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विश्व पर्यटन दिवस: दर्द से कराह रही प्राचीन विरासत, विशेष पैकेज की मांग

पूरे देश में विश्व पर्यटन दिवस की धूम मची हुई है. कोरोना काल की वजह से इस महोत्सव का रंग फीका है. लेकिन विश्व पर्यटन दिवस पर बूंदी की विरासत दर्द से कराह रही रही है. समय पर देखरेख नहीं होने के चलते यह स्थल दिन प्रतिदिन लुप्त से होते जा रहे हैं. शहरवासियों की सरकार से मांग है कि बूंदी पर्यटन के लिए एक विशेष पैकेज तैयार की जाए. ताकि बूंदी देश के अन्य पर्यटन स्थलों की तरह आगे बढ़े.

बूंदी समाचार, bundi news
दर्द से कराह रही प्राचीन विरासत
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Published : Sep 27, 2020, 3:55 PM IST

बूंदी. छोटी काशी के नाम से विख्यात पर्यटन नगरी बूंदी में पर्यटन स्थलों की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती जा रही है. ना तो वहां साफ सफाई हो रही है और ना हीं आसपास स्वच्छता है. गंदगी और कूड़े से अटा पर्यटन स्थल बाहर से आने वाले यात्रियों को मुंह छुपाने को मजबूर कर देता है. चाहे वह जैतसागर झील हो या नवल सागर झील या फिर कुंड, बावड़ियां अन्य विरासत सभी जगह गंदगी और कूड़े का अंबार लगा है. स्थानीय प्रशासन के दावों के बावजूद भी पर्यटकों एवं शहरवासियों को इन स्थलों पर पहले गंदगी से दो-चार होना पड़ता है.

दर्द से कराह रही प्राचीन विरासत

बूंदी के पर्यटन स्थलों में से एक जैतसागर झील की बात करें तो यहां प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं, जिनमें से शहर के आसपास के साथ-साथ विदेशी भी शामिल होते हैं. जैतसागर बूंदी की एकमात्र ऐसी एक झील है जहां आकर हर कोई आनंदित होता है. लेकिन सरकार के लापरवाही के चलते अब जैतसागर झील अपना मूल स्वरूप भूलती जा रही है. झील के सफाई की बात करें तो यहां झील के तटों पर फैली गंदगी और पानी में फैली कमल की जड़े इस बात की गवाही दे रही है कि जिम्मेदार सरकारी महकमा झील की कितनी देखरेख कर रहा है.

बूंदी समाचार, bundi news
जैतसागर झील बूंदी

वहीं, सुख महल, हनुमान मंदिर, माधव की बावड़ियां और धोबी घाट पर भी भारी गंदगी और कूड़े का अंबार लगा है. परिसर में स्थित सुख महल पार्क की स्थिति भी काफी दयनीय है. इन दिनों ठीक इस पार्क के गेट पर जलजमाव और दुर्गति रहती है. कुछ वर्षों पहले विधायक अशोक डोगरा ने यहां पर मशीन चलवाकर साफ-सफाई भी करवाई थी. लेकिन मशीन भी कुछ दिनों तक चल कर बंद हो गई.

बूंदी समाचार, bundi news
खतरें में विरासत

गंदगी बनी इन स्थलों की पहली पहचान, जनता मांगे संरक्षण

जयपुर-दिल्ली मार्ग से बूंदी में प्रवेश करें तो बूंदी के मुख्य द्वार से नवल सागर झील नजर आती है. ऐतिहासिक तारागढ़ का प्रतिबंध झील के पानी में ही बनते ही दिखता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. लेकिन झील के संरक्षण की बात करें तो यहां भी सरकारी व्यवस्थाओं की अनदेखी ने विख्यात झील का स्वरूप ही बिगाड़ दिया. हालत यह है कि इस झील में क्षेत्र के नाले छोड़े जा रहे हैं, जिससे झील का पूरा पानी मटमैला सा हो गया है. यदि कोई यहां पर बूंदी के दीदार करने के लिए पहुंचता है तो उसे बदबू की वजह से कुछ देर बाद यहां से लौटना ही पड़ता है.

