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बूंदी में निकाली गई ऐतिहासिक तीज की सवारी...इतिहास में जुड़ी हैं इसकी रोचक कहानी - बूंदी न्यूज

बूंदी में कजली तीज महोत्सव रविवार से शुरू हुआ. महोत्सव 14 दिन तक चलेगा यहां तीज की सवारी भी निकाली गई. इस बार कजली तीज महोत्सव में हाडौती केसरी दंगल आकर्षण का केंद्र रहेगा.

teej mahotsav, तीज महोत्सव
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Published : Aug 19, 2019, 5:03 AM IST

बूंदी. शहर में ऐतिहासिक कजली तीज महोत्सव रविवार से शुरू हो गया है. महोत्सव 14 दिन तक चलेगा यहां तीज की सवारी निकाली गई. जो रामप्रकाश टाकीज से शोभायात्रा के रूप में शुरू हुई और मुख्य मार्गो से होते हुए चौमुखा बाजार, सब्जी मंडी रोड, सूर्य मिश्रण चौराहा, नगर परिषद के सामने से खोजा गेट रोड होते हुए कुंभा स्टेडियम पहुंची.

जहां पर तीज माता की विधिवत तरीके से मुख्य अतिथि द्वार पर पूजा की गई. वहीं सोमवार को दूसरे दिन भी सवारी निकाली जाएगी. जहां पर विभिन्न कार्यक्रम मेला मंच पर आयोजित होंगे. इस बार कजली तीज महोत्सव में हाड़ौती केसरी दंगल आकर्षण का केंद्र रहेगा. पूरे हाड़ौती से पहलवान यहां आएंगे और कुश्ती में हिस्सा लेंगे.

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मेला मंच में कुश्ती की तैयारी शुरू कर दी गई है. यहां पर विभिन्न प्रकार के कुश्ती प्रोग्राम में पुरस्कार वितरित किए जाएंगे. वहीं 20 अगस्त को आर्केस्ट्रा कार्यक्रम शुरू होंगे. जो कि 31 अगस्त तक चलेंगे. इस दौरान बॉलीवुड नाइट से लेकर राजस्थानी कवि सम्मेलन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, पर्यटन विभाग के कार्यक्रम व स्कूली बच्चों सहित रंगारंग कार्यक्रम इस दौरान मंच पर आयोजित होंगे.

बूंदी में निकाली गई ऐतिहासिक तीज की सवारी

रविवार को ऐतिहासिक कजली तीज माता की सवारी देखने के लिए पूरे शहर के लोग तीज माता की सवारी देखने के लिए उमड़ गए. इस दौरान उठ गाड़ी , घोड़े , राजा बलवंत सिंह की सवारी, मनमोहक झाकियां और ढोल नगाड़ों के साथ ऐतिहासिक तीज माता की सवारी निकली जहां पर तीज माता का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया गया.

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राजपरिवार के महाराजा बलभद्र सिंह ने बताया कि बूंदी में तीज को जयपुर से लूट कर राजा बलवंत सिंह लेकर आये थे तभी से तीज का विशेष महत्व है और संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिंदा रखे हुए हैं. लोगों को संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए तीज माता की सवारी निकाली जा रही है और पूजा-अर्चना की जा रही है पहले इससे तीज को राजाओं के जमाने में उनके हिसाब से बनाया जाता था और अब प्रशासन द्वारा इस तीज को बनाया जाता है.

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इस दिन महिलाएं सजधज कर रहती है ओर माता पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती है. उन्होंने बताया कि बूंदी में आज से 150 साल पहले गणगौर त्योहार के दिन एक बड़ा हादसा हो गया था. जिसमें राजपरिवार के सदस्य की मौत हो जाने के बाद बूंदी में गणगौर का पर्व मनाया नहीं मनाया जाता तो राजपरिवार ने कजली तीज माता की सवारी और माता को पूजने का संकल्प लिया उसी के बाद से बूंदी में हरियाली तीज का पर्व मनाते हुए आए है.

