बूंदी. जिले के का सबसे बड़ा नाला कहा जाने वाला जैतसागर नाला जब उफान पर होता है तो करीब 20 हजार लोग इस नाले से प्रभावित होते हैं. घरों में पानी ही पानी देखा जाता है और आम जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है. साल 2019 में ऐसा ही कुछ दृश्य देखने को मिला. जब जैतसागर झील से पानी छोड़ा गया तो सिस्टम की लापरवाही से बूंदी के 20 हजार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
बूंदी का यह नाला करीब 10 किलोमीटर एरिया को कवर करते हुए मांगली नदी में पहुंचता है. जैतसागर से करीब 12 से ज्यादा कॉलोनियों ऐसी है, जिनमें से यह नाला होकर गुजरता है. इस नाले पर अतिक्रमण और साफ-सफाई नहीं होने के चलते हर साल उफान पर रहता है. हालात तो तब खराब हो जाते हैं जब विद्युत व्यवस्था चौपट हो जाती है. इन घरों पर खाने की कोई व्यवस्था नहीं होती और कई दिनों तक यह लोग भूखे प्यासे सोने को मजबूर होते हैं. लंबे वर्षों से लोग इस नाले से अतिक्रमण हटाने और साफ-सफाई व्यवस्था सही करने की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन सरकार और प्रशासन इस सिस्टम पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. नतीजा यह कि हालात जस के तस बने हुए हैं.
जैतसागर झील से निकलता है 10 किलोमीटर का लंबा नाला
ऐतिहासिक जैतसागर झील शहर के बीचोंबीच स्थित है. हर साल बारिश के समय यह झील अपने विकराल रूप में होती है. लगातार बारिश होने से प्रशासन द्वारा झील के सभी 9 गेटों को खोलकर हजारों क्यूसेक पानी की निकासी की जाती है. इस झील से 10 किलोमीटर लंबा नाला निकलता है, जिसे जैतसागर सागर नाला कहा जाता है.
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जो सीधा 15 किलोमीटर दूर स्थित मांगली नदी में मिल जाता है. इस नाले के बीच करीब 12 कॉलोनियों ऐसी है. जहां 20 हजार से अधिक लोग रहते हैं. नाला जब उफान पर होता है तो हर घरों में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. जिससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आंदोलन के बाद प्रशासन ने करवाया था नाले का सर्वे
पिछले साल आई बाढ़ के बाद इलाके के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था. ऐसे में जिला कलेक्टर ने इलाके में नाले का सर्वे करवाने और नाले को मूल स्वरूप में लाने को लेकर आदेश जारी किए थे. इसपर नगर परिषद की तत्काल आयुक्त ने सर्वे करवाने की जिम्मेदारी ली थी. नगर परिषद के कर्मचारियों से इलाके के इस नाले का सर्वे करवाया तो नाला अतिक्रमण का शिकार निकला. करीब 200 मकान ऐसे थे जो नाले के ऊपर बने हुए हैं. साथ में इन लोगों ने नाले पर अतिक्रमण किया हुआ है.