बूंदी समाचार, bundi news
पर्यटन नगरी बूंदी

पढ़ें- SPECIAL: मानव सभ्यता विकास की साक्षी 'रॉक पेंटिंग' का रंग पड़ रहा फीका, धीरे-धीरे हो रही गायब

इसी तरह शहर के कुंड बावड़ियां हैं, जहां पर किसी समय पर बूंदी के पानी का स्रोत यह बावड़ियां हुआ करती थी, जहां पर इलाके के लोग पानी भरने के लिए पहुंचते थे. केवल बूंदी शहर में रानी जी की बावड़ी ऐसी है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है. बाकी अन्य बावड़ियों को पूरी तरह से अतिक्रमण कर लिया गया है. वहां पर सिर्फ और सिर्फ गंदगी का आलम है. वहीं, अगर कुंड की बात की जाए तो बूंदी में करीब 6 के आसपास कुंड है. इनमें सिर्फ नागर सागर का कुंड सुरक्षित है, बाकी अन्य कुंडों पर भी ऐसे ही हालत पसरे हुए हैं.

इन कुंडों की बात की जाए तो ऐतिहासिक इमारतों से बने ये कुंड अपने इतिहास का अलग महत्व रखते हैं. इसी तरह बूंदी के तारागढ़ में स्थित सैकड़ों वर्ष पुरानी चित्र शैली को विकास की दरकार है. वह भी अपने मूल स्वरूप खोती जा रही है और जर्जर होने को है. यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो वह भी एक दिन लुप्त सी हो जाएगी. इसी तरह इन पेंटिंग्स को बनाने वाले कारीगरों की दुकानें भी इक्की दुक्की बची है और वह भी संरक्षण नहीं मिलने के चलते इस कला को खत्म करते जा रहे हैं.

वहीं, बूंदी जिले का रामगढ़ अभयारण्य जिसे सरकार ने टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव भी दिया हुआ हैं. लेकिन अभी तक टाइगर्स नहीं आने के चलते इस अभयारण्य को टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जा सका. प्रदेश का सबसे अच्छा खूबसूरत नजारा इस टाइगर रिजर्व में है, व्यवस्थाएं पूरी माकूल भी है. लेकिन सरकार की मंशा के मुताबिक काम नहीं हो पा रहा है. पर्यटन स्थलों की बात की जाए तो बूंदी में करीब 12 के आसपास ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो विश्व स्थल पर अपना पहचान रखते हैं और अपना नाम रखते हैं. विश्व पर्यटन दिवस पर बूंदी शहर की जनता की यही मांग है कि सरकार इन स्थलों को सहेजने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान करें ताकि इन स्थलों को समय रहते बता बचाया जा सके और आने वाले पीढ़ीया इन स्थलों को देख सकें ।

बूंदी. छोटी काशी के नाम से विख्यात पर्यटन नगरी बूंदी में पर्यटन स्थलों की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती जा रही है. ना तो वहां साफ सफाई हो रही है और ना हीं आसपास स्वच्छता है. गंदगी और कूड़े से अटा पर्यटन स्थल बाहर से आने वाले यात्रियों को मुंह छुपाने को मजबूर कर देता है. चाहे वह जैतसागर झील हो या नवल सागर झील या फिर कुंड, बावड़ियां अन्य विरासत सभी जगह गंदगी और कूड़े का अंबार लगा है. स्थानीय प्रशासन के दावों के बावजूद भी पर्यटकों एवं शहरवासियों को इन स्थलों पर पहले गंदगी से दो-चार होना पड़ता है.

दर्द से कराह रही प्राचीन विरासत

बूंदी के पर्यटन स्थलों में से एक जैतसागर झील की बात करें तो यहां प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं, जिनमें से शहर के आसपास के साथ-साथ विदेशी भी शामिल होते हैं. जैतसागर बूंदी की एकमात्र ऐसी एक झील है जहां आकर हर कोई आनंदित होता है. लेकिन सरकार के लापरवाही के चलते अब जैतसागर झील अपना मूल स्वरूप भूलती जा रही है. झील के सफाई की बात करें तो यहां झील के तटों पर फैली गंदगी और पानी में फैली कमल की जड़े इस बात की गवाही दे रही है कि जिम्मेदार सरकारी महकमा झील की कितनी देखरेख कर रहा है.

