अचानक से उसकी तबीयत खराब हुई और वहां मौजूद स्टाफ चिकित्साकर्मियों ने कोई ध्यान नहीं दिया और उसे डेढ़ घंटे बाद कोटा रेफर करने की बात कही गई. इतने में किसान ने दम तोड़ दिया.

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परिवार जन ने लापरवाही बरतते हुए देख अस्पताल परिसर में हंगामा कर दिया और चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग करने लगे. परिवार जन का कहना था कि जब किसान खुद परिवार जन से बात कर रहा था. पूरी तरह से स्वस्थ था, केवल उसे चक्कर ही आ रहे थे. ऐसे में उसकी तबीयत खराब हुई तो वहां के चिकित्सकों ने उसकी सुध नहीं ली और वह तड़पता रहा. जब उसकी तबीयत खराब हुई तो अंतिम समय में उसे कोटा रेफर करने के कागज बनाए गए. परिजनों ने प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि किसान की तबीयत ज्यादा ही खराब थी तो उसे समय रहते कोटा रेफर क्यों नहीं किया. हम उसे कोटा लेकर ही चले जाते, आज उसकी जान बचाई जा सकती थी.

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दो घंटे तक चले हंगामे के बाद मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाने और चिकित्सकों पर कार्रवाई का आश्वासन अधिकारियों द्वारा देने के बाद परिवार जन शांत हुए और पुलिस ने मृतक किसान के शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. जहां पर सदर थाना पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया है. सदर थाना के सहायक उपनिरीक्षक शिवराज सिंह ने बताया कि दवाई छिड़कते समय किसान की मौत हो गई थी, जिस पर परिवार जन ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. इस मामले में प्रकरण दर्जकर जांच की जा रही है.

Last Updated : Oct 9, 2020, 5:08 PM IST
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