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स्पेशलः मानवता की मिसाल बूंदी का ये दंपति, जीवन भर की कमाई को मंदिर और वृद्धा आश्रम बनवाने में लगा दिया - दंपति बनवा रहा मंदिर

इंसानियत आज भी जिंदा है. जिसका जीता जागता उदाहरण हैं बूंदी के ये दंपति. जिन्होंने अपनी जिंदगीभर की कमाई यहां तक की रिटायर होने के बाद पेंशन भी मानवता के लिए समर्पित कर दी. उन्होंने इस पैसे को मंदिर और वृद्धा आश्रम बनाने में लगा दिया. पढ़िए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट...

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पति-पत्नी ने अपनी पेंशन सहित पूरी जमा पूंजी से बनवाया मंदिर
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Published : Feb 10, 2020, 8:21 PM IST

बूंदी. कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ अच्छा करने का जज्बा हो तो वह कार्य खुद-ब-खुद इच्छाशक्ति के मुताबिक होने लगता है. ऐसा ही कर दिखाया है बूंदी के दंपति ने. बता दें कि दोनों ने अपने जीवन भर की पूंजी और पेंशन से विशाल मंदिर और वृद्ध आश्रम बनवाकर आमजन को समर्पित किया है.

पति-पत्नी ने अपनी पेंशन सहित पूरी जमा पूंजी से बनवाया मंदिर

कोटा के गुलाब बाड़ी आर्य समाज रोड निवासी और इस गांव में रह रहे चंद्रकांत सक्सेना संपन्न परिवार से हैं. पहले वह सेना से रिटायर हुए, फिर वह शिक्षा विभाग से जुड़ गए. उनकी पत्नी हंशा सक्सेना एजुकेशन विभाग से रिटायर हुई हैं.

लगाई जीवन भर की पूंजी

दोनों पति-पत्नी इस मंदिर और वृद्ध आश्रम के लिए अपनी पूरी जीवन भर की पूंजी व पेंशन लगा चुके हैं. अब तक 80 लाख रुपए इस मंदिर निर्माण कार्य और वृद्ध आश्रम के लिए खर्च किए जा चुके हैं. बेटी निपुर ने 5 लाख, बड़े बेटे अभिषेक ने 8 लाख, छोटे बेटे अंकुर ने 13 लाख रुपए की मदद अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए की है.

यह भी पढे़ं : SPECIAL : इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड और यादगार आयोजनों के साथ संपन्न हुआ मरु महोत्सव 2020

पहाड़ों के बीच मंदिर बनवाने का सपना

दंपति ने बताया, कि उनका सपना था कि वह पहाड़ों के बीच एक विशाल मंदिर बनाकर वहां पर धर्म के प्रति लोगों में आस्था जगाए और वृद्ध आश्रम खोलकर असहाय लोगों को नई जिंदगी देने का काम करें. यह मंशा दोनों ने अपने बच्चों के सामने रखी तो बच्चों ने भी इसपर सहमती जता दी.

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चंद्रलोक सर्वेश्वर मंदिर में बना सरोवर

6 बीघा भूमि में बना मंदिर

बूंदी शहर से 30 किलोमीटर दूर खटकड़ इलाके के पास कुआं गांव की 6 बीघा भूमि पर चंद्रलोक सर्वेश्वर मंदिर बनवाया गया है. जहां पर नौ ग्रह का निर्माण भी करवाया गया है. मंदिर में कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की गई है.

वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू

मंदिर के आसपास हरियाली के लिए पौधे लगाए गए हैं और कुछ भूमि पर ऑर्गेनिक खेती भी की जा रही है और उनसे प्राप्त होने वाले फलों को आस-पास के गांव में निशुल्क वितरित करने का काम किया जा रहा है. वहीं बची हुई भूमि पर वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है.