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जैतसागर झील बूंदी

वहीं, सुख महल, हनुमान मंदिर, माधव की बावड़ियां और धोबी घाट पर भी भारी गंदगी और कूड़े का अंबार लगा है. परिसर में स्थित सुख महल पार्क की स्थिति भी काफी दयनीय है. इन दिनों ठीक इस पार्क के गेट पर जलजमाव और दुर्गति रहती है. कुछ वर्षों पहले विधायक अशोक डोगरा ने यहां पर मशीन चलवाकर साफ-सफाई भी करवाई थी. लेकिन मशीन भी कुछ दिनों तक चल कर बंद हो गई.

बूंदी समाचार, bundi news
खतरें में विरासत

गंदगी बनी इन स्थलों की पहली पहचान, जनता मांगे संरक्षण

जयपुर-दिल्ली मार्ग से बूंदी में प्रवेश करें तो बूंदी के मुख्य द्वार से नवल सागर झील नजर आती है. ऐतिहासिक तारागढ़ का प्रतिबंध झील के पानी में ही बनते ही दिखता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. लेकिन झील के संरक्षण की बात करें तो यहां भी सरकारी व्यवस्थाओं की अनदेखी ने विख्यात झील का स्वरूप ही बिगाड़ दिया. हालत यह है कि इस झील में क्षेत्र के नाले छोड़े जा रहे हैं, जिससे झील का पूरा पानी मटमैला सा हो गया है. यदि कोई यहां पर बूंदी के दीदार करने के लिए पहुंचता है तो उसे बदबू की वजह से कुछ देर बाद यहां से लौटना ही पड़ता है.

बूंदी समाचार, bundi news
पर्यटन नगरी बूंदी

पढ़ें- SPECIAL: मानव सभ्यता विकास की साक्षी 'रॉक पेंटिंग' का रंग पड़ रहा फीका, धीरे-धीरे हो रही गायब

इसी तरह शहर के कुंड बावड़ियां हैं, जहां पर किसी समय पर बूंदी के पानी का स्रोत यह बावड़ियां हुआ करती थी, जहां पर इलाके के लोग पानी भरने के लिए पहुंचते थे. केवल बूंदी शहर में रानी जी की बावड़ी ऐसी है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है. बाकी अन्य बावड़ियों को पूरी तरह से अतिक्रमण कर लिया गया है. वहां पर सिर्फ और सिर्फ गंदगी का आलम है. वहीं, अगर कुंड की बात की जाए तो बूंदी में करीब 6 के आसपास कुंड है. इनमें सिर्फ नागर सागर का कुंड सुरक्षित है, बाकी अन्य कुंडों पर भी ऐसे ही हालत पसरे हुए हैं.

इन कुंडों की बात की जाए तो ऐतिहासिक इमारतों से बने ये कुंड अपने इतिहास का अलग महत्व रखते हैं. इसी तरह बूंदी के तारागढ़ में स्थित सैकड़ों वर्ष पुरानी चित्र शैली को विकास की दरकार है. वह भी अपने मूल स्वरूप खोती जा रही है और जर्जर होने को है. यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो वह भी एक दिन लुप्त सी हो जाएगी. इसी तरह इन पेंटिंग्स को बनाने वाले कारीगरों की दुकानें भी इक्की दुक्की बची है और वह भी संरक्षण नहीं मिलने के चलते इस कला को खत्म करते जा रहे हैं.

वहीं, बूंदी जिले का रामगढ़ अभयारण्य जिसे सरकार ने टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव भी दिया हुआ हैं. लेकिन अभी तक टाइगर्स नहीं आने के चलते इस अभयारण्य को टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जा सका. प्रदेश का सबसे अच्छा खूबसूरत नजारा इस टाइगर रिजर्व में है, व्यवस्थाएं पूरी माकूल भी है. लेकिन सरकार की मंशा के मुताबिक काम नहीं हो पा रहा है. पर्यटन स्थलों की बात की जाए तो बूंदी में करीब 12 के आसपास ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो विश्व स्थल पर अपना पहचान रखते हैं और अपना नाम रखते हैं. विश्व पर्यटन दिवस पर बूंदी शहर की जनता की यही मांग है कि सरकार इन स्थलों को सहेजने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान करें ताकि इन स्थलों को समय रहते बता बचाया जा सके और आने वाले पीढ़ीया इन स्थलों को देख सकें ।

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