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गांवां री सरकार: बूंदी में घूंघट की ओट में राजनीति का 'पर्चा', प्रत्याशी बोली- अगर जीत गए तो हटा देंगे घूंघट

राजस्थान में पंचायती राज चुनाव को लेकर तीसरे चरण के लिए नामाकंन दाखिल हुए. बूंदी की तालेड़ा पंचायत में पर्चा भरने के लिए बड़ी संख्या में महिला प्रत्याशी देखने को मिली. इस दौरान सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि महिलाएं घूंघट में अपना नामांकन भर रही थी और जीतने के बाद अपना घूंघट हटा कर समाज में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ काम करने की बात कहती हुई भी नजर आई, देखिए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट...

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बूंदी में घूंघट में पर्चा भरने पहुंची महिला प्रत्याशी
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Published : Jan 20, 2020, 6:51 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 6:34 PM IST

बूंदी. प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत कई बार सार्वजनिक मंच से राजस्थान में चल रही घूंघट प्रथा को खत्म करने का जिक्र कर चुके है. लेकिन, अभी भी महिलाएं घूंघट में रहती दिखाई दे रही है. हालांकि खुद महिलाएं भी इस छोड़ने की बात करती दिखाई देती है. लेकिन, ग्रामीण परिवेश होने के चलते इस परंपरा बताने से भी नहीं हिचकती. ऐसा ही नजारा बूंदी में उस वक्त देखने को मिला. जब पंचायती राज चुनाव के तहत सोमवार को तीसरे चरण के नामांकन के दौरान तालेड़ा पंचायत में नामांकन दाखिल हो रहे थे. हालांकि यहां महिला उम्मीदवारों का कहना है कि जीतने के बाद अपना घूंघट हटा कर समाज में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ काम करेंगी.

बूंदी में घूंघट में पर्चा भरने पहुंची महिला प्रत्याशी

नामांकन भरने घूंघट में आई महिला प्रत्याशी
राजस्थान के पंचायती राज चुनाव चल रहे हैं और तीन चरणों में राजस्थान में पंचायती राज चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में बूंदी में भी दूसरे चरण के चुनाव 22 जनवरी को हिंडौली - नैनवां पंचायत समितियों के 75 ग्राम पंचायतों में चुनाव होने जा रहे हैं. वहीं तीसरे चरण में बूंदी की तालेड़ा पंचायत के चुनाव होंगे. जिसको लेकर सोमवार 20 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया करवाई जा रही थी.

पढ़ें- स्पेशल : घूंघट से खुद को किया आजाद, ट्रैक्टर पर बैठकर चुनाव प्रचार कर रहीं महिलाएं

घूंघट में भरा पर्चा, हस्ताक्षर भी घूंघट में किए
इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान अधिकतर जगहों पर महिलाएं सीट होने के चलते महिलाओं का दबदबा है और महिलाएं अपने महिलाएं मित्रों के साथ झुंड के रूप में नामांकन दाखिल करने पहुंच रही है. सबसे बड़ी खास बात यह है कि गांव के बुजुर्ग इन महिलाओं के साथ खड़े होकर नामांकन दाखिल करवा रहे हैं और घूंघट में महिलाएं नामांकन दाखिल कर रही है. घूंघट में ही बात करना और घूंघट में ही पर्चा भरना, घूंघट से नामांकन प्रक्रिया के दौरान हस्ताक्षर करना और बड़े बुजुर्गों का सम्मान में घूंघट रखना जैसी तस्वीरें सामने आई.

बता दें कि बूंदी की तालेड़ा पंचायत समितियों के 63 ग्राम पंचायतों की 40 ग्राम पंचायत ऐसी है. जहां पर महिलाएं सरपंच चुनी जानी है और यह आरक्षित सीटें हैं. इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं की सीटें हैं तो महिलाओं का दबदबा देखने जाना जायज है.

