ETV Bharat / state

रेवाड़ी से बूंदी पहुंचे मजदूर परिवार ने सुनाया अपना दर्द, कहा- खाने के पड़े थे लाले और सड़कों पर सोना पड़ा

देश में लॉकडाउन लागू होने से सबसे अधिक कठिनाई प्रवासी मजदूरों को हुई है. इस दौरान मजदूरों को रहने और खाने को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हरियाणा के रेवाड़ी से बूंदी आए 18 लोगों के एक मजदूर परिवार को भी लॉकडाउन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वह लोग अपने घर सुरक्षित पहुंच चुके है. प्रशासन की ओर से सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग करवा ली गयी है.

हरियाणा से बूंदी लौटे श्रमिक, पलायन करते प्रवासी मजदूर, Migrating laborers, Bundi News
हरियाणा से बूंदी लौटा श्रमिक परिवार
author img

By

Published : May 19, 2020, 7:41 AM IST

बूंदी. लॉकडाउन के बाद श्रमिकों और मजदूरों का रोजगार खत्म हो गया, उनके सामने खाने की दिक्कते आने लगीं. ऐसे ही बूंदी जिले के झरबालापुरा निवासी जोधराज मेघवाल को हरियाणा के रेवाड़ी में अपने 18 सदस्यों के परिवार के साथ लॉकडाउन के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

जोधराज मेघवाल का कहना है कि, सोचा नहीं था कि अब अपने परिवार से मिल पायेंगे. मजदूरी बंद हुए 70 दिन हो गये, छोटे-छोटे बच्चों के साथ पूरे परिवार के खाने के लाले पड़ गये. मकान भी खाली करना पड़ा और परदेश में दूसरे राज्य में कोई आसरा नहीं रहा. कई दिनों से महिलाओं और बच्चों के साथ सड़क पर ही सो रहे थे.

ये पढ़ें: सैल्यूटः तपती दुपहरी में सड़क पर घिस रहे नंगे पैरों में 'राहत का मरहम' लगा रहे एसीपी

मजदूर मेघवाल ने बताया कि रेवाड़ी में हमारे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को तड़पते हुए देखकर कई बार तो विचार आया कि ऐसे जीने से भी क्या फायदा. पैसे खत्म हुये तो मकान मालिक ने जरा सी भी दया नहीं की और सभी को सड़क पर सोना पड़ा. एक पल भी काटना मुश्किल था, लेकिन हम गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं था. बूंदी आने के लिए हरियाणा सरकार के नंबरों पर कई भी गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

ये पढ़ें: संवेदनहीन सरकार!...मजदूरों को मजबूरन तीन हजार रुपए किराया देकर जाना पड़ रहा घर

जोधराज मेघवाल की धर्मपत्नी मीना ने बताया कि शुक्रवार को दिन में हरियाणा रोडवेज से फोन आया था कि सभी लोग राजस्थान जाने के लिए तैयार हो जाना. दिन भर इंतजार के बाद रात को बस आयी, मुझे तो बस में बैठा लिया. लेकिन मेरे पति और परिवार वालों को बैठाने से मना कर दिया. अकेली महिला कैसे जा सकती थी. हमने लाख मिन्नतें की हाथ जोड़े, ड्राइवर के पैर भी पकड़े लेकिन कोई असर नहीं हुआ. बाद में विरोध बढ़ा तो पति और बच्चों को बस में बैठाया गया.

बूंदी. लॉकडाउन के बाद श्रमिकों और मजदूरों का रोजगार खत्म हो गया, उनके सामने खाने की दिक्कते आने लगीं. ऐसे ही बूंदी जिले के झरबालापुरा निवासी जोधराज मेघवाल को हरियाणा के रेवाड़ी में अपने 18 सदस्यों के परिवार के साथ लॉकडाउन के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

जोधराज मेघवाल का कहना है कि, सोचा नहीं था कि अब अपने परिवार से मिल पायेंगे. मजदूरी बंद हुए 70 दिन हो गये, छोटे-छोटे बच्चों के साथ पूरे परिवार के खाने के लाले पड़ गये. मकान भी खाली करना पड़ा और परदेश में दूसरे राज्य में कोई आसरा नहीं रहा. कई दिनों से महिलाओं और बच्चों के साथ सड़क पर ही सो रहे थे.

ये पढ़ें: सैल्यूटः तपती दुपहरी में सड़क पर घिस रहे नंगे पैरों में 'राहत का मरहम' लगा रहे एसीपी

मजदूर मेघवाल ने बताया कि रेवाड़ी में हमारे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को तड़पते हुए देखकर कई बार तो विचार आया कि ऐसे जीने से भी क्या फायदा. पैसे खत्म हुये तो मकान मालिक ने जरा सी भी दया नहीं की और सभी को सड़क पर सोना पड़ा. एक पल भी काटना मुश्किल था, लेकिन हम गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं था. बूंदी आने के लिए हरियाणा सरकार के नंबरों पर कई भी गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

ये पढ़ें: संवेदनहीन सरकार!...मजदूरों को मजबूरन तीन हजार रुपए किराया देकर जाना पड़ रहा घर

जोधराज मेघवाल की धर्मपत्नी मीना ने बताया कि शुक्रवार को दिन में हरियाणा रोडवेज से फोन आया था कि सभी लोग राजस्थान जाने के लिए तैयार हो जाना. दिन भर इंतजार के बाद रात को बस आयी, मुझे तो बस में बैठा लिया. लेकिन मेरे पति और परिवार वालों को बैठाने से मना कर दिया. अकेली महिला कैसे जा सकती थी. हमने लाख मिन्नतें की हाथ जोड़े, ड्राइवर के पैर भी पकड़े लेकिन कोई असर नहीं हुआ. बाद में विरोध बढ़ा तो पति और बच्चों को बस में बैठाया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.