बूंदी. शहर में ऐतिहासिक कजली तीज महोत्सव रविवार से शुरू हो गया है. महोत्सव 14 दिन तक चलेगा यहां तीज की सवारी निकाली गई. जो रामप्रकाश टाकीज से शोभायात्रा के रूप में शुरू हुई और मुख्य मार्गो से होते हुए चौमुखा बाजार, सब्जी मंडी रोड, सूर्य मिश्रण चौराहा, नगर परिषद के सामने से खोजा गेट रोड होते हुए कुंभा स्टेडियम पहुंची.

जहां पर तीज माता की विधिवत तरीके से मुख्य अतिथि द्वार पर पूजा की गई. वहीं सोमवार को दूसरे दिन भी सवारी निकाली जाएगी. जहां पर विभिन्न कार्यक्रम मेला मंच पर आयोजित होंगे. इस बार कजली तीज महोत्सव में हाड़ौती केसरी दंगल आकर्षण का केंद्र रहेगा. पूरे हाड़ौती से पहलवान यहां आएंगे और कुश्ती में हिस्सा लेंगे.

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मेला मंच में कुश्ती की तैयारी शुरू कर दी गई है. यहां पर विभिन्न प्रकार के कुश्ती प्रोग्राम में पुरस्कार वितरित किए जाएंगे. वहीं 20 अगस्त को आर्केस्ट्रा कार्यक्रम शुरू होंगे. जो कि 31 अगस्त तक चलेंगे. इस दौरान बॉलीवुड नाइट से लेकर राजस्थानी कवि सम्मेलन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, पर्यटन विभाग के कार्यक्रम व स्कूली बच्चों सहित रंगारंग कार्यक्रम इस दौरान मंच पर आयोजित होंगे.

बूंदी में निकाली गई ऐतिहासिक तीज की सवारी

रविवार को ऐतिहासिक कजली तीज माता की सवारी देखने के लिए पूरे शहर के लोग तीज माता की सवारी देखने के लिए उमड़ गए. इस दौरान उठ गाड़ी , घोड़े , राजा बलवंत सिंह की सवारी, मनमोहक झाकियां और ढोल नगाड़ों के साथ ऐतिहासिक तीज माता की सवारी निकली जहां पर तीज माता का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया गया.

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राजपरिवार के महाराजा बलभद्र सिंह ने बताया कि बूंदी में तीज को जयपुर से लूट कर राजा बलवंत सिंह लेकर आये थे तभी से तीज का विशेष महत्व है और संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिंदा रखे हुए हैं. लोगों को संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए तीज माता की सवारी निकाली जा रही है और पूजा-अर्चना की जा रही है पहले इससे तीज को राजाओं के जमाने में उनके हिसाब से बनाया जाता था और अब प्रशासन द्वारा इस तीज को बनाया जाता है.

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इस दिन महिलाएं सजधज कर रहती है ओर माता पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती है. उन्होंने बताया कि बूंदी में आज से 150 साल पहले गणगौर त्योहार के दिन एक बड़ा हादसा हो गया था. जिसमें राजपरिवार के सदस्य की मौत हो जाने के बाद बूंदी में गणगौर का पर्व मनाया नहीं मनाया जाता तो राजपरिवार ने कजली तीज माता की सवारी और माता को पूजने का संकल्प लिया उसी के बाद से बूंदी में हरियाली तीज का पर्व मनाते हुए आए है.