पढ़ें- गांवां री सरकार: दुबई से नौकरी छोड़ सीकर लौटी बहू, सरपंच चुनाव में ठोकी ताल

जीते तो हटा देंगे घूंघट
वहीं जब ईटीवी भारत ने महिला प्रत्याशियों से बात कि तो उहोंने बताया कि गांव के विकास को लेकर हम ध्यान देंगे, मूलभूत सुविधाओं को लेकर हम ग्रामीण इलाकों को लेकर चलेंगे. वहीं घूंघट प्रथा को लेकर इन महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम बड़े बुजुर्गों के सम्मान में यह घूंघट लगाते हैं और घूंघट सही अपना नामांकन दाखिल करने के लिए आए हैं और घूंघट में ही अपना प्रचार और मतदान करेंगे. जब घूंघट उठाने की बात आई तो महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम हमारा प्रचार और नामांकन भरने घूंघट से जरूर आएं, लेकिन अगर हम सरपंच बन जाते हैं तो इस घूंघट को त्याग देंगे और समाज में एक नया चेहरा बनकर हाथ से हाथ मिला कर काम करेंगे.

महिला सरपंच को लेकर ग्रामीणों ने कही बड़ी बात
उधर, पंचायत के ग्रामीणों का महिलाओं को लेकर यह कहना है कि महिलाएं ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए काफी अच्छी होती है और महिलाओं की किसी से दुश्मनी और किसी से बैर नहीं होता. जिसके चलते महिलाएं सबको समान रूप से देखकर कार्य करती है और गांव का विकास करवाती है. यहीं कारण रहा कि अधिकतर जगहों पर महिलाएं जब-जब सरपंच बनीं तो शांति पूर्वक कार्यकाल रहा और अच्छे विकास कार्य हुए.

पढ़ें- बूंदी में घूंघट ओढ़कर पहुंची महिलाएं अपना प्रतिनिधि चुनने

घूंघट हमारे समाज में पिछड़ेपन का प्रतीक
वहीं घूंघट प्रथा का विरोध कर समाज में कार्य कर रही चंदा शर्मा का कहना है कि आधुनिक समय में इस प्रकार की चुनौतियों और परंपराएं कहीं ना कहीं हमारे समाज में पिछड़ेपन का प्रतीक है और इस कुप्रथा को हटाने के लिए सभी अपने अपने परिवार से इसकी शुरुआत कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज में आज हाथ से हाथ बढ़ाकर कार्य कर रही हैं. महिलाएं कहीं पर भी पीछे नहीं है और जब जब भी महिलाओं को समाज में उनको जगह मिली है. महिलाओं ने समाज के सिर को ऊंचा ही किया है. आपको बता दें कि पहले चरण में चुनाव हुए थे तो केशोरायपाटन इलाके से 25 महिलाएं सरपंच व 24 महिलाएं उपसरपंच बनी थी.

बूंदी. प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत कई बार सार्वजनिक मंच से राजस्थान में चल रही घूंघट प्रथा को खत्म करने का जिक्र कर चुके है. लेकिन, अभी भी महिलाएं घूंघट में रहती दिखाई दे रही है. हालांकि खुद महिलाएं भी इस छोड़ने की बात करती दिखाई देती है. लेकिन, ग्रामीण परिवेश होने के चलते इस परंपरा बताने से भी नहीं हिचकती. ऐसा ही नजारा बूंदी में उस वक्त देखने को मिला. जब पंचायती राज चुनाव के तहत सोमवार को तीसरे चरण के नामांकन के दौरान तालेड़ा पंचायत में नामांकन दाखिल हो रहे थे. हालांकि यहां महिला उम्मीदवारों का कहना है कि जीतने के बाद अपना घूंघट हटा कर समाज में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ काम करेंगी.

बूंदी में घूंघट में पर्चा भरने पहुंची महिला प्रत्याशी

नामांकन भरने घूंघट में आई महिला प्रत्याशी
राजस्थान के पंचायती राज चुनाव चल रहे हैं और तीन चरणों में राजस्थान में पंचायती राज चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में बूंदी में भी दूसरे चरण के चुनाव 22 जनवरी को हिंडौली - नैनवां पंचायत समितियों के 75 ग्राम पंचायतों में चुनाव होने जा रहे हैं. वहीं तीसरे चरण में बूंदी की तालेड़ा पंचायत के चुनाव होंगे. जिसको लेकर सोमवार 20 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया करवाई जा रही थी.

