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किसानों पर Corona के साथ बारिश की भी मार, अब मुआवजे की आस - बूंदी में गेहूं की फसल बर्बाद

एक ओर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरा देश सदमे में है, तो वहीं बूंदी के किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. बूंदी में हुई बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. अब किसान सरकार से मुआवजे की आस में हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

crop wasted due to rain in bundi
किसानों पर Corona के साथ बारिश की भी मार
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Published : Mar 28, 2020, 6:39 PM IST

बूंदी. एक ओर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर बूंदी के किसानों को मौसम की मार को भी समाना करना पड़ रहा है. जिले में पिछले 3 दिनों से लगातार शाम को बारिश देखने को मिल रही है, जिसके चलते जिले के आधे हिस्से के किसान बर्बाद हो गए हैं. किसानों की गेहूं की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, जिससे किसान को अब सरकार के मुआवजा पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.

कोरोना वायरस के इस जंग में धरतीपुत्र भी चपेट में आ गए हैं. पहले कोरोना वायरस के चलते उन्हें संसाधन मुहैया नहीं हो पाया था, जिसके चलते वह अपनी फसल को काट नहीं पाए थे. इसी बीच कुदरत का कहर से भी किसान बच नहीं पाया. जिले में पिछले 3 दिनों से शाम होने के साथ ही बरसात का दौर शुरू हो जाता है, जिसके चलते बूंदी के अधिकतर इलाकों में बची हुई गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है.

कई इलाकों में खेतों में गेहूं की फसल पूरी तरह से पककर तैयार हैं. केवल उन्हें किसानों द्वारा मशीन से काटा जाना है, लेकिन कुदरत के कहर ने उन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया और खेतों में लहरा रही फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से किसानों का गेहूं गीला हो गया और दाना काला हो गया है, जिससे किसानों को भाड़ी नुकसान हुआ है.

यह भी पढ़ें- बूंदी: कापरेन-रोटेदा स्टेट हाइवे 37-A का अधूरा पड़ा निर्माण, लोगों को हो रही परेशानी

बूंदी जिले में इस बार 800 से 900 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की फसल की पैदावार की गई थी. मार्च के महीने तक गेहूं की फसल कटने को तैयार हो जाती है, लेकिन बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया. जानकारी के अनुसार एक बीघा में किसान को हकाई-जुताई, खाद-बीज और मंडी तक ले जाने में किसान को 8 से 9 रुपए तक का खर्चा आता है और एक बीघा में किसान को करीब 8 से 9 बोरियां गेहूं निकलती है .

बूंदी जिले में किसानों के पास कई बीघा भूमि है जिसपर गेहूं की फसलें बोई थी, लेकिन बरसात के चलते कई जगहों पर यह गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. अब जिन एक बीघा में 7 से 8 बोरे निकलते थे, वहां 2 से 3 बोरी ही किसान को निकलेगी, जिससे किसान को काफी नुकसान हुआ है.

यह भी पढ़ें- गणगौर त्योहार: हाडो ले डूब्यों गणगौर, बूंदी राजपरिवार में आखिर क्यों पड़ी गणगौर की आंठ

वहीं किसानों का कहना है कि वे पहले से ही कर्ज तले दबा था. बारिश की वजह से हुई फसल बर्बादी के चलते उन्हें और भी कर्जे में डाल दिया है. ईटीवी भारत की टीम बूंदी के सथूर गांव में पहुंची जहां पर खेतों में लहरा रही फसलें बर्बाद दिखी. फसलें पूरी तरह से खेतों में आड़ी पड़ी हुई थी. हवाओं के कारण फसलें नष्ट हो चुकी थी. इस पर किसान का कहना था कि वे पहले ही कोरोना के डर से सहमे हुए हैं. वहीं कुदरत ने भी उन्हें और सहमा दिया है. वहीं किसानों का कहना है कि उन्होंने सरकार की ओर से फसल बर्बादी का मुआवजा दिया जाए.

यह भी पढ़ें- लॉक डाउनः बूंदी पुलिस ने झुग्गी झोपड़ियों और दिहाड़ी मजदूरों के घर बांटे खाने के पैकेट

बता दें कि कुछ दिन पहले राजस्थान में कुछ जगहों पर ओलावृष्टि हुई थी. जिस पर सरकार के मंत्रियों ने पूरा प्रदेश का दौरा किया था और उन्हें आश्वस्त किया था कि उन्हें मुआवजा मिलेगा. अभी उस दर्द की भरपाई भी नहीं हुई थी कि उससे पहले ही बूंदी के कई इलाकों में गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. उधर, सरकार किसानों से कह रही है कि वह फसल काटते समय मास्क, गलब्स का इस्तेमाल करें, लेकिन अब सरकार के इस आदेश के बाद किसानों के पास तो फसल बची ही नहीं है, तो वह किस मास्क और किस गलब्स का इस्तेमाल करें.

बूंदी. एक ओर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर बूंदी के किसानों को मौसम की मार को भी समाना करना पड़ रहा है. जिले में पिछले 3 दिनों से लगातार शाम को बारिश देखने को मिल रही है, जिसके चलते जिले के आधे हिस्से के किसान बर्बाद हो गए हैं. किसानों की गेहूं की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, जिससे किसान को अब सरकार के मुआवजा पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.

कोरोना वायरस के इस जंग में धरतीपुत्र भी चपेट में आ गए हैं. पहले कोरोना वायरस के चलते उन्हें संसाधन मुहैया नहीं हो पाया था, जिसके चलते वह अपनी फसल को काट नहीं पाए थे. इसी बीच कुदरत का कहर से भी किसान बच नहीं पाया. जिले में पिछले 3 दिनों से शाम होने के साथ ही बरसात का दौर शुरू हो जाता है, जिसके चलते बूंदी के अधिकतर इलाकों में बची हुई गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है.

कई इलाकों में खेतों में गेहूं की फसल पूरी तरह से पककर तैयार हैं. केवल उन्हें किसानों द्वारा मशीन से काटा जाना है, लेकिन कुदरत के कहर ने उन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया और खेतों में लहरा रही फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से किसानों का गेहूं गीला हो गया और दाना काला हो गया है, जिससे किसानों को भाड़ी नुकसान हुआ है.

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बूंदी जिले में इस बार 800 से 900 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की फसल की पैदावार की गई थी. मार्च के महीने तक गेहूं की फसल कटने को तैयार हो जाती है, लेकिन बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया. जानकारी के अनुसार एक बीघा में किसान को हकाई-जुताई, खाद-बीज और मंडी तक ले जाने में किसान को 8 से 9 रुपए तक का खर्चा आता है और एक बीघा में किसान को करीब 8 से 9 बोरियां गेहूं निकलती है .

बूंदी जिले में किसानों के पास कई बीघा भूमि है जिसपर गेहूं की फसलें बोई थी, लेकिन बरसात के चलते कई जगहों पर यह गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. अब जिन एक बीघा में 7 से 8 बोरे निकलते थे, वहां 2 से 3 बोरी ही किसान को निकलेगी, जिससे किसान को काफी नुकसान हुआ है.

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