Intro:बूंदी में आज से एक 100 साल पहले बूंदी के राजा बलवंत सिंह जयपुर से तीज को लूट कर ले कर आए थे तभी से बूंदी में तीज माता की सवारी निकाली जा रही है । बताया जा रहा है कि आज से 100 वर्ष पूर्व जब जयपुर के महल से सोने की तीज निकाली जा रही थी तो बूंदी के राजा बलवंत सिंह और उनके साथियों द्वारा रणनीति तय की गई कि इस तीज को बूंदी में भी निकाला जाए तो वहीं से मन बनाया और ऐसे में राजा व उनके साथियों ने तीज को लूट लिया और बूंदी लेकर आ गए तभी से बूंदी में तीज महोत्सव मनाया जाता है ।




Body:बूंदी का ऐतिहासिक कजली तीज महोत्सव रविवार से शुरू हो गया है। महोत्सव 14 दिन तक चलेगा यहां तिहासिक तीज की सवारी निकाली गई जो बालचंद पाड़ा रामप्रकाश टाकीज से शोभायात्रा के रूप में शुरू हुई जो मुख्य मार्गो से होते हुए चौमुखा बाजार ,सब्जी मंडी रोड ,सूर्य मिश्रण चौराहा , नगर परिषद के सामने से खोजा गेट रोड होते हुए कुंभा स्टेडियम पहुँची । जहां पर तीज माता की विधि भी तरीके से मुख्य अतिथि द्वारा पूजा की गई । वहीं सोमवार को दूसरे दिन भी सवारी निकाली जाएगी जहां पर विभिन्न कार्यक्रम मेला मंच पर आयोजित होंगे । इस बार कजली तीज महोत्सव में हाडौती केसरी दंगल आकर्षण का केंद्र रहेगा। पूरे हाडौती से पहलवान यहां आएंगे और कुश्ती में हिस्सा लेंगे । मेला मंच में कुश्ती की तैयारी शुरू कर दी गई है । यहां पर विभिन्न प्रकार के कुश्ती प्रोग्राम में पुरस्कार वितरित किए जाएंगे। वहीं 20 अगस्त को आर्केस्ट्रा कार्यक्रम शुरू होंगे जो 31 अगस्त तक चलेंगे । इस दौरान बॉलीवुड नाइट से लेकर राजस्थानी कवि सम्मेलन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, पर्यटन विभाग के कार्यक्रम व स्कूली बच्चों सहित रंगारंग कार्यक्रम इस दौरान मंच पर आयोजित होंगे । आज ऐतिहासिक कजली तीज माता की सवारी देखने के लिए पूरे शहर के लोग तीज माता की सवारी देखने के लिए उमड़ गए । इस दौरान उठ गाड़ी , घोड़े , राजा बलवंत सिंह की सवारी , मनमोहक जाकिया व ढोल नगाड़ों के साथ ऐतिहासिक तीज माता की सवारी निकली जहां पर तीज माता का जगह जगह पर भव्य स्वागत किया गया ।


Conclusion:राजपरिवार के महाराजा बलभद्र सिंह ने बताया कि बूंदी में तीज को जयपुर से लूट कर राजा बलवंत सिंह लेकर आये थे तभी से तीज का विशेष महत्व है और संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिंदा रखे हुए हैं लोगों को संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए तीज माता की सवारी निकाली जा रही है और पूजा-अर्चना की जा रही है पहले इससे तीज को राजाओं के जमाने में उनके हिसाब से बनाया जाता था और अब प्रशासन द्वारा इस तीज को बनाया जाता है । इस दिन महिला सजधज कर रहती है ओर माता पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती है उन्होंने बताया कि बूंदी में आज से डेढ़ सौ साल पहले गणगौर त्यौहार के दिन एक बड़ा हादसा हो गया था जिसमें राजपरिवार के सदस्य की मौत हो जाने के बाद बूंदी में गणगौर का पर्व मनाया जाता ऐसे में गणगौर नहीं मनाया जाता तो राजपरिवार ने कजली तीज माता की सवारी और माता को पूजने का संकल्प लिया उसी के बाद से बूंदी में हरियाली तीज का पर्व मनाते हुए आये है ।

बाईट - बलभद्र सिंह , महाराजा
बाईट - राजकुमार दाधीच , इतिहासकार
बाईट - महाबीर मोदी , सभापति
बाईट - टीकम जैन , मेला संयोजक

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