पढ़ें- स्पेशल : घूंघट से खुद को किया आजाद, ट्रैक्टर पर बैठकर चुनाव प्रचार कर रहीं महिलाएं

घूंघट में भरा पर्चा, हस्ताक्षर भी घूंघट में किए
इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान अधिकतर जगहों पर महिलाएं सीट होने के चलते महिलाओं का दबदबा है और महिलाएं अपने महिलाएं मित्रों के साथ झुंड के रूप में नामांकन दाखिल करने पहुंच रही है. सबसे बड़ी खास बात यह है कि गांव के बुजुर्ग इन महिलाओं के साथ खड़े होकर नामांकन दाखिल करवा रहे हैं और घूंघट में महिलाएं नामांकन दाखिल कर रही है. घूंघट में ही बात करना और घूंघट में ही पर्चा भरना, घूंघट से नामांकन प्रक्रिया के दौरान हस्ताक्षर करना और बड़े बुजुर्गों का सम्मान में घूंघट रखना जैसी तस्वीरें सामने आई.

बता दें कि बूंदी की तालेड़ा पंचायत समितियों के 63 ग्राम पंचायतों की 40 ग्राम पंचायत ऐसी है. जहां पर महिलाएं सरपंच चुनी जानी है और यह आरक्षित सीटें हैं. इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं की सीटें हैं तो महिलाओं का दबदबा देखने जाना जायज है.

पढ़ें- गांवां री सरकार: दुबई से नौकरी छोड़ सीकर लौटी बहू, सरपंच चुनाव में ठोकी ताल

जीते तो हटा देंगे घूंघट
वहीं जब ईटीवी भारत ने महिला प्रत्याशियों से बात कि तो उहोंने बताया कि गांव के विकास को लेकर हम ध्यान देंगे, मूलभूत सुविधाओं को लेकर हम ग्रामीण इलाकों को लेकर चलेंगे. वहीं घूंघट प्रथा को लेकर इन महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम बड़े बुजुर्गों के सम्मान में यह घूंघट लगाते हैं और घूंघट सही अपना नामांकन दाखिल करने के लिए आए हैं और घूंघट में ही अपना प्रचार और मतदान करेंगे. जब घूंघट उठाने की बात आई तो महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम हमारा प्रचार और नामांकन भरने घूंघट से जरूर आएं, लेकिन अगर हम सरपंच बन जाते हैं तो इस घूंघट को त्याग देंगे और समाज में एक नया चेहरा बनकर हाथ से हाथ मिला कर काम करेंगे.

महिला सरपंच को लेकर ग्रामीणों ने कही बड़ी बात
उधर, पंचायत के ग्रामीणों का महिलाओं को लेकर यह कहना है कि महिलाएं ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए काफी अच्छी होती है और महिलाओं की किसी से दुश्मनी और किसी से बैर नहीं होता. जिसके चलते महिलाएं सबको समान रूप से देखकर कार्य करती है और गांव का विकास करवाती है. यहीं कारण रहा कि अधिकतर जगहों पर महिलाएं जब-जब सरपंच बनीं तो शांति पूर्वक कार्यकाल रहा और अच्छे विकास कार्य हुए.

पढ़ें- बूंदी में घूंघट ओढ़कर पहुंची महिलाएं अपना प्रतिनिधि चुनने

घूंघट हमारे समाज में पिछड़ेपन का प्रतीक
वहीं घूंघट प्रथा का विरोध कर समाज में कार्य कर रही चंदा शर्मा का कहना है कि आधुनिक समय में इस प्रकार की चुनौतियों और परंपराएं कहीं ना कहीं हमारे समाज में पिछड़ेपन का प्रतीक है और इस कुप्रथा को हटाने के लिए सभी अपने अपने परिवार से इसकी शुरुआत कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज में आज हाथ से हाथ बढ़ाकर कार्य कर रही हैं. महिलाएं कहीं पर भी पीछे नहीं है और जब जब भी महिलाओं को समाज में उनको जगह मिली है. महिलाओं ने समाज के सिर को ऊंचा ही किया है. आपको बता दें कि पहले चरण में चुनाव हुए थे तो केशोरायपाटन इलाके से 25 महिलाएं सरपंच व 24 महिलाएं उपसरपंच बनी थी.

