बूंदी. कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन में कई लोगों ने परिवार के साथ समय बिताया तो कई लोगों ने गरीब परिवारों की मदद का जिम्मा उठाया. इसी कड़ी में बूंदी की टिकरदा ग्राम पंचायत के ग्रामीण योद्धाओं ने गरीब परिवारों की मदद कर रहे हैं. साथ ही गांव में आने-जाने वालों की पूरी जानकारी प्रशासन तक पहुंचा रहे हैं, ताकि गांव में कोरोना को फैलने से रोका जा सके.
टिकरदा ग्राम पंचायत बूंदी शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां के ग्रामीणों ने कोरोना से निपटने के लिए कई अथक प्रयास किए हैं. जिनमें से सबसे बड़ा प्रयास है गरीबों तक खाना पहुंचाना. साथ ही बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाना और उन लोगों को आइसोलेट करवाने का काम करना. समय-समय पर प्रशासन को सूचना देने पर उन लोगों को टेस्टिंग के लिए बूंदी भेजना. बता दें कि पूरा गांव कोरोना वायरस के लिए पहरा देता रहा है. बच्चे हो या फिर बुजुर्ग महिलाएं हो सभी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किए.
गरीब परिवारों को पहुंचाया राशन...
कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन लागू किया गया. इसकी वजह से कई लोगों के रोजगार छिन गए, सबसे ज्यादा परेशानी मजदूर वर्ग को उठानी पड़ी. लोगों के घर में खाने का सामान नहीं बचा. इसी बीच टिकरदा ग्राम पंचायत के लोगों ने गांव के उन गरीब लोगों को चिन्हित किया और उनके घर पर राशन पहुंचाने का काम किया. टिकरदा ग्राम पंचायत के लोगों ने करीब 100 परिवारों को राशन पहुंचाया और किसी भी परिवार को भूखा नहीं सोने दिया. कोरोना वायरस के बीच ग्रामीण योद्धाओं के रूप में टिकटदा गांव के युवा भी योद्धा बनकर उभरे हैं. बता दें कि टिकरदा ग्राम पंचायत में 4 हजार ग्रामीण परिवार रहते हैं.
लॉकडाउन में कुछ लोग चोरी छुपे भी कई स्थानों पर पहुंचे. ऐसे में टिकरदा गांव के लोगों ने हर गांव की गलियों में निगरानी रखी और लोगों को सचेत किया कि वह बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी दें. करीब 20 से अधिक लोग बाहर से आए, जिनकी जानकारी आसपास के स्वास्थ्य केंद्रों पर दी गई. जिसके बाद चिकित्सा टीम ने सतर्कता दिखाई और उन लोगों को लेने के लिए पहुंच गई. ऐसे में उन लोगों को घर में 15 दिन तक होम आइसोलेट किया गया और उनका कोरोना सैंपल लिया गया.
गांव की पहरेदारी...
इस दौरान ग्रामीण लाठी के सहारे अपने गांव की पहरेदारी करने लगे और गांव के बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी लेने लगे. साथ में ग्रामवासियों को मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने सहित कई प्रकार की जानकारी ग्रामीण योद्धाओं द्वारा दी गई. लोगों ने उस जानकारी को बखूबी समझा और कोरोना से लड़ने के लिए उन ग्रामीण युवाओं का साथ दिया.
गमछे का प्रयोग रहा फायदेमंद...
यूं तो गांवों में मास्क के रूप में ग्रामीण गमछे का प्रयोग किया करते हैं, अमूमन तौर पर गमछा उनके गले में ही रहता है और जब वाहन चलाते हैं तो वह गमछे का प्रयोग मुंह ढकने के लिए करते हैं, लेकिन जैसे ही कोरोना वायरस का संक्रमण बड़ा तो ग्रामीणों के लिए गमछे ने मास्क का रूप ले लिया. अपने जरूरी काम के लिए लोग बाहर निकलते हैं तो गमछा पहन कर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हैं. जो लोग कोरोना वायरस के नियमों को नहीं मानते हैं, उन लोगों के पास कस्बे के युवा पहुंचकर मास्क उपलब्ध करवा देते हैं.
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युवाओं की ओर से ग्रामीणों को सैनिटाइजर का उपयोग करने की हिदायत भी दी गई है. यही कारण है कि इन युवाओं के कारण कई लोगों ने बार-बार हाथ धोना सीख लिया है. युवाओं ने ग्रामीणों को समझाया कि इस बीमारी की कोई दवा नहीं है, केवल सावधानी से ही कोरोना से बचाव किया जा सकता है. अगर सावधानी बरती जाएगी तो कोरोना किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. ग्रामीण इस बात को समझे और आज पूरा गांव कोरोना की रोकथाम के लिए प्रयास कर रहा है.
सावधानी के साथ जीतेंगे 'जंग'...
ग्रामीणों ने बताया कि जब से कोरोना वायरस आया है, तभी से गांव के लोगों ने सरकार की गाइडलाइन की पालना की है. इस दौरान लोगों ने सैनिटाइजर का प्रयोग करना सिखा और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना सिखा. वर्तमान में टिकरदा गांव से लगते सभी गांव में आवाजाही पूरी तरह से सुचारू है. लोग सुबह से लेकर शाम तक बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं. दुकानदार बकायदा मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए अपने ग्राहकों को दुकान में प्रवेश दे रहे हैं और हर दुकानदार कोरोना वायरस को लेकर सावधानी बरत रहा है. ग्रामीणों का मूलमंत्र यही है कि हम सावधानी बरतेंगे तो कोरोना दूर-दूर तक हमारे पास नहीं आएगा.
गौरतलब है कि बूंदी जिला ग्रीन जोन में है और बूंदी में 12 लोग पॉजिटिव हैं, जिनमें से आठ लोगों को नेगेटिव होने के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है. जल्द ही बूंदी कोरोना मुक्त जिला हो जाएगा. जिसमें यहां के ग्रामीण योद्धाओं की भी अहम भूमिका रहेगी.