बूंदी. लॉकडाउन ने पहले ही किसानों की माली हालत खराब कर दी है. वहीं, अब मौसम की मार झेल रहे किसानों के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है. बूंदी में किसानों के 35 हजार से अधिक हेक्टयर में बोए मक्के की फसल पर अब फॉल आर्मी वर्म के नाम का संकट मंडरा रहा है.
जिले के किसान पहले ही लॉकडाउन के कारण त्रस्त थे, फिर तूफान और कम बारिश ने किसानों की आर्थिक हालत को और गर्त में धकेल दिया. वहीं, जिले के किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ मक्के की फसल बोई कि शायद इस बार अच्छी फसल हो तो उनकी सारी परेशानी दूर हो जाए, लेकिन उनके उम्मीदों पर एक नए तरह के मुश्किलों ने पानी फेर दिया. जिले में इन दिनों मक्का की फसलों में फॉल आर्मी वर्म नाम के कीट के हमले से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.
मक्के की पत्तियां और पोंगली को खा रहा ये कीट...
इस रोग के कारण हरा-भरा पौधा पीला पड़ने लगा है. हालत तो यह हो गई है कि जो फसल खेतों में लहरा रही थी, वह फसल आज बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है. 1 दिन में हजारों पौधों को यह लट चट कर रहा है. ये लट मक्के की पत्तियों को खाते हैं और पोंगली को नुकसान पहुंचाते हैं.
मक्का की फसलों पर एक नहीं हजारों की तादाद में बड़ी-बड़ी इल्लियां अटैक कर चुकी हैं. यह रोग 15 से 20 दिनों में मक्का के पौधों में दिखाई दे रहा है. जहां मक्का के छोटे पौधों को अपनी जद में यह कीड़ा ले चुका है.
किसानों ने कर्ज लेकर की थी बुवाई...
कोरोना काल की वजह से अधिकतर किसानों ने इस बार बहुत सारी फसलों को नहीं बोया. किसानों ने मक्का की उपज की और फसल को तैयार करना शुरू कर दिया. इसके लिए किसानों को हकाई, जुताई और बुवाई करने के लिए मजदूर किराए पर लेकर आने पड़े और जैसे-तैसे कर उन्होंने अपने हिसाब से रसूखदारों से कर्ज लिया. जिसके बाद उन्होंने मक्का की फसल को बुवाई की, लेकिन भूमिपुत्रों की मेहनत पर यह रोग पानी फेर रहा है. ऐसे में किसान के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं.
कीटनाशक छिड़काव की सलाह, लेकिन बेअसर...
बूंदी कृषि विभाग के उप निदेशक रमेश चंद जैन ने बताया कि इस बार मानसून की बेरुखी के चलते ये रोग उत्पन्न हुआ है. किसानों को इससे बचाव के लिए टीमें बनाकर जानकारी देना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि अभी यह किट दूसरी अवस्था में है. पूरी इल्ली बनने में इसे समय लगेगा. यदि अभी इसका उपाय किया जाए तो इस कीट को नष्ट किया जा सकता है.
कृषि विभाग के उप निदेशक का कहना है कि किसान घबराएं नहीं, तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करें और इस रोग को दूर करें. जबकि किसानों का कहना है कि यह रोग ऐसा है कि दवा बाहर से छिड़कने के बाद भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा, क्योंकि कीट फसल के अंदर घुस कर सीधा मक्का की फसल को नष्ट कर रहा है और दवा को बाहर से छिड़का जा रहा है.
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साथ ही रमेश चंद जैन ने बताया कि हमने संबंधित पटवारियों को निर्देश दिए हैं कि वह खराबे का आकलन करें. जिससे राज्य सरकार को खराबे का प्रस्ताव बनाकर भिजवाया जा सके.
सरकार से मुआवजा राशि देने की मांग...
जिले के किसानों को कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि कृषि विभाग और सरकार सर्वे करवाए. इसका मुआवजा दे, क्योंकि सभी किसानों की मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जहां 50 बीघा भूमि में उपजाई फसल से 20 से 10 बीघा भी उपज मिलेगी, यह भी कहना मुश्किल है.