Intro:राजस्थान में पंचायत राज चुनाव को लेकर द्वितीय चरण में मतदान 22 जनवरी को होना है। यहां पर जिले की हिंडोली व नैनवा पंचायत समितियों के 75 ग्राम पंचायतों में यह चुनाव होंगे वही आज तीसरे चरण को लेकर बूंदी - तालेड़ा पंचायत में नामांकन दाखिल हो रहे हैं । जहां पर महिला सीट होने के चलते महिलाओं की तादाद बढ़ गई है और घूंघट में महिलाएं नामांकन दाखिल करने पहुंच रही है । सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाएं घूंघट में अपना नामांकन भर रही है और जीतने के बाद अपना घूंघट हटा कर समाज में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ काम करने की बात कहती हुई नजर आ रही है ।


Body:बूंदी - भले ही सरकार घूंघट हटाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हो उनके लिए योजना चलाती हो लेकिन आज भी समाज के अंदर ग्रामीण इलाकों में घूंघट प्रथा को लेकर कई तरीके के लोग तर्क व बड़ों के सम्मान में इस घूंघट प्रथा को जिंदा रखे हुए हैं । राजस्थान सरकार के सीएम अशोक गहलोत भी घुंघट प्रथा को हटाने को लेकर अग्रसर है लेकिन घूंघट प्रथा आज भी ग्रामीण इलाकों में जारी है। यही नहीं घूंघट प्रथा मैं महिलाएं चुनावी दौर में पीछे नहीं है । दरअसल इन दिनों राजस्थान के पंचायती राज चुनाव चल रहे हैं और तीन चरणों में राजस्थान में पंचायती राज चुनाव हो रहे हैं ऐसे में बूंदी में भी द्वितीय चरण के चुनाव 22 जनवरी को हिंडोली - नैनवा पंचायत समितियों के 75 ग्राम पंचायतों में चुनाव होने जा रहे हैं । वहीं तीसरे चरण में बूंदी - तालेड़ा के चुनाव होंगे जिसको लेकर आज 20 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया करवाई जा रही है। इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान अधिकतर जगहों पर महिलाएं सीट होने के चलते महिलाओं का दबदबा है और महिलाएं अपने महिलाएं मित्रों के साथ झुंड के रूप में नामांकन दाखिल करने पहुंच रही है । सबसे बड़ी खास बात यह है कि गांव के बुजुर्ग इन महिलाओं के साथ खड़े होकर नामांकन दाखिल करवा रहे हैं और घूंघट में महिलाएं नामांकन दाखिल कर रही है घूंघट में ही बात करना और घुंघट में ही पर्चा भरना , घूंघट से नामांकन प्रक्रिया के दौरान हस्ताक्षर करना और बड़े बुजुर्गों का सम्मान में घूंघट रखना जैसी तस्वीरें सामने आ रही है । हालांकि ग्रामीण इस घूंघट प्रथा को बुरा भी नहीं मानते हैं और यह भी कहते हुए नजर आते हैं कि समाज में बड़े बुजुर्ग का सम्मान होना आवश्यक है और उसे सम्मान के चलते ग्रामीण इलाकों में आज भी घूंघट पड़ता है जारी है वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो इस घुंघट प्रथा को नहीं मानते और फक्र से समाज में हाथ से हाथ मिला कर काम करते हैं । यहां आपको बता दें कि बूंदी - तालेड़ा पंचायत समितियों के 63 ग्राम पंचायतों की 40 ग्राम पंचायत ऐसी है जहां पर महिलाएं सरपंच चुनी जानी है और यह आरक्षित सीटें हैं । इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं की सीटें हैं तो महिलाओं का दबदबा देखने जाना जायज है ।