यह भी पढे़ं : SPECIAL : संत राम रूप दास महाराज कर रहे 37 वर्षों से गौ भक्ति, दीपावली पर गायों को खिलाते हैं देसी घी के लड्डू

दंपति की अपील

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पूजा के दौरान चंद्रकांत सक्सेना

मंदिर निर्माण करवा रहे दंपति ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और दानदाताओं से सहयोग देने की अपील की है. साथ ही उन्होंने सभी सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों- अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि वह लोग सेवानिवृत्त होने के बाद सिद्धांत बनाकर इस तरीके से सामाजिक सरोकार वाले कार्य करें.

दो साल से रहे गांव में

पिछले 2 सालों से दोनों पति-पत्नी अपने घर को छोड़कर इस भूमि पर रह रहे हैं और उन्हीं की देखरेख में मंदिर तथा वृद्ध आश्रम के निर्माण का कार्य चल रहा है रोज आसपास के ग्रामीण जहां दर्शन करते हैं. यकीनन आस्था के साथ सेवा के जुनून का उदाहरण इन दोनों पति पत्नियों ने साकार करके दिखाया है और समाज में एक अनूठी छाप छोड़ते हुए अपने सपने को साकार करते हुए आमजन के लिए कुछ करने का जज्बा सोचा है.

बूंदी. कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ अच्छा करने का जज्बा हो तो वह कार्य खुद-ब-खुद इच्छाशक्ति के मुताबिक होने लगता है. ऐसा ही कर दिखाया है बूंदी के दंपति ने. बता दें कि दोनों ने अपने जीवन भर की पूंजी और पेंशन से विशाल मंदिर और वृद्ध आश्रम बनवाकर आमजन को समर्पित किया है.

पति-पत्नी ने अपनी पेंशन सहित पूरी जमा पूंजी से बनवाया मंदिर

कोटा के गुलाब बाड़ी आर्य समाज रोड निवासी और इस गांव में रह रहे चंद्रकांत सक्सेना संपन्न परिवार से हैं. पहले वह सेना से रिटायर हुए, फिर वह शिक्षा विभाग से जुड़ गए. उनकी पत्नी हंशा सक्सेना एजुकेशन विभाग से रिटायर हुई हैं.

लगाई जीवन भर की पूंजी

दोनों पति-पत्नी इस मंदिर और वृद्ध आश्रम के लिए अपनी पूरी जीवन भर की पूंजी व पेंशन लगा चुके हैं. अब तक 80 लाख रुपए इस मंदिर निर्माण कार्य और वृद्ध आश्रम के लिए खर्च किए जा चुके हैं. बेटी निपुर ने 5 लाख, बड़े बेटे अभिषेक ने 8 लाख, छोटे बेटे अंकुर ने 13 लाख रुपए की मदद अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए की है.

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पहाड़ों के बीच मंदिर बनवाने का सपना

दंपति ने बताया, कि उनका सपना था कि वह पहाड़ों के बीच एक विशाल मंदिर बनाकर वहां पर धर्म के प्रति लोगों में आस्था जगाए और वृद्ध आश्रम खोलकर असहाय लोगों को नई जिंदगी देने का काम करें. यह मंशा दोनों ने अपने बच्चों के सामने रखी तो बच्चों ने भी इसपर सहमती जता दी.

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चंद्रलोक सर्वेश्वर मंदिर में बना सरोवर

6 बीघा भूमि में बना मंदिर

बूंदी शहर से 30 किलोमीटर दूर खटकड़ इलाके के पास कुआं गांव की 6 बीघा भूमि पर चंद्रलोक सर्वेश्वर मंदिर बनवाया गया है. जहां पर नौ ग्रह का निर्माण भी करवाया गया है. मंदिर में कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की गई है.

वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू

मंदिर के आसपास हरियाली के लिए पौधे लगाए गए हैं और कुछ भूमि पर ऑर्गेनिक खेती भी की जा रही है और उनसे प्राप्त होने वाले फलों को आस-पास के गांव में निशुल्क वितरित करने का काम किया जा रहा है. वहीं बची हुई भूमि पर वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है.

