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बूंदी के तालाब गांव में इस साल भी फोरलेन हो सकता है जलमग्न, एनएचआई के अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

बूंदी के तालाब गांव में पिछले साल एनएचआई अधिकारियों की लापरवाही के चलते फोरलेन का एक किलोमीटर का हिस्सा जलमग्न रहा. वहीं, इस साल भी ऐसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं. हिंडोली प्रशासन ने एनएचआई के अधिकारियों को इस सड़क को ऊंचा उठाने के भी आदेश जारी किए हैं. लेकिन, एनएचआई के अधिकारी सरकारी आदेशों को ताक पर रखकर सड़क को ऊंचा नहीं कर रहे हैं, जिससे आने वाले समय में फिर से वही स्थिति पैदा हो सकती है.

बूंदी में फोरलेन, negligence of officers, BUNDI NEWS
बूंदी के तालाब गांव में अधिकारियों की लापरवाही के चलते फोरलेन हो सकता है जलमग्न
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Published : Sep 2, 2020, 7:06 PM IST

बूंदी. जिले में एनएचआई विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर पिछले साल एनएचआई अधिकारियों की लापरवाही के चलते तालाब गांव में फोरलेन का एक किलोमीटर का हिस्सा जलमग्न रहा. वहीं, इस साल भी ऐसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं. तालाब गांव में बनी फोरलेन को इस वर्ष भी एनएचआई के अधिकारियों ने ऊंचा नहीं किया है, जिससे ग्रामीणों को फिर से डर सताने लगा है कि पहले जैसे हालात पैदा ना हो जाए.

बूंदी के तालाब गांव में अधिकारियों की लापरवाही के चलते फोरलेन हो सकता है जलमग्न

बता दें कि इस फोरलेन के किनारे फूल सागर झील स्थित है. पिछले साल यहां झील ओवरफ्लो हो गई थी और झील के पानी ने फोरलेन के एक किलोमीटर के हिस्से को पूरी तरह से जलमग्न कर दिया था, जिससे फोरलेन में आने-जाने का आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया था. पानी में फोरलेन करीब 2 से 3 फीट डूबी रही और ये हालत करीब 2 माह तक बने रहे. लेकिन, एनएचएआई के अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने विरोध किया तो आश्वासन दिया गया कि जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा.

पढ़ें: मानवता की हत्या ! किशनगढ़ में नेशनल हाईवे पर मौत के बाद कई वाहनों ने शव को कुचला

एनएचएआई के अधिकारियों ने फोरलेन के एक हिस्से को ऊंचाकर वाहनों को फिर शुरू कर दिया है. लेकिन, एक हिस्से को नीचे ही रखा है. फोरलेन को जलमग्न हुए एक साल का वक्त बीत जाने के बावजूद एनएचआई के अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं, कुछ दिनों पहले यहां पर बारिश हुई थी तो फिर से वही हालात पैदा हो गए थे और एक हिस्सा पूरी तरह से डूब गया था. एनएचएआई के अधिकारियों ने पानी को मशीन के सहायता से फोरलेन से हटाया था. लेकिन, मशीन द्वारा बार-बार पानी को निकास करने का कोई समुचित समाधान नहीं है. ग्रामीणों ने फिर से वही मांग की है कि एक इससे को फिर से ऊंचा किया जाए, जिससे जलमग्न स्थिति फिर से उत्पन्न ना हो.

गौरतलब है कि फोरलेन कोटा, बूंदी और जयपुर को जोड़ता है. दिनभर इस फोरलेन पर हजारों की संख्या में वाहन इधर-उधर निकलते हैं. सबसे ज्यादा यहां पर मध्य प्रदेश जाने वाले बड़े-बड़े वाहनों का आवागमन रहता है. पिछले साल जिस तरीके से बाढ़ के हालात पैदा हुए, सबसे ज्यादा परेशानी गुड्स वाहनों को हुई और उनका सामान समय पर नहीं पहुंच पाया. ऐसे में लोगों ने इस फोरलेन में चलने के लिए महंगा टोल भी दिया. लेकिन, उन्हें आगे जाकर पानी मिला तो उनका वो टोल भी बेकार चला गया और उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन, इतनी लापरवाही होने के बाद भी एनएचआई के अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली और इस हिस्से को ऊंचा नहीं करवाया है.