इन महिला प्रत्याशियों से हमने जब बात की तो घूंघट में महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम महिलाएं हैं और किसी से कम नहीं है समाज में सबको साथ लेकर हम चलेंगे । गांव के विकास को लेकर हम ध्यान देंगे मूलभूत सुविधाओं को लेकर हम ग्रामीण इलाकों को लेकर चलेंगे। घूंघट प्रथा को लेकर इन महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम बड़े बुजुर्गों के सम्मान में यह घूंघट लगाते हैं और घूंघट सही अपना नामांकन दाखिल करने के लिए आए हैं और घूंघट में ही अपना प्रचार तथा मतदान करेंगे । जब घूंघट उठाने की बात आई तो महिला प्रत्याशियों ने कहा कि हम हमारा प्रचार और नामांकन भरने घूंघट से जरूर आएं लेकिन अगर हम सरपंच बन जाते हैं तो इस घूंघट को त्याग देंगे और समाज में एक नया चेहरा बनकर हाथ से हाथ मिला कर काम करेंगे । महिलाएं प्रत्याशी यह कहने से भी नहीं चूक रही है कि अगर घूंघट हटाने की भी नौबत पड़ी तो हम घुंघट को भी हटा देंगे लेकिन महिलाएं किसी से कम नहीं है ।

उधर ग्रामीणों का महिलाओं को लेकर यह कहना है कि महिलाएं ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए काफी अच्छी होती है और महिलाओं की किसी से दुश्मनी और किसी से बैर नहीं होती जिसके चलते महिलाएं सबको समान रूप से देखकर कार्य करती है और गांव का विकास करवाती है । यही कारण रहा कि अधिकतर जगहों पर महिलाएं जब-जब बनी तो शांति पूर्वक कार्यकाल रहा और अच्छे विकास कार्य हो गए । ग्रामीणों ने पुरुषों को लेकर कहा कि पुरुष प्रत्याशियों में अधिकतर भेदभाव व दुश्मनी के चलते कई कार्य हो नहीं पाते और इसकी तुलना में महिलाएं यह कार्य करवा पाती है । तो कहीं ना कहीं हमारे लिए महिलाएं विकास के रूप में साबित होते हुए नजर आ रही है ।


Conclusion:इस घूंघट प्रथा का विरोध कर समाज में कार्य कर रही चंदा शर्मा का कहना है कि आधुनिक समय में इस प्रकार की चुनौतियों और परंपराएं कहीं ना कहीं हमारे समाज में पिछड़ेपन का प्रतिक है और इस कुप्रथा को हटाने के लिए सभी अपने अपने परिवार से इसकी शुरुआत कर सकते हैं और महिलाएं समाज में आज हाथ से हाथ बढ़ाकर कार्य कर रही हैं । महिलाएं कहीं पर भी पीछे नहीं है और जब जब भी महिलाओं को समाज में उनको जगह मिली है महिलाओं ने समाज के सर को ऊंचा ही किया है ।

गांव री सरकार को बनाने के लिए पिछले कई दिनों से ग्रामीण जुटे हुए हैं और इस आहुति में महिलाएं भी पीछे नहीं है । कैसे भी हो महिलाएं घुंघट में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है और किसी से कम नहीं है । प्रथम चरण में चुनाव हुए थे तो केशोरायपाटन इलाके से 25 महिलाएं सरपंच व 24 महिलाएं उपसरपंच बनी थी और इस तस्वीर को देखकर यह साफ होता है कि समाज में महिलाओं के लिए लोकतंत्र में भी जगह है ।

बाईट - ममता बाई , प्रत्याशी
बाईट - विमला बाई , प्रत्याशी
बाईट - नंदा सिंह , स्थानीय महिला
बाईट - बाबूलाल मीणा , स्थानीय ग्रामीण
बाईट - चंदा शर्मा , समाजसेविका
Last Updated : Jan 21, 2020, 6:34 PM IST
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