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दंपति की अपील

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पूजा के दौरान चंद्रकांत सक्सेना

मंदिर निर्माण करवा रहे दंपति ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और दानदाताओं से सहयोग देने की अपील की है. साथ ही उन्होंने सभी सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों- अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि वह लोग सेवानिवृत्त होने के बाद सिद्धांत बनाकर इस तरीके से सामाजिक सरोकार वाले कार्य करें.

दो साल से रहे गांव में

पिछले 2 सालों से दोनों पति-पत्नी अपने घर को छोड़कर इस भूमि पर रह रहे हैं और उन्हीं की देखरेख में मंदिर तथा वृद्ध आश्रम के निर्माण का कार्य चल रहा है रोज आसपास के ग्रामीण जहां दर्शन करते हैं. यकीनन आस्था के साथ सेवा के जुनून का उदाहरण इन दोनों पति पत्नियों ने साकार करके दिखाया है और समाज में एक अनूठी छाप छोड़ते हुए अपने सपने को साकार करते हुए आमजन के लिए कुछ करने का जज्बा सोचा है.

Intro:बूंदी में हम एक ऐसे सेवा कार्य से जुड़े पति-पत्नी की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी जीवन भर की पूंजी व सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन तक मंदिर व वृद्ध आश्रम बनाने में लगा दी और एक मंदिर की विशाल प्रतिरूप को खड़ा कर दिया अब दोनों पति पत्नी वृद्ध आश्रम बनाने में जुटे हुए हैं । शहर से 30 किलोमीटर दूर कुआं गांव में करीब 6 बीघा भूमि में मंदिर व वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य किया जा रहा है । मिलिए चंद्रकांत सक्सेना व हंसा सक्सेना से ।


Body:बूंदी - कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ अच्छा करने का जज्बा हो तो वह खुद-ब-खुद इच्छाशक्ति के मुताबिक होने लगता है ऐसा ही कर दिखाया है बूंदी के पति पत्नी ने और अपनी जीवन भर की पूंजी व पेंशन से विशाल मंदिर व वृद्ध आश्रम बना दिया आमजन को समर्पित कर दिया है । जानकारी के अनुसार कोटा के गुलाब बाड़ी आर्य समाज रोड निवासी और इस गांव में रह रहे चंद्रकांत सक्सेना संपन्न परिवार से हैं । सेना से रिटायर हुए हैं फिर वह शिक्षा विभाग से जुड़ गए उनकी पत्नी हंशा सक्सेना एजुकेशन विभाग से रिटायर हुई है उनके दो बेटे और एक बेटी है । बेटी ने पूर्वी शिक्षा विभाग में है जबकि दोनों बैठे अपने जॉब में वेल सेटल है । दोनों पति-पत्नी इस मंदिर और वृद्ध आश्रम के लिए अपनी पूरी जीवन भर की पूंजी व पेंशन लगा चुके हैं अब तक 80 लाख रुपए इस मंदिर निर्माण कार्य व वृद्ध आश्रम के लिए खर्च किए जा चुके हैं । बेटी निपुर ने ₹5 लाख , बड़ा बेटा अभिषेक सक्सेना ने ₹8 लाख, छोटा बेटा अंकुर सक्सेना ने 13 लाख रुपए की मदद अपने माता पिता के सपने पूरे करने में मदद कर चुके हैं। इसके अलावा दंपति ने अपने जेवर भेज चुके हैं ₹10 लाख का लोन ले चुके हैं और उनका सपना है कि वह पहाड़ों के बीच में एक विशाल मंदिर बनाकर वहां पर धर्म के प्रति लोगों में आस्था जगाए और उसी जगह पर वृद्ध आश्रम खोलकर असहाय लोगों को नई जिंदगी देने का काम करें और इसी इच्छाशक्ति के कारण दोनों पति पत्नी ने अपने बेटों के सामने यह मंशा रखी तो उन्होंने अपने माता-पिता की बात से सहमत होकर जितना उनसे हो सकता था उतना उन्होंने अपने माता-पिता को मंदिर व वृद्ध आश्रम बनाने के लिए राशि दी और लगातार देने का सिलसिला जारी है । पुत्र और पुत्री ने मदद की तो पति पत्नी ने भी अपनी जीवन भर की पूंजी व पेंशन लगाना शुरू कर दिया ।

