केशवरायपाटन (बूंदी). जिला मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर दूर रामगढ़ विषधारी अभ्यारण की सीमा में नैनवां स्टेट हाइवे पर मेज नदी किनारे तिलकेश्वर महादेव के सामने वाली पहाड़ी पर स्थित बिल्केश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर स्थित है. मन्दिर के पुजारी राकेश गोस्वामी ने बताया कि द्वापर युग मे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बिला के गुर से इस शिवलिंग की स्थापना की गई थी. तब से लोग इस स्थान को बिलकेश्वर महादेव के नाम से जानने लगे.
सालों से मन्दिर में दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालु जगदीश शर्मा ने बताया कि भगवान कृष्ण ने महादेव की स्थापना से पूर्व दैत्य दाता सुर नामक अशुर से युद्ध किया. तब श्री कृष्ण को भी तीन बार पराजय होना पड़ा था. फिर भगवान ने शिव की स्थापना की. स्थापना के बाद चौथी बार हुए युद्ध मे कृष्ण ने दाता शुर को पराजित कर दिया. तब से यहां भगवान शिव के साथ दाता शुर को भी पूजा जाने लगा है.
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वहीं श्रद्धालु नीलेश जैन ने बताया कि अज्ञात वास के दौरान पांडव धुंधलेश्वर महादेव खटकड़ की गुफा से होते हुए गुजरे तो नदी पार करते हुए पास ही कि तलहटी पर भगवान कृष्ण ने पांडवों के साथ मिलकर बिले के गुर से बिलकेश्वर महादेव की स्थापना की थी. सावन के महीने में यहां रोज सैकड़ों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. शिवरात्रि पर विशेष मेला लगता है. सावन में रोज शिवजी का अभिषेक कर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
लंबे समय से कर रहे श्रद्धालु रोप वे की मांग...
तिलकेश्वर महादेव के सामने वाली पहाड़ी पर स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर पर रोप वे (झूला) लगाने की मांग श्रद्धालुओं द्वारा लम्बे समय से की जा रही है. 26 जुलाई 2016 को भी ग्रामीणों ने रोप वे के लिए तत्कालीन कलेक्टर नरेश कुमार ठकराल को ज्ञापन दिया था.