बूंदी. प्रदेश की गहलोत सरकार के गौ संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 को संशोधित करने के आदेश जारी करने के विरोध में अब राजस्थान गोवंश संरक्षण समिति और विश्व हिंदू परिषद भी उतर आए हैं. राजस्थान गोवंश संरक्षण समिति और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही उन्होंने कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर संशोधित आदेश को निरस्त करने की मांग की है.
गोवंश संघर्ष समिति का कहना है कि राजस्थान सरकार ने गौ संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 में और राजस्थान स्टाम्प अधिनियम 1998-99 के अधीन संग्रहित अभीभार से प्राप्त राशि जो कि गौ माता और उनकी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के प्रयोजन के लिए उपयोग में ली जाती है, उसमें संसोधन के आदेश जारी किए हैं जो बिलकुल गलत है. इन आदेशों को जल्द निरस्त किया जाए. एक वित्तीय वर्ष में 180 दिन की जगह पर 365 दिन की अनुदान राशि दी जाए. प्रदेश में जिन पंजीकृत गौशालाओं को संचालित होते हुए 2 साल हो चुके हैं और 200 गोवंश की गौशालाओं को अनुदान दिए जाने की बाध्यता को समाप्त किया जाए. साथ ही गौशाला में दिए जाने वाली अनुदान राशि के नियमों का भी सरलीकरण किया जाए.
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गोवंश संरक्षण समिति के बैनर तले विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन और सरकार को चेतावनी दी है कि वो 12 सूत्रीय मांगों पर विचार नहीं करती है तो उग्र आंदोलन को किया जाएगा और पूरे प्रदेश में गौमाता के सम्मान में संघर्ष समिति प्रदर्शन करेगी. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में पूर्वर्ती वसुंधरा सरकार ने अनुदान राशि को स्टांप ड्यूटी के तहत वसूली आदेश को बढ़ाने आदेश जारी किए थे, लेकिन वर्तमान सरकार ने उसमें संशोधित आदेश जारी किए हैं. जिसका आक्रोश साफ तौर से गौ रक्षकों में झलक रहा है और इसका समर्थन विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने भी किया है.