पढ़ें: SPECIAL: किडनी की बीमारी से ग्रसित आशा की गुहार, मदद करो सरकार

फूल सागर झील का पानी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है और वापस फोरलेन की तरफ बढ़ रहा है. यही हालात रहे तो फोरलेन का हिस्सा भी जलमग्न होने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसे में एनएचआई के अधिकारी महंगा टोल ले रहे हैं तो फोरलेन के हिस्से को भी पूरा करें, जिससे फोरलेन पर चलने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

बूंदी. जिले में एनएचआई विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर पिछले साल एनएचआई अधिकारियों की लापरवाही के चलते तालाब गांव में फोरलेन का एक किलोमीटर का हिस्सा जलमग्न रहा. वहीं, इस साल भी ऐसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं. तालाब गांव में बनी फोरलेन को इस वर्ष भी एनएचआई के अधिकारियों ने ऊंचा नहीं किया है, जिससे ग्रामीणों को फिर से डर सताने लगा है कि पहले जैसे हालात पैदा ना हो जाए.

बूंदी के तालाब गांव में अधिकारियों की लापरवाही के चलते फोरलेन हो सकता है जलमग्न

बता दें कि इस फोरलेन के किनारे फूल सागर झील स्थित है. पिछले साल यहां झील ओवरफ्लो हो गई थी और झील के पानी ने फोरलेन के एक किलोमीटर के हिस्से को पूरी तरह से जलमग्न कर दिया था, जिससे फोरलेन में आने-जाने का आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया था. पानी में फोरलेन करीब 2 से 3 फीट डूबी रही और ये हालत करीब 2 माह तक बने रहे. लेकिन, एनएचएआई के अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने विरोध किया तो आश्वासन दिया गया कि जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा.

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एनएचएआई के अधिकारियों ने फोरलेन के एक हिस्से को ऊंचाकर वाहनों को फिर शुरू कर दिया है. लेकिन, एक हिस्से को नीचे ही रखा है. फोरलेन को जलमग्न हुए एक साल का वक्त बीत जाने के बावजूद एनएचआई के अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं, कुछ दिनों पहले यहां पर बारिश हुई थी तो फिर से वही हालात पैदा हो गए थे और एक हिस्सा पूरी तरह से डूब गया था. एनएचएआई के अधिकारियों ने पानी को मशीन के सहायता से फोरलेन से हटाया था. लेकिन, मशीन द्वारा बार-बार पानी को निकास करने का कोई समुचित समाधान नहीं है. ग्रामीणों ने फिर से वही मांग की है कि एक इससे को फिर से ऊंचा किया जाए, जिससे जलमग्न स्थिति फिर से उत्पन्न ना हो.

गौरतलब है कि फोरलेन कोटा, बूंदी और जयपुर को जोड़ता है. दिनभर इस फोरलेन पर हजारों की संख्या में वाहन इधर-उधर निकलते हैं. सबसे ज्यादा यहां पर मध्य प्रदेश जाने वाले बड़े-बड़े वाहनों का आवागमन रहता है. पिछले साल जिस तरीके से बाढ़ के हालात पैदा हुए, सबसे ज्यादा परेशानी गुड्स वाहनों को हुई और उनका सामान समय पर नहीं पहुंच पाया. ऐसे में लोगों ने इस फोरलेन में चलने के लिए महंगा टोल भी दिया. लेकिन, उन्हें आगे जाकर पानी मिला तो उनका वो टोल भी बेकार चला गया और उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन, इतनी लापरवाही होने के बाद भी एनएचआई के अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली और इस हिस्से को ऊंचा नहीं करवाया है.

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फूल सागर झील का पानी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है और वापस फोरलेन की तरफ बढ़ रहा है. यही हालात रहे तो फोरलेन का हिस्सा भी जलमग्न होने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसे में एनएचआई के अधिकारी महंगा टोल ले रहे हैं तो फोरलेन के हिस्से को भी पूरा करें, जिससे फोरलेन पर चलने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

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