बूंदी शहर से 30 किलोमीटर दूर खटकड़ इलाके के पास कुआं गांव में चंद्रकांत सक्सेना ने पहाड़ों के बीच पैसों को एकत्रित कर 6 बीघा भूमि खरीदी । 6 बीघा भूमि खरीद वहां पर चंद्रलोक सरोवर मंदिर बनवाया जहां पर नौ ग्रह का निर्माण करवाया गया । मंदिर में कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की गई है और मंदिर का पूरा ढांचा खड़ा हो चुका है और वहां पर सभी नव ग्रहों की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है । आसपास मंदिर के हरियाली के लिए पौधे लगाए गए हैं और कुछ भूमि मर ऑर्गेनिक खेती भी की जा रही है और उनसे प्राप्त होने वाले फल को आस-पास के गांव में निशुल्क वितरित करने का काम दोनों पति पत्नी द्वारा किया जा रहा है । बची हुई भूमि पर वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और जल्द ही इसी भूमि में मंदिर के साथ वृद्ध आश्रम भी बनने के बाद दोनों पति-पत्नी का सपना पूरा हो जाएगा ।

मंदिर निर्माण करवा रहे चंद्रकांत सक्सेना , हंशा सक्सेना ने सामाजिक कार्यकर्ताओं व दानदाताओं से बढ़-चढ़कर सहयोग देने की अपील की है । साथ में उन्होंने कहा कि आज के दौर में जो लोग सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं वह घर पर अपना समय या परिवार के साथ अपना समय बिता रहे हैं। उन्होंने अपने इस कार्य से उन सभी सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों- अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा कि वह लोग घर पर ना बैठे और अपने जीवन में एक सेवानिवृत्त होने के बाद सिद्धांत बनाकर इस तरीके से सामाजिक सरोकार वाले कार्य करें ताकि उनका जीवन भी उज्ज्वल रहे और भागदौड़ भरी जिंदगी में अनूठा कार्य हो सके ।


Conclusion:यकीनन आस्था के साथ सेवा के जुनून का उदाहरण इन दोनों पति पत्नियों ने साकार करके दिखाया है और समाज में एक अनूठी छाप छोड़ते हुए अपने सपने को साकार करते हुए आमजन के लिए कुछ करने का जज्बा सोचा है । पिछले 2 सालों से बूंदी के इस कुआं गांव में दोनों पति - पत्नी अपने घर को छोड़कर इस भूमि पर रह रहे हैं और उन्हीं की देखरेख में मंदिर तथा वृद्ध आश्रम के निर्माण का कार्य चल रहा है और 2 साल में काफी हद तक मंदिर निर्माण कार्य व बंजर पड़ी हुई भूमि को सेवा के कार्य से चार चांद लग गए हैं कार्य प्रगति पर चल रहा है । रोज आसपास के ग्रामीण लोग आते हैं दर्शन करते हैं और पति पत्नी के इस सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्य की सराहना करते हुए उन्हें साधुवाद भी देते हुए नजर आते हैं।

इस चंद्रलोक देवालय में आकर यह लगता है कि किसी अलग ही जीवन में आकर दुनिया बस गई हो और वातावरण इस तरीके से रहता है कि जगह को छोड़ने का मन किसी का नहीं करता और यही इन दोनों ने कर कर दिखाया है और बूंदी का चंद्रलोक देवालय आस्था का केंद्र और सरोकार का केंद्र बनता जा रहा है ।

बाईट - चंद्रकांत सक्सेना , सेवानिवृत्त सेना जवान
बाईट - हंशा सक्सेना , सेवानिवृत्त
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